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भारत का ‘ऑपरेशन पुश-बैक’: बांग्लादेश में मचा हड़कंप
India's Operation Push: भारत ने बांग्लादेश को सूचित किया था कि वह देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करेगा।
India's Operation Push (Image Credit-Social Media)
नई दिल्ली। भारत ने अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ अपने अभियान को अभूतपूर्व स्तर पर तेज़ कर दिया है। केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन पुश-बैक’ के तहत अब तक 2,000 से अधिक अवैध घुसपैठियों को बांग्लादेश वापस भेजा जा चुका है। यह अभियान दिल्ली, असम, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा जैसे राज्यों में विशेष रूप से तेज़ी से चलाया जा रहा है, जहां सुरक्षा एजेंसियां संदिग्ध गतिविधियों और फर्जी दस्तावेज़ों के नेटवर्क को तोड़ने में जुटी हुई हैं।
हाल ही में भारत ने बांग्लादेश को सूचित किया था कि वह देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करेगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक रह रहे हैं और उन्हें उनके देश वापस भेजना आवश्यक है। बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद जाहंगीर आलम चौधरी ने कहा था कि अवैध घुसपैठियों को केवल उचित प्रक्रियाओं के तहत ही वापस भेजा जाना चाहिए।
दिल्ली से असम तक अभियान की गूंज
गृह मंत्रालय के निर्देश पर शुरू किए गए इस अभियान में दिल्ली पुलिस ने अकेले 900 से अधिक अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की है, जिनमें से पिछले छह महीनों में 700 को निर्वासित किया गया है।
असम में भी तेजी से कार्रवाई हो रही है, जहां मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व शर्मा ने ‘पुश-बैक’ तंत्र को औपचारिक रूप देने की बात कही है। हाल ही में असम पुलिस ने 300 से अधिक संदिग्ध प्रवासियों को हिरासत में लिया, जिन्हें त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों से बांग्लादेश वापस भेजा गया। गुजरात के सूरत और अहमदाबाद में 6,500 संदिग्धों की जांच के बाद 1,200 से अधिक को हिरासत में लिया गया, जिनमें से 500 से ज्यादा को देश निकाला दिया गया।
देशव्यापी कार्रवाई
हाल के दिनों में विभिन्न राज्यों में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने देश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। त्रिपुरा, गुजरात के भरूच और वडोदरा में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई हैं। राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की पुलिस भी भारत में अवैध रूप से दाखिल लोगों को हिरासत में ले रही है। 21 और 22 मई को गुजरात के अहमदाबाद स्थित चंदोला इलाके में अवैध कब्जों के खिलाफ अभियान चलाया गया, जिसमें हज़ारों घरों को गिराया गया।
कड़ा अभियान
इस अभियान के तहत दिल्ली के भारत नगर में 30 अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार किया गया, जिनके पास प्रतिबंधित IMO ऐप और बांग्लादेशी पहचान पत्र मिले।
25 मई से 10 जून के बीच ‘ऑपरेशन तलाश’ के तहत बरेली डिवीजन में गहन निगरानी अभियान चल रहा है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को 30 दिनों के भीतर सभी संदिग्ध प्रवासियों की पहचान और दस्तावेजों का सत्यापन पूरा करने का निर्देश दिया है।
बढ़ता तनाव
हालांकि, इस कार्रवाई से भारत-बांग्लादेश सीमा पर तनाव बढ़ गया है। बांग्लादेशी सेना के ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद नाज़िम-उद-दौला ने भारत की इस नीति को ‘अस्वीकार्य’ बताया और इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करार दिया। उन्होंने धमकी दी कि यदि भारत कूटनीतिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं करता तो बांग्लादेशी सेना हस्तक्षेप कर सकती है।
बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, 7 मई 2025 से अब तक 800 से अधिक लोगों को भारत द्वारा वापस भेजा गया है, जिनमें कुछ भारतीय नागरिक और रोहिंग्या शरणार्थी भी शामिल हैं।
लालमोनिरघाट के ज़ीरो लाइन पर 13 लोग फंस गए, क्योंकि बांग्लादेश ने उन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया। भारत ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “अवैध घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” सरकार ने 3,232 किमी लंबी सीमा पर बाड़ लगाने का काम भी तेज कर दिया है, जिसका बांग्लादेश लंबे समय से विरोध करता रहा है।
सकारात्मक असर
इस कार्रवाई से देश में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई है, और पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों पर जनता का भरोसा लौट रहा है। स्थानीय लोग सरकार की इस पहल की सराहना कर रहे हैं क्योंकि इससे आतंकवाद और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने में मदद मिल रही है।
गृह मंत्रालय ने संकेत दिया है कि यह अभियान और अधिक तेज़ किया जाएगा और फर्जी दस्तावेज़ बनाने वाले नेटवर्क को पूरी तरह तोड़ने पर फोकस किया जाएगा। इसके साथ ही सीमा पर निगरानी बढ़ाने और डिटेंशन सेंटर्स स्थापित करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार की पुश-बैक नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। ऑल BTC माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन की याचिका में कहा गया था कि असम सरकार बिना फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल की घोषणा, नागरिकता सत्यापन या कानूनी उपचार के बिना, विदेशियों के रूप में संदेह होने पर लोगों को बड़े पैमाने पर और अंधाधुंध हिरासत में ले रही है और निर्वासित कर रही है।
ऑल-असम BTC मुस्लिम स्टूडेंट्स यूनियन ने जनहित याचिका दाखिल की थी। उनका आरोप है कि असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या की है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले यह स्पष्ट कहा था कि यदि पहचान किए गए बांग्लादेशी पहले से डिटेंशन कैंप में हैं, तो उन्हें बांग्लादेश भेजा जा सकता है। अन्यथा, लंबित कार्यवाही के अनुसार उनका निर्णय लिया जाए, और उनके अनुसार पहचाने गए बांग्लादेशियों को ही निर्वासित किया जाए।
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