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आलोचनाओं से बेपरवाह मोदी सरकार 1 फरवरी को अंतरिम नहीं बल्कि पेश करेगी पूर्ण बजट
संविधान का मुद्दा उठाकर मोदी सरकार को घेरने वाले विपक्ष की इसी रणनीति का लाभ भाजपा नेतृत्व वाला एनडीए उठाने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने आगामी एक फरवरी को अंतरिम के बजाय पूर्ण बजट पेश करने की तैयारी कर ली है। विपक्ष की आलोचनाओं से बेपरवाह भाजपा का कहना है कि संविधान में अंतरिम बजट का कोई उल्लेख नहीं है।
नई दिल्ली: संविधान का मुद्दा उठाकर मोदी सरकार को घेरने वाले विपक्ष की इसी रणनीति का लाभ भाजपा नेतृत्व वाला एनडीए उठाने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने आगामी एक फरवरी को अंतरिम के बजाय पूर्ण बजट पेश करने की तैयारी कर ली है। विपक्ष की आलोचनाओं से बेपरवाह भाजपा का कहना है कि संविधान में अंतरिम बजट का कोई उल्लेख नहीं है।
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बता दें कि आमतौर पर अपने कार्यकाल के महज कुछ महीने शेष रहने पर पूर्ण की बजाय अंतरिम बजट पेश करने की परंपरा रही है। अगर मोदी सरकार ने पूर्ण बजट पेश किया तो यह किसी चुनावी वर्ष में पेश होने वाला पहला पूर्ण बजट होगा। लेकिन भाजपा के एक शीर्षस्थ नेता का कहना है कि आम बजट तो आम बजट होता है। संविधान में कहीं भी अंतरिम बजट का उल्लेख नहीं है। फिर जब नई सरकार को पुरानी सरकारों की घोषणाओं पर रोक लगाने का अधिकार है तो यह बहस का विषय ही नहीं होना चाहिए।
उक्त नेता ने यह भी कहा कि एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में किस वर्ग को क्या राहत देनी है, इसका फैसला सरकार करेगी। जहां तक लंबित बिलों की बात है तो ऐसे सभी महत्वपूर्ण बिलों को संसद में पेश किया जाएगा।
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मध्य और किसान वर्ग को लुभाने पर रहेगी नजर
पार्टी सूत्रों का कहना है कि बजट में फिलहाल सरकार मध्य और किसान वर्ग को राहत देने के उपायों पर मंथन कर रही है। खासतौर से मध्य वर्ग के लिए आयकर राहत का दायरा बढ़ाने पर विमर्श अंतिम दौर में है। सरकार पर आरोप है कि उसके करीब पौने पांच साल के कार्यकाल में मध्य वर्ग को राहत देने के लिए कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया। चुनावी बजट में सरकार इस आरोप से बाहर निकलना चाहती है। इसी तरह किसानों को भी ऋण माफी के इतर अन्य तरह की राहत देने पर माथापच्ची हो रही है।
तीन तलाक बिल पारित कराने के लिए भी रणनीति
साथ ही नागरिकता संशोधन, तीन तलाक सहित करीब एक दर्जन अन्य बिलों को भी संसद में मंजूरी दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाएगी। तीन तलाक और नागरिकता संशोधन बिल के जरिए पार्टी चुनाव से ठीक पहले सियासी लाभ उठाना चाहती है। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि अगर इन बिलों को संसद की मंजूरी नहीं मिली तो चुनाव में पार्टी के सामने विपक्ष पर अड़ंगा लगाने के आरोप का मौका मिलेगा। गौरतलब है कि संसद की मंजूरी नहीं मिलने के बाद तीन तलाक मामले में सरकार ने दूसरी बार अध्यादेश जारी किया है।
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