Bihar News: ओम प्रकाश राजभर ने कोटे के भीतर कोटा को लेकर बजाया सामाजिक न्याय की लड़ाई का बिगुल

Bihar News: उप-वर्गीकरण, या 'कोटा के भीतर कोटा' के पीछे का विचार पिछड़े समूहों को सकारात्मक कार्रवाई नीतियों में तरजीही उपचार प्रदान करना है जो दूसरों की तुलना में अधिक वंचित हैं।

Ramkrishna Vajpei
Published on: 15 April 2025 8:48 AM IST (Updated on: 15 April 2025 9:36 AM IST)
Om Prakash Rajbhar News
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Om Prakash Rajbhar News (Image From Social Media)

Bihar News: मध्य विद्यालय खेल मैदान, राजापुर जनपद बक्सर (बिहार) में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के तत्वावधान में संविधान शिल्पी बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर की पावन जयंती के शुभ अवसर पर शोषित, वंचित एवं पिछड़ा वर्ग जागरूकता विशाल महा रैली का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे।

यह जानकारी देते हुए राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव अरविंद राजभर ने बताया कि ओम प्रकाश राजभर ने बाबा साहेब के विचारों, उनके संघर्षों और समाज को दिए गए अधिकारों की गौरवगाथा को याद करते हुए कहा— "डॉ. अंबेडकर का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उनका सपना था कि समाज का अंतिम व्यक्ति भी सम्मान और बराबरी के साथ जी सके, और यही लक्ष्य हमारी पार्टी का भी है।" कार्यक्रम में भारी संख्या में उपस्थित जनसमूह ने "बाबा साहेब अमर रहें" के नारों के साथ सामाजिक न्याय और अधिकारों की लड़ाई को और तेज करने का संकल्प लिया।


आपको बता दें कि भाजपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) ने ओबीसी और एससी समुदायों में "सबसे" पिछड़े लोगों के लिए कोटे के भीतर कोटा की मांग को उठाने के लिए 14 अप्रैल को दलित आइकन भीमराव अंबेडकर की आगामी जयंती को चुनने का फैसला किया था।


ओम प्रकाश राजभर की पार्टी ने सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को लागू करने के लिए व्यापक स्तर पर सम्मेलनों की शुरुआत की है। इसमें ओबीसी के साथ-साथ एससी के भीतर अधिक/सबसे पिछड़े वर्गों के लिए एक अलग कोटा आवंटित करने की परिकल्पना की गई है।


राजभर का कहना है "अगर हरियाणा ऐसा कर सकता है, तो यूपी व अन्य राज्य क्यों नहीं कर सकते?" पिछले साल 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने 6:1 बहुमत से फैसला सुनाया कि राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के भीतर उप-वर्गीकरण बना सकते हैं। उप-वर्गीकरण, या 'कोटा के भीतर कोटा' के पीछे का विचार पिछड़े समूहों को सकारात्मक कार्रवाई नीतियों में तरजीही उपचार प्रदान करना है जो दूसरों की तुलना में अधिक वंचित हैं।

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