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Gaurav Gogoi Pakistan Connection: क्या है गौरव गोगोई पाकिस्तान कनेक्शन? क्यों उठी डेलीगेशन से हटाने की मांग और कैसे शुरू हुआ पूरा मामला
Gaurav Gogoi Pakistan Connection: विपक्ष के इस युवा चेहरे पर अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्हें वाकई डेलीगेशन से हटाया जाना चाहिए? क्या उनके ऊपर लगे आरोपों में सच्चाई है या यह सब एक सोची-समझी सियासी चाल है? और सबसे बड़ा सवाल क्या गौरव गोगोई का पाकिस्तान से कोई सीधा या परोक्ष कनेक्शन है?
Gaurav Gogoi Pakistan Connection
Hemant Gogoi Pakistan Connection: दिल्ली की राजनीतिक गलियों से लेकर गुवाहाटी की गलियों तक इस वक़्त सिर्फ एक ही नाम गूंज रहा है गौरव गोगोई। असम के इस कांग्रेस नेता पर उठते सवाल अब सिर्फ सोशल मीडिया की सीमाओं में नहीं रह गए, बल्कि संसद के गलियारों से लेकर जनता की चर्चा तक फैल चुके हैं। विपक्ष के इस युवा चेहरे पर अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्हें वाकई डेलीगेशन से हटाया जाना चाहिए? क्या उनके ऊपर लगे आरोपों में सच्चाई है या यह सब एक सोची-समझी सियासी चाल है? और सबसे बड़ा सवाल क्या गौरव गोगोई का पाकिस्तान से कोई सीधा या परोक्ष कनेक्शन है?
कैसे शुरू हुआ ये पूरा मामला
ये मामला अचानक सुर्खियों में नहीं आया। सब कुछ तब शुरू हुआ जब एक संसदीय डेलीगेशन को विदेशी दौरे के लिए चुना गया जिसमें गौरव गोगोई का नाम भी शामिल था। लेकिन जैसे ही उनका नाम सामने आया, सत्ताधारी पार्टी के नेताओं और कुछ स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे — #RemoveGogoiFromDelegation और #GogoiPakistanLinks। कांग्रेस पार्टी जहां अपने युवा नेता के समर्थन में खड़ी दिखी, वहीं भाजपा समेत कई अन्य दलों ने सवाल उठाए कि एक ऐसे व्यक्ति को भारत का प्रतिनिधित्व करने का हक कैसे दिया जा सकता है, जिस पर कई आपराधिक और विवादास्पद मामलों में संलिप्त होने के आरोप हैं?
मामला तब और गरमा गया जब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीधे-सीधे कहा, “देश की छवि को धूमिल करने वालों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का चेहरा नहीं बनाया जा सकता। जिन लोगों की गतिविधियां संदिग्ध हैं, उन्हें विदेश नीति से जुड़ी किसी भी प्रक्रिया में जगह नहीं मिलनी चाहिए।” लेकिन अब सवाल ये उठता है की आखिर कौन हैं गौरव गोगोई? और क्यों अचानक उनके खिलाफ इस तरह का अभियान चलाया जा रहा है?
कौन है गौरव गोगोई ?
गौरव गोगोई, पूर्व केंद्रीय मंत्री और असम के दिवंगत मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त कर चुके गौरव गोगोई ने राजनीति में अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के इरादे से कदम रखा। वे पहली बार 2014 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने और 2019 में दोबारा चुनकर लोकसभा पहुंचे। उन्हें कांग्रेस पार्टी में एक उभरता हुआ युवा चेहरा माना जाता रहा है, जिनकी छवि अब तक साफ-सुथरी कही जाती रही।
गौरव गोगोई पर लगे संदिग्ध आरोप
लेकिन, बीते कुछ वर्षों में उनके इर्द-गिर्द कई ऐसे विवाद उठ खड़े हुए हैं जो उनकी साख पर सवाल खड़े करते हैं। सबसे बड़ा आरोप उन पर एक NGO के फंडिंग को लेकर सामने आया, जिसमें पाकिस्तान से जुड़े एक कथित ट्रस्ट द्वारा फंडिंग का दावा किया गया। इस NGO के ट्रस्टियों में गोगोई की भूमिका को लेकर कई रिपोर्ट्स सामने आईं, हालांकि कांग्रेस ने इन आरोपों को "बेहद हास्यास्पद और राजनीति से प्रेरित" बताया।
इसके अलावा गोगोई के खिलाफ भ्रष्टाचार के दो केस असम में दर्ज हैं, जिसमें एक केस में सरकारी जमीन के दुरुपयोग और दूसरे में एक निजी कंपनी को अवैध फायदा पहुंचाने का आरोप है। हालांकि इनमें से किसी भी केस में अदालत की तरफ से दोष सिद्ध नहीं हुआ है, लेकिन जांच अब भी चल रही है। भाजपा और अन्य दल इन केसों को आधार बनाकर गोगोई की छवि को लगातार निशाने पर ले रहे हैं।
क्या गौरव गोगोई का पाकिस्तान कनेक्शन
पाकिस्तान कनेक्शन की बात करें तो एक और बड़ा आरोप यह है कि गोगोई ने 2022 में एक निजी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया था, जिसमें पाकिस्तानी थिंक टैंक और रिटायर्ड ISI अधिकारी भी शामिल थे। इस सम्मेलन में गोगोई द्वारा की गई भारत सरकार की आलोचना को राष्ट्रविरोधी बताया जा रहा है। हालांकि गोगोई ने सफाई दी थी कि वे एक लोकतांत्रिक देश के प्रतिनिधि हैं और किसी भी मंच पर भारत की छवि को बेहतर तरीके से रखने की कोशिश करते हैं।
क्या हटेंगे गौरव गोगोई डेलीगेशन से
अब सवाल यह उठता है कि क्या इन आरोपों के आधार पर उन्हें डेलीगेशन से हटाया जाना चाहिए? कांग्रेस का कहना है कि गोगोई पर अभी तक कोई कानूनी दोष सिद्ध नहीं हुआ है और उन्हें निशाना सिर्फ इसलिए बनाया जा रहा है क्योंकि वे विपक्ष के एक उभरते नेता हैं। दूसरी ओर, भाजपा के प्रवक्ता ने यहां तक कह दिया कि "गौरव गोगोई कांग्रेस के राहुल गांधी संस्करण 2.0 हैं, जिनकी राजनीति भी भ्रम, बड़बोलापन और राष्ट्रविरोधी एजेंडे से भरी है।"
एथिक्स कमेटी ने लिया संज्ञान
इस विवाद ने अब एक नया मोड़ ले लिया है क्योंकि संसद की एथिक्स कमेटी ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया है और गोगोई से जवाब मांगा गया है। यदि इन आरोपों में दम पाया गया, तो न सिर्फ डेलीगेशन से हटाया जाएगा, बल्कि संसद सदस्यता पर भी असर पड़ सकता है। गौरव गोगोई खुद को निर्दोष बताते हुए कहते हैं, “यह सब मुझे चुप कराने की साजिश है क्योंकि मैं सवाल पूछता हूं। मैं पीछे हटने वाला नहीं।” लेकिन सवाल यही है क्या वाकई यह सब एक साजिश है, या फिर गोगोई पर लगे आरोप एक गहरी सच्चाई को उजागर कर रहे हैं? राजनीति के इस नए युद्ध में अब अगली चाल किसकी होगी यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन इतना तय है कि गौरव गोगोई अब केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक राजनीतिक कथा के केंद्र में बदल चुके हैं जिसमें देश, दल, आरोप, विदेशी कनेक्शन और सत्ता की भूख सब कुछ शामिल है।