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ओडिशा के CM नवीन पटनायक पर अपने ही चला रहे तलवार, पार्टी में आई दरार
ओडिशा की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा पूरा जोर लगा रही है। वहीं दूसरी ओर सत्ता पर काबिज बीजू जनता दल का माहौल कुछ अटपटा सा हो गया है। बीस साल पहले बनी इस पार्टी में पहली बार असंतोष
भुवनेश्वर: ओडिशा की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा पूरा जोर लगा रही है। वहीं दूसरी ओर सत्ता पर काबिज बीजू जनता दल का माहौल कुछ अटपटा सा हो गया है। बीस साल पहले बनी इस पार्टी में पहली बार असंतोष के बीज दिखाई दे रहे हैं। पहली बार पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता मीडिया में ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे पार्टी के अंदर की फूट अब खुलकर सामने आ रही है।
- हाल ही में मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल के बाद पार्टी में बढ़ा असंतोष और नाराजगी बीजद अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिए मुसीबत बन गयी है।
- पटनायक ने एक समय अपने बहुत ही करीबी माने जाने वाले पार्टी के सांसद बैजयंत पंडा को ऐसी ही बयानबाजी करने पर बीजद संसदीय दल के प्रवक्ता के पद से हटा दिया।
- इतना ही नहीं पार्टी के हितों के खिलाफ काम करने वाले और सार्वजनिक रूप से बयानबाजी करने वाले नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
लेख लिखकर पार्टी व सरकार की आलोचना
- पंडा ने तो एक स्थानीय अखबार में एक लेख लिखकर पार्टी व सरकार की आलोचना की।
-वे उसी समय से पटनायक के निशाने पर थे। इस लेख में उन्होंने पंचायत चुनावों में बीजद के खराब प्रदर्शन पर पार्टी मुखिया नवीन पटनायक को आड़े हाथों लिया था।
-7 मई को मंत्रिमंडल में फेरबदल के दो दिन बाद पंडा ने अपने ट्वीट में कहा कि इसे लेकर पार्टी में चारों ओर असंतोष फैल रहा है।
-इसी ट्वीट में उन्होंने कोरापुट से पार्टी के पूर्व सांसद जयराम पांगी के बीजद छोडक़र भाजपा की मदद करने पर अपना रोष प्रकट किया कि जब उन्होंने ऐसी आशंका व्यक्त की थी तब उनकी आलोचना की गई थी।
-भाजपा के साथ कथित रूप से उनके बढ़ते हुए ताल्लुकात को लेकर मीडिया और राजनीतिक हलकों में अक्सर चर्चाएं होती रही हैं।
- कुछ हफ्ते पहले बीजद के ही सांसद तथागत सतपथी ने एक के बाद एक तीन ट्वीट्स में पंडा का नाम लिए बिना आरोप लगाया था कि भाजपा बीजद को तोडऩे की कोशिश कर रही है और इसमें उनकी ही पार्टी के एक सांसद मदद कर रहे हैं।
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महताब भी कर चुके हैं आलोचना
- इसके बाद यह स्पष्ट हो गया था कि केंद्रापड़ा के सांसद का भाजपा के प्रति झुकाव महज मीडिया की दिमागी उपज नहीं था।
- संसदीय दल के प्रवक्ता पद से निकाले जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में पंडा ने यह जरूर कहा कि अगर इससे पार्टी म$जबूत होती है तो वे इसका स्वागत करते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने बीजद संसदीय दल के नेता भर्तृहरि महताब की खुल्लमखुल्ला बयानबाजी का जिक्र कर एक तरह से नेतृत्व को चुनौती भी दे डाली।
- उन्होंने कहा कि मैं अकेला ऐसा नेता नहीं हूं जिसने पंचायत चुनाव के बाद सार्वजनिक रूप से बयान दिया है।
- महताब ने भी कई बार बयान दिए और सच्चाई तो यह है कि वे मुझसे भी ज्यादा मुखर रहे हैं। वैसे एक बात सही है कि पंडा का आरोप निराधार नहीं है क्योंकि सार्वजनिक बयानबा$जी से बचने की पार्टी की चेतावनी के बावजूद महताब ने अपने ही संपादित अखबार प्रजातंत्र में दो लेख लिखे जिसमें बीजद की अंदरूनी स्थिति पर असंतोष जताया गया था।
- एक लेख में उन्होंने कहा था कि जिस तरह से बीजद भाजपा के हर ऊलजलूल आरोपों का उत्तर दे रही है वह पार्टी की कमजोरी को दर्शाता है।
-लोगों का कहना है कि अब देखना यह है कि उनके खिलाफ कार्रवाई होती है या नहीं।
युवा नेता भी बने पटनायक के लिए मुसीबत
- वैसे नवीन की सबसे बड़ी समस्या असंतुष्ट वरिष्ठ नेता नहीं बल्कि युवा नेताओं की वह तिकड़ी है जिन्हें फेरबदल में मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा।
- सरकार में सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले ये तीन मंत्री हैं अरुण साहू, संजय दास वर्मा और प्रणब प्रकाश दास।
-इस सूची में अतनु सब्यसाची नायक को भी शामिल किया जा सकता है जिन्हें पिछले अक्तूबर में भुवनेश्वर के एक निजी अस्पताल में आग के हादसे में 30 लोगों के मारे जाने के बाद स्वास्थ्यमंत्री पद से हटा दिया गया था।
-नायक यह उम्मीद लगाकर बैठे थे कि इस बार उन्हें दोबारा मंत्रिमंडल में स्थान मिलेगा।
- हालांकि इन चारों ने वरिष्ठों की तरह पार्टी और उसके नेता के बारे में सार्वजनिक रूप से बयानबाजी नहीं की है। लेकिन प्रेक्षकों का मानना है कि ये चारों पार्टी को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं क्योंकि पार्टी संगठन पर और खासकर पार्टी के युवा और छात्र संगठनों पर इनकी पकड़ काफी मजबूत है।
- स्पष्ट है कि पार्टी में तेजी से फैल रहे असंतोष को दूर कर राज्य में भाजपा के बढ़ते कदमों को रोकना नवीन पटनायक के लिए उनके 20 साल के राजनीतिक कॅरियर की सबसे बड़ी चुनौती होगी।
असंतुष्टों को दी कार्रवाई की चेतावनी
- पार्टी में लगातार बढ़ रहे असंतोष के बीच पार्टी ने स्पष्ट किया है कि अनुशासनहीनता को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- पार्टी के प्रवक्ता कैप्टन दिव्यशंकर मिश्र कहते हैं कि पार्टी में अनुशासन सर्वोपरि है।
- अगर कोई भी व्यक्ति अनुशासन तोड़ता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वैसे जहां एक ओर पार्टी की ओर से कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही है वहीं दूसरी तरफ कुछ असंतुष्टों को मनाने की कोशिशें भी जारी हैं।
- इसी क्रम में नवीन पटनायक ने वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अमर सतपथी को कैबिनेट मंत्री के दर्जे के साथ विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक बनाया है।
-मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद निराश सतपथी ने पार्टी के मुख्य प्रवक्ता होते हुए भी इस बात पर असंतोष जताया था कि उनके जिले जाजपुर के सातों विधानसभा क्षेत्रों से बीजद के विधायक होने के बावजूद वहां से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया।
टेढ़ा है पर मेरा है
त्रिवेन्द्र सिंह के सीएम बनने के बाद उनके चहेते अफसर ओमप्रकाश की ताकत बढ़ गयी है। ओनिडा फैक्ट्री में अग्निकांड में नोटिस जारी होने के बावजूद उनका रसूख बरकरार है। उल्टे विभागों में फेरबदल के नाम पर उनके विभाग बढ़ा दिए गए हैं।