×

सबरीमाला पर संतों की चेतावनी

Manali Rastogi
Published on: 20 Oct 2018 3:13 PM IST
सबरीमाला पर संतों की चेतावनी
X

नई दिल्ली: सबरीमाला में अय्यप्पा भगवान के भक्तों पर पुलिस की कथित बर्बरता की हिंदू संतों ने शनिवार को यहां निंदा की है। सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा (दिल्ली) के अध्यक्ष महा-मंडलेश्वर स्वामी राघवानंद, दिल्ली संत महामंडल के महामंत्री महा-मंडलेश्वर महंत नवल किशोर दास ने शनिवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा है कि केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन की पुलिस लाठीचार्ज और पत्थरबाजी के जरिए भक्तों की श्रद्धा, उनके विश्वास तथा भगवान के प्रति समर्पण को कुचल नहीं सकती।

यह भी पढ़ें: सुल्तानपुर:रावण के पुतला दहन में सांडों ने मचाया उत्पात, टला हादसा

बयान में दोनों संतों ने सरकारी दमन और हिंदूद्रोही साजिश के विरोध में सबरीमाला कर्म समिति की गुरुवार की राज्यव्यापी हड़ताल की सफलता पर वहां के सभी सामाजिक व धार्मिक संगठनों को साधुवाद दिया है और कहा है, "सबरीमाला की वर्तमान परिस्थितियों के लिए केवल माकपा सरकार और उनके द्वारा पोषित हिंदू फोबिया से ग्रस्त कुछ तथाकथित मानवाधिकारवादी जिम्मेदार हैं। महिलाओं को अधिकार दिलाने की आड़ में ये तत्व वास्तव में हिंदू आस्था को ही कुचलने का प्रयास करते रहे हैं।"

यह भी पढ़ें: पूर्व सीएम एनडी तिवारी को दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर, देखें वीडियो

संतों ने कहा है, "महिला अधिकारों की रक्षा में माकपा का रिकॉर्ड हमेशा संदिग्ध रहा है। उनके पोलित ब्यूरो में किसी महिला को तभी प्रवेश मिला है, जब उनके पति पार्टी के महासचिव बने हैं। बंगाल के नंदीग्राम और सिंगूर में उन्होंने महिलाओं के ऊपर अत्याचार किए हैं। मंदिर में प्रवेश की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने वाला कोई भी आस्थावान नहीं है।"

बयान में संतों ने कहा है, "हिंदू समाज कभी महिला विरोधी नहीं रहा है। परंतु हर मंदिर की कुछ परंपराएं रहती हैं। भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। क्या ये लोग उन परंपराओं को पुरुष विरोधी कहेंगे?"

संतों ने कहा है, "सबरीमाला की यह परंपरा न किसी को अपमानित करती है और न ही किसी को कष्ट देती है। बल्कि यह पूर्ण रूप से संविधान की धारा 25 के अंतर्गत ही है। इसलिए यह लड़ाई संविधान के दायरे में रहकर संविधान की भावना की रक्षा करने के लिए ही है। तीन तलाक के कानून का विरोध करने वाले किस मुंह से इस आंदोलन का विरोध कर सकते हैं।"

केरल सरकार द्वारा देवासम बोर्ड का संविधान बदल कर हिंदू मंदिरों को गैर हिंदुओं के हवाले करने का भी संतों ने विरोध किया है और चेतावनी दी है कि कम्युनिस्ट सरकार हिंदुओं को कुचलने का अपना षड्यंत्र बंद करे, और सबरीमाल के सन्दर्भ में अपनी गलती स्वीकार कर सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे।

--आईएएनएस

Manali Rastogi

Manali Rastogi

Next Story