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कौन हैं करणी माता, जिनके नाम पर बनी है करणी सेना? आखिर किस देवी का स्वरूप मानी जाती हैं?
Karni Mata Temple: करणी माता को देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। राजस्थानी समाज विशेषकर राजपूत और चारण समुदाय उन्हें अत्यंत श्रद्धा और भक्ति से पूजते हैं।
Karni Sena History
Karni Mata Temple: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को बीकानेर में 'अमृत भारत स्टेशन योजना' के तहत बने देशनोक रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया। इस दौरे में प्रधानमंत्री ने 6 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की विकास योजनाओं की शुरुआत एवं शिलान्यास किया। उद्घाटन के पश्चात प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित किया। अपने इस संबोधन में बीते दिनों पाकिस्तान के साथ चल रहे विवाद पर उन्होंने पड़ोसी मुल्क को चेतावनी देते हुए कहा है कि पाकिस्तान से अब सिर्फ पीओके को लेकर ही बात होगी। साथ ही पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के माहौल को लेकर भी उन्होंने कई सारी अहम बातें की। अपने इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी 'करणी माता मंदिर' जाकर मां के दर्शन भी किए। इसी कड़ी में आज हम आपको करणी माता मंदिर से संबंधित इतिहास के बारे में कुछ विशेष बातें बता रहे हैं।
कौन हैं करणी माता?
करणी माता का जन्म लगभग 1387 में राजस्थान के नागौर ज़िले में हुआ। उनका जन्म चारण समाज में हुआ था। इनका असली नाम रिड़ी बाई था। उनका जन्म चारण समाज में हुआ था। बहुत छोटी सी उम्र में ही इनके भीतर आध्यात्मिकता के लक्षण दिखाई देने लगे थे। उन्होंने विवाह तो किया, लेकिन सांसारिक जीवन को त्याग कर आध्यात्मिकता का रास्ता अपना लिया। उनमें बहुत ही चमत्कारिक शक्तियां भी थीं। करणी माता ने कई राजाओं का मार्गदर्शन किया। कहते है माता ने जोधपुर और बीकानेर की स्थापना में भूमिका निभाई थी। राव बीका और राव जोधा जैसे शासकों पर उनका आशीर्वाद था।
देवी दुर्गा का रूप हैं करणी माता
जैसा कि हम सब भलीभांति जानते हैं कि भारत विविध देवी-देवताओं की भूमि है। यहां लोकदेवियों और देवताओं का गहरा इतिहास है। इन्हीं लोकदेवियों में एक प्रमुख नाम है करणी माता का, जिन्हें देवी के रूप में पूजा जाता है। करणी माता को दुर्गा का अवतार माना जाता है। राजस्थानी समाज विशेषकर राजपूत और चारण समुदाय अत्यंत श्रद्धा और भक्ति से पूजते हैं। साथ ही ये शेखावत समाज की कुलदेवी मानी जाती हैं। करणी माता के नाम पर ही करणी सेना का गठन हुआ, जो आज एक प्रभावशाली सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन के रूप में जाना जाता है।
काले चूहों के कारण विश्व प्रसिद्ध है यह मंदिर
बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर है। वहां पाए जाने वाले हजारों काले चूहों के कारण यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। इन चूहों को करणी माता के परिवारजनों का पुनर्जन्म माना जाता है। इन्हें ‘काबा’ कहा जाता है और इनका विशेष ध्यान रखा जाता है।
क्या है इस मंदिर की धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करणी माता के पुत्र लक्ष्मण सरोवर से पानी पीते समय डूब जाते हैं। जब मां को यह बात पता चली तो उन्होंने यमराज से लक्ष्मण को जीवित करने की काफी प्रार्थना की, जिसके बाद यमराज ने विवश होकर उसे चूहे के रूप में पुनर्जीवित किया , तब से इन चूहों को उनके परिवारजनों का पुनर्जन्म माना जाता है। मंदिर में इन चूहों के बीच प्रसाद खाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यहां नवरात्रों में भव्य मेलों का आयोजन होता है। करणी माता के मंदिर का वर्तमान स्वरूप का निर्माण 'महाराजा गंगा सिंह' ने करवाया था।
क्या है करणी सेना का करणी माता से संबंध
करणी माता के नाम पर 23 सितंबर 2006 को जयपुर के झोटवाड़ा में 'करणी सेना' की स्थापना हुई। इसकी स्थापना जयपुर में लोकेंद्र सिंह कालवी के नेतृत्व में हुई थी। शुरुआत में यह संगठन राजपूत समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक स्तर को ऊपर उठाने के लिए बनाया गया था। करणी सेना ने बाद में कई सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी मुखर भूमिका निभाई। खासतौर पर इतिहास और परंपरा से जुड़े मामलों में यह संगठन सक्रिय रहा है। फिल्मों, पाठ्यक्रमों और सामाजिक नीतियों में राजपूत समाज की छवि को सही ढंग से प्रस्तुत करने की मांग को लेकर यह सेना अक्सर सुर्खियों में रहती है। इसका सबसे चर्चित उदाहरण 2017 की फिल्म पद्मावत के विरोध में किया गया आंदोलन रहा, जिसने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया। कई मौकों पर करणी सेना के आक्रामक आंदोलनों ने विवाद भी पैदा किए इस पर कुछ लोग सेना को अतिवादी कहते हैं, तो कुछ इसे सांस्कृतिक रक्षक के रूप में देखते हैं। फिलहाल करणी माता की भूमिका केवल एक धार्मिक देवी तक ही नहीं है बल्कि वे एक सामाजिक चेतना, जनकल्याण और सांस्कृतिक गौरव की देवी हैं।
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