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भारत में कोरोना का एक मरीज कर रहा 1.7 लोगों को बीमार
अभी तक का आंकड़ा बता रहा है कि प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति 1.7 अन्य लोगों में ये वायरस फैला रहा है। कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित देशों की तुलना में भारत में संक्रमण फैलने की दर काफी कम है।
नीलमणि लाल
लखनऊ: भारत में कोरोना वायरस का प्रकोप तो है लेकिन संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की रफ्तार अपेक्षाकृत धीमी है। अभी तक का आंकड़ा बता रहा है कि प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति 1.7 अन्य लोगों में ये वायरस फैला रहा है। कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित देशों की तुलना में भारत में संक्रमण फैलने की दर काफी कम है। ये निष्कर्ष है चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंसेज द्वारा किये गए एक अध्ययन का।
भारत में अभी संक्रमण फैलने की दर अभी कम है
कोरोना वायरस चीन के वुहान में पैदा हुआ था और वहां औसतन एक मरीज ने 2.14 अन्य लोगों में संक्रमण फैलाया। ईरान में ये संख्या 2.73 और इटली में 2.34 रही है। भारत में अभी संक्रमण फैलने की दर आगे भी कायम रही तो अगले पांच दिनों में 200 के करीब हो सकती है लेकिन इसके 400 तक बढऩे का भी अनुमान है।
संक्रमण का अनुमान
एक व्यक्ति से दूसरों में संक्रमण फैलने की अनुमानित संख्या को ‘आर-0’ कहा जाता है। इसी संख्या के आधार पर ये अनुमान लगाया जाता है कि कोई संक्रामक बीमारी कितना फैल सकती है। ‘आर-0’ यदि 1 से कम रहता है तो इसका मतलब ये है कि बीमारी महामारी का स्वरूप नहीं लेगी। लेकिन 1 से अधिक संख्या का मतलब है कि मरीजों की संख्या काफी बढ़ सकती है।
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भारत में ‘आर-0’ की संख्या कम होने के कई कारण हो सकते हैं। इसमें मौसम, मरीजों का आइसोलेशन, भीड़ वाली जगहों में बंदी शामिल है। लेकिन इसमें कौन का कारण काम करा है ये अभी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। सरकार ने जो कदम उठाये हैं उनका इम्पैक्ट आने में कुछ दिन लगेंगे सो सात दिन बाद कुछ स्थिति स्पष्टï होगी। इसमें ये भी ध्यान रखने वाली बात है कि यदि संक्रमित लोगों की तादाद बढ़ती है तब भी ‘आर-0’ का आंकड़ा 1.7 ही रहेगा इसलिये संक्रमित लोगों की संख्या को सीमित रखना भी बहुत बड़ी चुनौती है।
100 के बाद तेजी से बढ़ती है संख्या
कोरोना से पीड़ित अन्य देशों के आंकड़े बताते हैं कि जब संक्रमित लोगों की संख्या 100 पहुंच जाती है तो पॉजिटिव मामलों का ग्राफ बहुत तेजी से बढ़ता है। ईरान और इटली में 100 की संख्या पहुंचने के बाद तीन दिन के भीतर ये ग्राफ 500 पहुंच गया था। स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका, स्वीडन में 100 से 500 का ग्राफ 5 दिन में पहुंचा।
दूसरी ओर भारत में 100 का आंकड़ा 15मार्च को पहुंचा था और 19 मार्च तक ये संख्या 172 हो गई। संख्या में अपेक्षाकृत धीमी बढ़ोतरी के पीछे कम टेस्टिंग और मरीजों का पता न लगने जैसे कारण बताये जा रहे हैं। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में ‘आर-0’ की कम संख्या का कम होना कोई असामान्य बात नहीं है।
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इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंसेज के अनुसार, यदि ‘आर-0’ के नंबरों को देशों के अक्षांश के आधार पर रखा जाये तो पाएंगे कि भूमध्य रेखा से दूरी या निकटता और वायरस के प्रसार की गति में संबंध है। इसके अलावा गर्म मौसम भी एक कारण हो सकता है। इसके अलावा भारत में सूरज की रोशनी की अवधि काफी देर तक रहती है।
ठंड और ह्यूमिडिटी का घातक कंबिनेशन
कोरोना वयरस की दवा और टीके पर रिसर्च के साथ-साथ दुनिया भर में ये भी पता लगाया जा रहा है कि ये वायरस कुछ खास जगहों पर ही ज्यादा प्रकोप क्यों दिखा रहा है।
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अमेरिका की यूनीवर्सिटी ऑफ मेरीलैण्ड की थ्योरी है कि तापमान और मौसम के साथ-साथ 30 से 50 डिग्री अक्षांश वाले क्षेत्र कोरोना वायरस के फैलाव के प्रति ज्यादा जोखिमवाले हैं। अध्ययन के अनुसार, कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप एक खास अक्षांश वाले जोन में रहा है जहां की ठंडी और शुष्क हवा इस वायरस के फैलाव में काफी मददगार है।
इस अध्ययन में विश्व भर में कोरोना वायरस के फैलाव को ट्रैक किया गया। पाया गया कि ञीन, ईरान, जापान, दक्षिण अफ्रीका, इटली और पश्चिमी वाशिंगटन एक ही अक्षांश पर हैं। ये पता चला है कि ये वायरस 5 से 11 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ज्यादा फैलता है। कोरोना का प्रकोप जहां ज्यादा रहा है वहां 47 से 79 ह्यूमिडिटी रही है।