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जिसके साथ भारत ने जोड़ा था 'रोटी और बेटी' का रिश्ता, आज वही 'नेपाल' आखें दिखा रहा
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव अभी भी बना हुआ है। एलएसी पर भारत की तैयारी देख चीन तिलमिलाया हुआ है। वह अब भारत को परेशान करने के लिए पाकिस्तान और नेपाल की मदद ले रहा है।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव अभी भी बना हुआ है। एलएसी पर भारत की तैयारी देख चीन तिलमिलाया हुआ है। वह अब भारत को परेशान करने के लिए पाकिस्तान और नेपाल की मदद ले रहा है। उसके बदले दोनों देशों को वह भारी भरकम कर्ज भी दे रहा है।
ये चीन ही है, जिसके बहकावे में आकर नेपाल बार-बार भारत विरोधी कदम उठाने से बाज नहीं आ रहा है। ये हाल तब है जबकि अभी कुछ समय पहले ही भारत ने उसे एक जोड़ी नई अत्याधुनिक ट्रेनों की सौगातें दी है।
पीएम नरेंद्र मोदी की फोटो(सोशल मीडिया)
अब कौन सा कदम उठाने जा रहा नेपाल
प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा जैसे भारतीय क्षेत्र को अपने नक्शे में दिखाने के बाद अब नेपाल सरकार वहां जनगणना कराने की तैयारी कर रही है।
बताया जा रहा है कि केपी शर्मा ओली की नेतृत्व वाली ओली सरकार अगले साल 28 मई से 12वीं जनगणना शुरू कर रही है जिसके तहत इन भारतीयों क्षेत्र में भी जनगणना कराने की बात कही जा रही है।
ये बात नेपाल के स्थानीय अखबार काठमांडू पोस्ट के जरिये बाहर आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन विवादित इलाकों में नेपाल मकानों की भी गिनती कराएगा।
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नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली की फोटो(सोशल मीडिया)
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पहले भी इन तीनों भारतीय इलाकों पर नेपाल जता चुका है अपना हक
गौरतलब है कि भारत और नेपाल के सम्बन्धों में कडवाहट आने के पीछे असली वजह भी यही तीन इलाके हैं।
जानकारी के मुताबिक पहले नेपाल ने इन तीनों इलाकों पर अपना हक जताया और फिर संसद से उसके नक्शे को भी पास भी करवा दिया। एक्सपर्ट्स के अनुसार नेपाल ये सब चीन के प्रभाव में आकर कर रहा है। चीन चाहता है कि नेपाल और पाकिस्तान दोनों ही भारत को परेशान करे।
कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा के इलाकों में जनगणना काम नेपाल के नेशनल प्लानिंग कमीशन को करना है लेकिन वहां के सेंट्रल बूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स को भय है कि सरकार के इस कदम से भारत के साध सम्बन्ध और भी ज्यादा बिगड़ सकते हैं।
इतना ही नहीं सूत्रों के मुताबिक केपी शर्मा ओली सरकार को भी इस बात का डर है अगर भारत नाराज हो गया तो इसपर क्या प्रतिक्रिया होगी। यही वजह है कि नेपाल सरकार अभी खुलकर इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोल रही है।