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वैक्सीनेशन से मौत: अब तक नहीं हो सका साबित, आखिर क्यों दम तोड़ रहे लोग
भारत में वैक्सीनेशन के बाद कुछ मौतें हुईं हैं लेकिन इन मौतों की वजह क्या रही है, ये निश्चित तौर पर नहीं बताया जा सका है। भारत ही नहीं, अन्य देशों में भी कोरोना वैक्सीन के बाद मौतें हुईं हैं।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली: विश्व भर में कोरोना वायरस वैक्सीनेशन जारी है और लोगों में उत्साह बढ़ता जा रहा है। लेकिन कभी कभार वैक्सीनेशन के बाद मौतों की भी खबरें आती जा रहीं हैं। भारत में अब तक 2.40 करोड़ से ज्यादा कोरोना वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है। वैक्सीन आम तौर पर हानिरहित होती हैं।
कुछ लोगों के मामले में वे साइड इफ़ेक्ट ज़रूर पैदा करती हैं, परंतु ये जल्दी ही ख़त्म हो जाते हैं। हां, कभी-कभी वैक्सीन लेने के बाद कुछ लोगों की मौत होने की ख़बरें भी मिली हैं लेकिन वह मौत वैक्सीन के कारण हुई हो, ऐसा प्रमाण अभी तक नहीं मिला है।
वैक्सीनेशन के बाद हुईं मौतें, लेकिन...
भारत में वैक्सीनेशन के बाद कुछ मौतें हुईं हैं लेकिन इन मौतों की वजह क्या रही है, ये निश्चित तौर पर नहीं बताया जा सका है। ताजा घटना पश्चिम बंगाल की है जहाँ एक 64 वर्षीय व्यक्ति की कोरोना वैक्सीन लगने के बाद मौत हो गई है। इसके पहले मुंबई के गोरेगांव में एक शख्स की कोरोना वैक्सीन के चंद घंटे में मौत हो गई।
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महाराष्ट्र के ही ठाणे जिले के भिवंडी के अस्पताल में कोरोना के टीके की दूसरी खुराक दिए जाने के बाद 45 साल के एक व्यक्ति की मौत हो गई। उधर राजस्थान के कोटा में कोरोना वैक्सीन लेने के बाद 24 घंटे के भीतर एक 60 साल के बुजुर्ग की मौत का मामला सामने आया है।
अन्य देशों में भी वैक्सीनेशन के बाद हुईं मौतें
भारत ही नहीं, अन्य देशों में भी कोरोना वैक्सीन के बाद मौतें हुईं हैं। ऑस्ट्रिया में तो एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के एक बैच के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। ये रोक एक एक महिला के वैक्सीन लेने के बाद मौत हो जाने की वजह से लगाई गई।
इन सभी मौतों का असली कारण अभी पता नहीं चल सका है हालांकि अधिकारीयों का कहना है कि जिनकी मौत हुई है वे किसी न किसी बीमारी से ग्रसित थे।
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साइड इफ़ेक्ट कोई अचरज की बात नहीं
वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट होते हैं जैसे बुख़ार आ सकता है, धड़कन बढ़ जाना, चक्कर आना, स्किन पर चकत्ते पड़ जाना लेकिन यह बहुत ही कम लोगों के साथ होता है। मौत के मामले तो बहुत ही रेयर होते हैं।
साइड इफेक्ट की बात करें तो जब टीके के तौर पर मुर्दा वायरस या बैक्टीरिया हमारे शरीर में प्रवेश करता है और शरीर उसे असली और ज़िंदा समझकर हरकत में आ जाता है, तब कई तरह की प्रतिक्रियाएं होती हैं। इन्हीं के कारण बुख़ार, चक्कर, धड़कन आदि होता है। लेकिन कभी कभार गंभीर साइड इफ़ेक्ट भी हो सकते हैं।
इसी कारण हर वैक्सीन का ट्रायल चलता है। नॉर्मल समय में दो से तीन साल तक, यह पता लगाने के लिए कि कहीं किसी ख़ास तरह के लोगों पर इसकी नकारात्मक प्रतिक्रिया तो नहीं होती। अगर ऐसा पाया जाता है तो उस श्रेणी के लोगों को वह टीका नहीं दिया जाता।
वैक्सीन से मौत का प्रमाण नहीं
जहां तक वैक्सीन से मौत का सवाल है तो ऐसा बहुत कम होता है। अब अगर किसी की मौत होती है तो वह मौत वैक्सीन के कारण हुई हो, इसका प्रमाण अभी तक नहीं मिला है। अगर गंभीर साइड इफ़ेक्ट होता है तो वो इसलिए होता है क्योंकि कमज़ोर इम्यून सिस्टम वाला कोई शरीर मुर्दा वायरस को असली समझकर घबरा भी सकता है और उस घबराहट का नतीजा घातक भी हो सकता है।
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