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UP News: पुरानी फाइल से! बच्चों के हितों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय बाल आयोग के गठन का निर्णय

National Children's Commission: हाल ही में, भारत सरकार ने बच्चों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय बाल आयोग की गठन की घोषणा की है। इस आयोग में कुल छह सदस्य होंगे जिनमें से एक अध्यक्ष होगा। इस आयोग का मुख्य उद्देश्य बच्चों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस आयोग के गठन के बाद, बच्चों को जुड़े मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा और वे सुरक्षित रहेंगे।

Yogesh Mishra
Published on: 14 May 2023 11:49 PM IST
UP News: पुरानी फाइल से! बच्चों के हितों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय बाल आयोग के गठन का निर्णय
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National Children's Commission (social media)

National Children Commission: नई दिल्ली, 19 जुलाई, 2000, केंद्र सरकार ने बाल अधिकारों की बेहतर रक्षा करने और बच्चों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बाल आयोग के गठन का फैसला किया है। आयोग के गठन की औपचारिक घोषणा अगले माह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने महिला एवं बाल विकास विभाग करेगा। आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा। आयोग यदि आवश्यक समझेगा तो केंद्र की अनुमति से देश के किसी अन्य हिस्से में भी अपना कार्यालय खोल सकता है।

राष्ट्रीय बाल आयोग में अध्यक्ष सहित कुल छह सदस्य होंगे। अभी तक लिए गए निर्णयों के अनुसार आयोग का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय का अवकाश प्राप्त न्यायाधीश होगा। लेकिन इस पर अभी आम सहमति होना बाकी है। प्राथमिक शिक्षा से संबंधित किसी ख्याति प्राप्त शिक्षा शास्त्री, बालरोग विशेषज्ञ, बाल कल्याण व बाल अधिकार के क्षेत्रों में दस वर्ष की विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्तियों को भी आयोग का सदस्य बनाया जा सकता है। बालकों को न्याय दिलाने की दिशा में दस वर्षों से सक्रिय तौर पर जुड़े रहने वाले और बालश्रम उन्मूलन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाले व्यक्तियों सहित देश के किसी भी उच्च न्यायालय में कार्यरत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश को भी आयोग का सदस्य बनाए जाने का निर्णय लिया गया है।

राष्ट्रीय बाल आयोग में एक सदस्य सचिव भी नियुक्त किया जाएगा। आयोग के सदस्य सचिव का दर्जा केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव अथवा अतिरिक्त सचिव के बराबर होगा। राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति को होगा। राष्ट्रपति इनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुति के आधार पर ही करेंगे। इस समिति के सदस्यों में लोकसभा अध्यक्ष, मानव संसाधन विकास मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के नेता विरोधी दल सहित राज्यसभा के उपाध्यक्ष भी होंगे। आयोग के सदस्यों और अध्यक्ष का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा । लेकिन पैसठ साल से अधिक उम्र होने पर आयोग की सदस्य व अध्यक्ष को पद से वंचित होना पड़ेगा।

आयोग किसी भी न्यायालय में बाल अधिकारों के हनन से संबंधित चल रहे मामलों में हस्तक्षेप कर सकेगा। किसी भी जेल में, किसी भी अपराध में बंद बच्चों की स्थिति जानने के लिए उसका दौरा कर सकेगा और देखेगा कि उनके साथ उचित बर्ताव किया जा रहा है या नहीं। आयोग सरकार द्वारा बाल कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगा।

बच्चों खासकर बालिकाओं के साथ किए जाने वाले दुर्व्यवहारों की पहचान करेगा। चाहे वह परिवार के भीतर हो, स्कूलों में हो, कारखानों में हो या गली मुहल्लों में हो। यह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बाल अधिकारों के संबंध में हुए समझौतों का अध्ययन करेगा और उपयुक्त सिफारिशें देने के साथ ही बच्चों से संबंधित मसलों पर अनुसंधान करेगा।
(मूल रूप से दैनिक जागरण के नई दिल्ली संस्करण में दिनांक- 20 जुलाई, 2000 को प्रकाशित)



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Yogesh Mishra

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