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सेना के खिलाफ एफआईआर पर रोक, मुफ़्ती सरकार से जवाब तलब

Rishi
Published on: 12 Feb 2018 9:34 AM GMT
सेना के खिलाफ एफआईआर पर रोक, मुफ़्ती सरकार से जवाब तलब
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संजय तिवारी

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के शोपियां फायरिंग मामले में आर्मी मेजर आदित्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्टे लगा दिया। कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार से दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मेजर आदित्य के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जाए।

बता दें कि 27 जनवरी को शोपियां फायरिंग में दो लोगों की जान चली गई थी।इससे पहले भी 2001 के बाद से जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 50 मामलों में आर्मी के खिलाफ केस चलाने की इजाजत मांगी है, जिनमें से 47 मामलों में इसे ठुकरा दिया गया। जबकि तीन मामलों में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया।

उल्लेखनीय है कि आर्मी का एक काफिला शोपियां के गनोवपोरा गांव से गुजर रहा था। इसी दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने काफिले पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। जवाब में सिक्युरिटी फोर्सेज ने उन्हें भगाने के लिए कुछ राउंड फायरिंग की, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। शोपियां में फायरिंग की घटना को लेकर महबूबा सरकार के ऑर्डर पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आर्मी पर्सनेल्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इसमें मेजर आदित्य का नाम भी शामिल है।

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मेजर आदित्य के पिता की याचिका

सेना के मेजर आदित्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद इसे रद्द कराने के लिए आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल कर्मवीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनका कहना है कि बेटे ने साथियों को बचाने के लिए फायरिंग की। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में दायर पिटीशन में कर्नल कर्मवीर सिंह ने कहाकि उनका बेटा आर्मी के अपने साथियों को तनाव वाले इलाके से निकालने के लिए गया था। इस दौरान सिर्फ आर्मी जवानों को रास्ता दिलाने के लिए फायर किए गए। पत्थरबाजों से कई बार आर्मी को नुकसान नहीं पहुंचाने की गुजारिश की, लेकिन वो नहीं माने। इसके बाद वहीं से हटने और रास्ते देने के लिए वॉर्निंग दी गई। एफआईआर में बदले की भावना से नाम जोड़ा गया है।

गैर-कानूनी तौर पर जमा हुई भीड़ काफी उग्र हो गई

पिटीशन में कोर्ट को बताया गया कि गैर-कानूनी तौर पर जमा हुई भीड़ काफी उग्र हो गई। उन्होंने एक जेसीओ को पीट-पीटकर मारने की कोशिश की, तब भीड़ को चेतावनी देकर तितर-बितर करने के लिए फायर किए थे। पिछले साल भीड़ ने राज्य पुलिस के डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित को पीट-पीटकर मार दिया था। ऐसे हालात में आर्मी के जवान पत्थरबाजों को कंट्रोल करते हैं। कश्मीर में मौजूदा हालात ड्यूटी के हिसाब से काफी कठिन हैं। इसीलिए कोर्ट से गुजारिश है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया जाए। कोर्ट सैनिकों के अधिकारों की रक्षा और मुआवजे के लिए गाइडलाइन्स जारी करे। ताकि आगे आर्मी के किसी सैनिक के ड्यूटी के दौरान लिए एक्शन को आधार बनाकर आपराधिक कार्रवाई न की जा सके।

काउंटर एफआईआर दर्ज

आर्मी की ओर से कहा गया था कि गढ़वाल यूनिट के जिस मेजर के खिलाफ पुलिस ने हत्या और हत्या की कोशिश के आरोप में केस दर्ज किया है, वे घटनास्थल से करीब 200 मीटर की दूरी पर थे। इसके बाद शोपियां फायरिंग मामले में आर्मी ने पत्थरबाजों के खिलाफ काउंटर एफआईआर दर्ज की। शोपियां में फायरिंग की घटना को लेकर महबूबा सरकार के ऑर्डर पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आर्मी पर्सनेल्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। हालांकि सेना के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में केस चलाने के लिए पुलिस को केन्द्र से मंजूरी लेनी होगी।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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