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रिमोट से चलती दुनिया
कोविड-19 के कारण इन दिनों दुनिया के कामकाज का संचालन रिमोट से हो रहा है। यूनाइटेड किंगडम की संसद का नजारा देखें तो वहाँ सभी बेंचें खाली नजर आती हैं। सिर्फ प्रधानमंत्री बोरिस जानसन और उनके चंद सांसद इधर उधर बैठे नजर आते हैं।
विशेष प्रतिनिधि
लखनऊ: कोविड-19 के कारण इन दिनों दुनिया के कामकाज का संचालन रिमोट से हो रहा है। यूनाइटेड किंगडम की संसद का नजारा देखें तो वहाँ सभी बेंचें खाली नजर आती हैं। सिर्फ प्रधानमंत्री बोरिस जानसन और उनके चंद सांसद इधर उधर बैठे नजर आते हैं। प्रश्नकाल में सवाल जवाब एक विशाल टीवी स्क्रीन पर होते हैं क्योंकि मंत्री और संसद सदस्य अपने घर से कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं। ये ‘ज़ूम पार्लियामेंट’ है जहां रिमोट से काम हो रहा है। सैकड़ों बरसों की परंपरा 22 अप्रैल को टूट गई जब रिमोट से कार्यवाही का संचालन हुआ।
कोरोना वायरस महामारी ने सामान्य कामकाज को उलट-पलट के रख दिया है। रोज़मर्रा का सरकार काम भी बदल गया है। प्रेस कान्फ्रेंस या मीडिया ब्रीफिंग ऑनलाइन हो रही है। मंत्रियों के संग बैठकें वीडिओ कांफ्रेस से होने लगी हैं। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए फिजिकल डिस्टेन्सिंग और लॉक डाउन की मजबूरी के चलते सरकारों को आनन-फानन नई टेक्नोलोजी अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ा है। चंद महीने पहले इसकी कल्पना तक नहीं की गई थी।
भारत से ब्राज़ील तक और यूरोपियन यूनियन से लेकर कनाडा तक असेंबलियों और सांसदों ने किसी न किसी रूप में वर्चुअल सरकार को अपना लिया है। चाहे अदालती सुनवाई हो या सरकारी मीटिंग या कामकाज, यहाँ तक कि मतदान तक ऑनलाइन हो रहा है। अमेरिका के कई राज्यों में विधायिका का काम रिमोट लोकेशन से होने लगा है। चूंकि इंटेरनेशनल ट्रेवल में जोखिम है सो डिप्लोमेसी भी ऑनलाइन चल रही है। संयुक्त राष्ट्र से जी-7 के नेताओं की बैठक तक कम्प्युटर स्क्रीन के जरिये हो रही है। अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट तक कॉन्फ्रेंस कॉल के जरिये जिर्ष सुन रहा है।
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अब ये नया नॉर्मल होगा
सरकारें भले ही अभी मजबूरीवश ज़ूम या गूगल हैंगआउट से कामकाज चला रही हों लेकिन इसकी आदत पड़ जाने से इतना तो तय है कि ये आगे भी किसी न किसी हद तक अब सामनी जीवन का हिस्सा बन जाएगा। लोकतन्त्र को और भी पारदर्शी और निकट लाने के लिए आज की कुछ चीजें स्थायी रूप ले लेंगी। यूनाइटेड किंगडम ने जिस तरह तेजी दिखते हुये नई तकनीक को अपनाया है वो कई देशों के लिए नजीर बन जाएगा। यूके की संसद में आज एक बार में सिर्फ 50 सदस्य उपस्थित होते हैं जबकि 120 अन्य को ऑनलाइन हिस्सा लेना होता है। संसद में अब रिमोट वोटिंग के लिए टेक्नोलीजी का परीक्षण चल रहा है। 17वीं सदी से चली आ रही परंपरा आज बदलाव के रास्ते पर चल पड़ी है।
ब्राज़ील भी उन देशों में शामिल है जिसने ऑनलाइन कामकाज सबसे पहले अपनाया। वहाँ की संसद ने सदस्यों को रिमोट से काम करने के लिए सबसे पहले कहा था। 19 मार्च को ब्राज़ील की सीनेट ने पहली बार रिमोट वोटिंग अपनाई। अब वहाँ सीनेटर फोन ऐप से वोटिंग कार्स अकते हैं।
अर्जेन्टीना ने भी महामारी के दौर की मजबूरियों को समझते हुये संसद का पहला रिमोट सत्र संचालित किया।
चिली ने अपने संविधान में संशोधन करके संसद सदस्यों को रिमोटली काम करने का अधिकार दे दिया।
यूरोपियन यूनियन और स्पेन में भी सांसदों को रिमोट से काम करने कि इजाजत दी गई है।
पिछले महीने कनाडा कि संसद ने अपना पहला ‘ज़ूम’ सत्र आयोजित किया। वहाँ बैठकें ऑनलाइन हो रही हैं।
डिप्लोमेसी भी हुई ऑनलाइन
हाल ही में अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के बीच द्विपक्षीय व्यापार वार्ता हुई लेकिन दोनों पक्ष अपने-अपने देश से कम्प्युटर स्क्रीन पर बात कर रहे थे। इसके पहले मार्च और अप्रैल में जी7 के नेताओं की बैठक ऑनलाइन हुई थी। सब नेता विडियो चैट से बात कर रहे थे।
न्यूयॉर्क स्थित यूनाइटेड नेशंस मुख्यालय अब खाली पड़ा है, राजनयिक अपने अपने देशों में हैं। महासचिव अंटोनिओ गुटेर्रस आफिस आते तो हैं लेकिन सब मीटिंगें और कामकाज ऑनलाइन चलता है। सुरक्षा परिषद की बैठक अप्रैल में हुई लेकिन विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये। हालांकि उसमें तकनीकी दिक्कतें जरूर पेश आयीं।
तेजी से बदलता परिदृश्य
कोई नहीं जानता कि सरकारों में सामान्य स्थिति कब दोबारा आएगी या फिर छह महीनी या दो साल बाद का नजारा कैसा होगा। रिमोट से सरकारी कामकाज के पैरोकार भी ये जरूर कहते हैं कि अभी जो हो रहा है वह इमरजेंसी उपाय हैं। सामान्य स्थिति होने तक कामकाज किसी तरह चलता रहे यही उपाय किया जा रहा है। इसे थोपा गया इनोवेशन कहा जाना बेहतर होगा। लेकिन बड़ा सवाल है कि आगे क्या होगा? इस अदूर में जो हमने सीखा है उसका क्या उपयोग होगा?
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सांसदों-विधायकों को रिमोट से काम करने की अनुमति देने का ये लाभ हो सकता है कि उनको अपने निर्वाचन क्षेत्र में अधिकाधिक समय देने का अवसर मिलेगा। अपने क्षेत्र से संसदीय कारी के लिए आने-जाने की झंझट से छुटकारा मिलेगा। रिमोट से सदन में मतदान तो कई देशों ने करके देख भी लिया है।
न्यायपालिका में जब विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जिरह-सुनवाई करने की आदाता पड़ जाएगी तब देश-दुनिया कहीं से भी गवाहों को सुना जा सकेगा। एक्स्पर्ट्स का कहना है कि इससे अदालती कार्यवाही में लोगों की भागीदारी काफी बढ़ेगी। अदालतें दुनिया के किसी भी कोने से एक्स्पर्ट्स की राय ले सकती हैं।
सरकारी मीटिंगें इस दौर में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हो रही हैं। देश के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक हो या विभिन्न मंत्रियों के साथ मीटिंग, सब विडियो के जरिये सफलता पूर्वक करके देख लिया गया है। आने वाले समय में समय और धन की बचत के लिए ये उपाय स्थायी तौर पर अपना लिए जाते हैं तो इसमें हर्ज भी क्या है?
वर्क फ्राम होम की केंद्र सरकार की योजना
कोरोना वायरस के कारण भारत में भी सरकारी कामकाज रिमोट और वर्क फ्राम होम से चल रहा है। पोस्ट-कोविड काल में भी कामकाज का यही तरीका जारी रखने का सरकार का इरादा है। इसके तहत केन्द्रीय सचिवालय में कर्मचारी अलग-अलग समय पर काम पर आएंगे ताकि फिजिकल डिस्टेन्सिंग का पालन सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा कर्मचारियों को साल में 15 दिन घर से काम करने को कहा जाएगा। भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पेर्सोनेल एंड ट्रेनिंग की योजना के तहत कर्मचारियों को लैपटॉप – डेस्क टॉप दिये जाएंगे। इसके अलावा अब ई-ऑफिस को पूरी तरह से लागू किया जाएगा ताकि मानव संपर्क को न्यूनतम लेवल पर लाया जा सके। वर्क फ्राम होम के दौरान मीटिंग आदि के लिए एनआईएसी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के इंतजाम करेगा। इन योजनाओं के बारे में केंद्र सरकार के सभी विभागों के कमेन्ट मांगे गए हैं।
ग्रीस, यूएई, ब्रिटेन आदि कई देशों ने अनिश्चितकाल के लिए रिमोट से सरकारी और विधायी कामकाज का फैसला ले भी लिया है। प्राइवेट सेक्टर में भी रिमोट या वर्क फ्राम होम अब आगे जारी रहेगा और कई कंपनियों ने इसकी घोषणा भी कर दी है।