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सड़क से सदन तक लालू की सियासत: कैसे एक यादव परिवार बना बिहार का सबसे बड़ा राजनीतिक ब्रांड

Lalu Yadav History: लालू यादव का राजनीतिक परिवार: कैसे सड़क से सदन तक बिहार का सबसे बड़ा सियासी ब्रांड बना यह यादव कुनबा? जानें लालू, राबड़ी, तेजस्वी और तेजप्रताप समेत पूरे परिवार की सियासत का सफर।

Harsh Srivastava
Published on: 25 May 2025 6:02 PM IST (Updated on: 25 May 2025 6:17 PM IST)
Lalu Yadav History
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Lalu Yadav History

Lalu Yadav History: जब बिहार की मिट्टी से कोई आवाज़ उठती है, तो उसमें या तो विद्रोह होता है या सत्ता की दस्तक। और अगर वह आवाज़ ‘लालू प्रसाद यादव’ की हो, तो समझिए देश की राजनीति करवट लेने वाली है या ले चुकी है लालू यादव अक्सर किसी ना किसी वजह से सुर्ख़ियों में रहते आए और एक बार फिर अपने बड़े बेटे को पार्टी परिवार से निकालने के मामले की वजह से उनका नाम सुर्खियों में है।लालू यादव ऐसा नाम है जो कभी हास्य का पात्र बना, कभी जातीय राजनीति का चेहरा, लेकिन हमेशा सत्ता और सड़कों दोनों पर चर्चा में रहा। लालू यादव सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक चलती-फिरती राजनीतिक संस्था हैं, और उनका परिवार... उस संस्था का फैलता साम्राज्य। आज जब उनके बेटे तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में खुद को मुख्यमंत्री पद के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित कर रहे हैं, तब सवाल यह उठता है कि लालू का यह विशाल राजनीतिक परिवार कैसे बना? कहां से शुरू हुआ लालू का सफर, और कैसे उनके हर बच्चे ने सियासत में अपने-अपने अंदाज़ से दस्तक दी? यह रिपोर्ट उसी विरासत का पूरा खाका खींचती है।


गांव से गांधी मैदान तक: लालू का शुरुआती जीवन

लालू यादव का जन्म 11 जून, 1948 को बिहार के गोपालगंज ज़िले के फुलवरिया गांव में एक साधारण यादव परिवार में हुआ। उनके पिता किसान थे और परिवार आर्थिक रूप से बेहद साधारण था। लालू ने पटना विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक और फिर एलएलबी की पढ़ाई की। छात्र जीवन में ही उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई। जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए उन्होंने बिहार की छात्र राजनीति में धाक जमाई। लालू यादव का राजनीतिक कद उस वक्त ऊंचा हुआ जब 1977 में मात्र 29 साल की उम्र में वह छपरा से लोकसभा चुनाव जीतकर देश के सबसे युवा सांसदों में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1990 में जब वह बिहार के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने सामाजिक न्याय और पिछड़ा वर्ग राजनीति को राज्य की धड़कन बना दिया।


राबड़ी देवी: एक अनपढ़ गृहिणी से मुख्यमंत्री तक का सफर

लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी का जीवन भारतीय राजनीति की सबसे अनोखी कहानियों में से एक है। वह एक पारंपरिक महिला थीं, जिन्होंने कभी स्कूल की दहलीज़ तक नहीं देखी। लेकिन 1997 में जब लालू यादव चारा घोटाले में फंसे और जेल गए, तब उन्होंने राबड़ी को मुख्यमंत्री बना दिया। यह निर्णय पूरे देश के लिए चौंकाने वाला था। राबड़ी देवी ने आलोचनाओं को नजरअंदाज करते हुए लगातार दो बार मुख्यमंत्री पद संभाला और अपने पति की राजनीतिक विरासत को बचाए रखा। धीरे-धीरे वह लालू की छाया से बाहर निकलकर एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित हुईं।


तेजस्वी यादव: क्रिकेटर से क्राउन प्रिंस तक

लालू यादव के नौ बच्चों में सबसे ज्यादा चर्चा तेजस्वी यादव की होती है। कभी वह क्रिकेटर बनने का सपना लेकर दिल्ली और फिर IPL की डगर पर निकले। लेकिन असफलता के बाद राजनीति में लौटे। तेजस्वी ने लालू की राजनीतिक शैली को नए ज़माने के नये तरीकों से जोड़ा। उन्होंने युवा मतदाताओं से संवाद, सोशल मीडिया का इस्तेमाल और सधी हुई भाषाशैली से खुद को एक परिपक्व नेता के रूप में गढ़ा। वर्तमान में वे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं। लालू यादव ने खुद उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर रखा है। तेजस्वी की सबसे बड़ी ताक़त यह है कि वे अपने पिता की छवि के बावजूद खुद को ‘विकास पुरुष’ के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं।


तेजप्रताप यादव: राजनीतिक 'लव गुरु' या असंतुलित योद्धा?

तेजप्रताप लालू के बड़े बेटे हैं। वह भी राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन तेजस्वी की तुलना में उनका व्यक्तित्व कम परिपक्व और अधिक भावुक माना जाता है। कभी कृष्ण के वेश में रथ पर चढ़कर प्रचार करते हैं, तो कभी सार्वजनिक मंच से अपने ही पार्टी नेताओं को ललकारते हैं। उनकी शादी भी मीडिया की सुर्खियों में रही। ऐश्वर्या राय नाम की राजनैतिक परिवार की लड़की से उनका विवाह हुआ, जो बाद में बेहद विवादास्पद ढंग से टूटा। तेजप्रताप राजनीति में खुद को गंभीरता से लिए जाने की कोशिश करते हैं। लेकिन अब तक वे अपने छोटे भाई की छाया से निकलने में असफल रहे हैं।


मिस्टर इंडिया: चंद्रिका राय और ऐश्वर्या राय की कहानी

लालू यादव के परिवार का दायरा केवल रक्त संबंधों तक सीमित नहीं है। राजनीतिक रिश्तों में भी यह परिवार गहराई से जुड़ा है। ऐश्वर्या राय, जिनसे तेजप्रताप का विवाह हुआ था, राजद के पुराने सहयोगी चंद्रिका राय की बेटी हैं। लेकिन विवाह टूटने के बाद चंद्रिका राय और ऐश्वर्या दोनों राजद के खिलाफ हो गए। जदयू के पाले में चले गए। यह शादी और तलाक लालू परिवार की अंदरूनी कलह का सार्वजनिक चेहरा बन गई और तेजप्रताप की छवि को भी नुकसान पहुंचा।


बेटियों की दुनिया: सादगी, सेवा और सियासत से दूरी

लालू यादव की सात बेटियां हैं, जिनमें से अधिकतर सार्वजनिक जीवन से दूर रहती हैं। हालांकि, मीसा भारती को राजनीतिक मंच पर उतारा गया है। मीसा, पटना मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर बनीं और 2014 में पहली बार राज्यसभा सांसद बनीं। बाद में उन्होंने लोकसभा का भी चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। वे अपने पिता की सबसे करीबी मानी जाती हैं और कई बार तेजस्वी से भी ज़्यादा प्रभावशाली रही हैं। बाकी बेटियां जैसे रोहिणी आचार्य, जो अब सिंगापुर में रहती हैं, कभी-कभी ट्विटर पर अपने बयानों से चर्चा में रहती हैं। हाल ही में उन्होंने पिता की बीमारी के वक्त अपनी किडनी उन्हें डोनेट कर दी, जिससे पूरा देश भावुक हो उठा।


रॉयल लेकिन रूटेड: जीवनशैली की सच्चाई

लालू परिवार की जीवनशैली एक अजीब विरोधाभास है। एक ओर राबड़ी देवी आज भी सरकारी आवास में देसी ठाट में रहती हैं—गाय, गोबर, दही-चूड़ा और मिट्टी की सौंधी गंध के साथ। वहीं तेजस्वी और मीसा जैसी नई पीढ़ी शहरी जीवनशैली, विदेशी यात्राओं, महंगे कपड़े और सोशल मीडिया ब्रांडिंग में रची-बसी नज़र आती है। तेजस्वी के पास करोड़ों की संपत्ति है, पटना से दिल्ली और गोपालगंज तक अचल संपत्तियों का जाल फैला हुआ है। लालू और राबड़ी के खिलाफ कई बार भ्रष्टाचार के मामले उठते रहे हैं, लेकिन उनका सामाजिक समर्थन अभी भी मजबूत है।


सियासी साम्राज्य या पारिवारिक पार्टी

लालू यादव ने एक समय खुद कहा था "राजनीति मेरे खून में है, और अब यह मेरे बच्चों की नसों में भी दौड़ती है।" राजद अब एक ‘फैमिली पार्टी’ के रूप में विख्यात हो चुकी है, जहां हर बड़ा फैसला परिवार के भीतर ही होता है। तेजस्वी नेता हैं, राबड़ी मार्गदर्शक हैं, मीसा रणनीतिकार, और तेजप्रताप ‘फैक्टर’।लेकिन यही पारिवारिक सत्ता विपक्षी दलों के लिए निशाना भी है। भाजपा और जदयू लगातार लालू परिवार पर ‘घोटालों की खान’, ‘वंशवाद की मिसाल’ और ‘अपराध-संरक्षित राजनीति’ जैसे आरोप लगाते हैं।

लालू परिवार—सत्ता, संघर्ष और संवेदना का प्रतीक

लालू यादव का परिवार भारत की राजनीति में एक दुर्लभ उदाहरण है, जहां एक गरीब, पिछड़े वर्ग का युवक देश का रेल मंत्री बना, मुख्यमंत्री बना और फिर उसके बच्चों ने उसी विरासत को आगे बढ़ाया—चाहे सियासी हो या विवादास्पद। राजद का भविष्य अब लालू यादव के वारिसों के कंधों पर है। तेजस्वी यदि इस विरासत को एक नए बिहार के निर्माण में बदल पाते हैं, तो यह परिवार सिर्फ एक राजनीतिक गाथा नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय के नए युग की शुरुआत बन सकता है। लेकिन एक बात तय है जब भी बिहार में चुनावी रणभेरी बजेगी, लालू यादव और उनके परिवार का नाम हवा में जरूर गूंजेगा... कभी श्रद्धा के साथ, कभी सवालों के साथ, लेकिन हमेशा असर के साथ।

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Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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