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मोदी सरकार में पहली बार रेपो और रिवर्स रेपो रेट में 0.25 पर्सेंट का इजाफा
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है। आरबीआई ने 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है जिससे अब रेपो रेट 6 प्रतिशत से बढ़कर 6.25%. प्रतिशत हो गई है।
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मोदी सरकार के 4 साल के कार्यकाल में यह पहली बार है, जब भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद आम आदमी के लिए बैंकों से कर्ज लेना महंगा हो होगा और साथ ही ईएमआई पर ब्याज का बोझ भी बढेगा।
मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में सीपीआई महंगाई के 4.8 से 4.9 के बीच रहने की आशंका जताई है जबकि दूसरी छमाही में इसके लिए 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
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रेपो रेट के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट को 6 फीसदी कर दिया है। हालांकि रॉयटर्स पोल ने संभावना जताई थी कि भारतीय रिजर्व बैंक इस बार भी रेपो रेट में कटौती नहीं करेगा तथा इसे अगस्त के लिए टाल सकता है।
इस पोल में 56 अर्थशास्त्री शामिल हुए थे जिसमें से 26 ने संभावना जताई थी कि आरबीआई रेपो रेट में इस बार बढ़ोतरी करेगा जबकि अन्य ने इसकी संभावना से इनकार किया था।
फरवरी से पहले दिसंबर और अक्टूबर में भी आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। उसवक्त महंगाई की वजह से यह फैसला लिया गया था।
इससे पहले पिछले साल अगस्त में आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की थी और इसे 0.25 प्रतिशत घटाया था। इस कटौती के बाद ही रेपो रेट 6 प्रतिशत हो गया था।
रेपो रेट क्या है ?
जिस दर पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहते हैं । बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट घटने से लोन सस्ता होने की उम्मीद बढ़ती है।
रिवर्स रेपो रेट क्या है?
बैंकों को अपने जमा पर आरबीआई से मिलने वाली ब्याज को रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। बाजार में कैश फ्लो ज्यादा होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है। रिवर्स रेपो रेट बढ़ने पर बैंक आरबीआई के पास ज्यादा नकदी जमा करते हैं।
सीआरआर
बैंकों को अपनी कुल नकदी का एक तय हिस्सा आरबीआई के पास रखना होता है। आरबीआई जब दरों में बदलाव किए बगैर कैश फ्लो घटाना चाहे तो सीआरआर बढ़ाता है। सीआरआर बढ़ने से बैंकों के पास लोन देने के लिए कम रकम बचती है।