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'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर 22 अप्रैल को जेपीसी की अहम बैठक, मॉनसून सत्र में बिल पास करा सकती है सरकार
बैठक की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता के साथ बातचीत से होगी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसएन झा और फिर 21वीं विधि आयोग के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीएस चौहान अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
One nation One Election
JPC Meeting on One Nation, One Election: ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ यानी 'एक देश, एक चुनाव' को लेकर देश भर में बहस का माहौल गर्म है और इसी बीच इस मुद्दे पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की अगली महत्वपूर्ण बैठक 22 अप्रैल को आयोजित की जा रही है। यह बैठक सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी, जिसमें कई वरिष्ठ न्यायविद और विशेषज्ञ अपनी राय साझा करेंगे।
न्यायमूर्तियों और वरिष्ठ अधिवक्ता से होगी बातचीत
बैठक की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता के साथ बातचीत से होगी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसएन झा और फिर 21वीं विधि आयोग के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीएस चौहान अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। दिन का अंतिम सत्र राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी के साथ होगा।
वेबसाइट लॉन्च को लेकर भी तैयारी
इससे पहले JPC के चेयरमैन और बीजेपी सांसद पीपी चौधरी ने बताया कि समिति दो अहम निर्णयों पर काम कर रही है। पहला, इस विषय पर विज्ञापन देश की सभी भाषाओं में जारी किया जाएगा ताकि सभी वर्गों के लोग अपनी राय दे सकें। दूसरा, एक वेबसाइट तैयार की जा रही है, जो जल्द लॉन्च होगी। इस वेबसाइट पर QR कोड की सुविधा के साथ सुझाव लिए जाएंगे, जिन्हें बाद में सांसदों द्वारा समीक्षा की जाएगी। चौधरी ने बताया कि तकनीकी विकास में थोड़ा समय लग रहा है ताकि वेबसाइट लॉन्च के बाद क्रैश न हो।
राज्यों का दौरा भी करेगी समिति
पीपी चौधरी ने जानकारी दी कि समिति विभिन्न राज्यों का दौरा कर वहां के लोगों की राय जानने की योजना बना रही है। सबसे पहले महाराष्ट्र, फिर मई में उत्तराखंड, और जून में जम्मू-कश्मीर व चंडीगढ़ (पंजाब और हरियाणा सहित) का दौरा किया जाएगा। दौरे को क्षेत्रवार विभाजित किया गया है।
बार-बार चुनाव से रुकता है विकास: पीपी चौधरी
पीपी चौधरी ने कहा, “देश में हर 5-6 महीने में कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। सांसद और विधायक लगातार चुनावी मोड में रहते हैं, जिससे जरूरी विकास कार्यों में बाधा आती है। अगर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की व्यवस्था लागू होती है तो विकसित भारत का सपना 2047 से पहले ही पूरा हो सकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि अब केंद्र सरकार का विचार है कि पंचायत, नगर पालिका और अन्य स्थानीय निकाय चुनाव लोकसभा और विधानसभा चुनावों के 100 दिनों के भीतर करवाए जाएं।
25 मार्च की बैठक में रखे गए अहम सुझाव
25 मार्च को हुई पिछली बैठक में भी यह मुद्दा व्यापक रूप से चर्चा में रहा। उस बैठक में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने अपनी बातें रखीं।
डीएन पटेल ने कहा कि यह प्रस्ताव चुनावी खर्च को कम करने, शासन को बेहतर बनाने और चुनावी चक्र को सरल बनाने में मददगार हो सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि EVM की व्यवस्था, सुरक्षा और स्टाफिंग जैसे व्यावहारिक पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना होगा।
अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणि ने भी प्रस्तावित संशोधनों को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ नहीं बताया और कहा कि इससे गवर्नेंस में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि चुनाव आयोग की भूमिका और शक्तियों को इन संशोधनों में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।
कुछ सांसदों ने उठाए सवाल
बैठक में कुछ सांसदों ने यह सवाल उठाया कि लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराना कितना व्यावहारिक होगा? उन्होंने यह भी पूछा कि जब राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दे अलग-अलग होते हैं, तो क्या एक साथ चुनाव कराना लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप होगा?
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