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फिर पनपने लगी आतंक की बेल, दो महीने में पकड़े गए JKLF के 22 संदिग्ध आतंकी

लगभग एक दशक तक आतंक का दंश झेलने वाले पंजाब को सैकड़ों जांबाज पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की शहादत के बाद यहां के लोगों ने आतंकवाद मुक्त फिजा में सांस लेना शुरू किया।

tiwarishalini
Published on: 11 Aug 2017 5:34 PM IST
फिर पनपने लगी आतंक की बेल, दो महीने में पकड़े गए JKLF के 22 संदिग्ध आतंकी
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दुर्गेश पार्थ सारथी

चंडीगढ़ : लगभग एक दशक तक आतंक का दंश झेलने वाले पंजाब को सैकड़ों जांबाज पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की शहादत के बाद यहां के लोगों ने आतंकवाद मुक्त फिजा में सांस लेना शुरू किया। बमुश्किल से यहां के लोगों का एक दूसरे धर्म व संप्रदाय के लोगों पर भरोसा कायम हुआ था जो 90 के दशक में टूट चुका था। लेकिन पिछले कुछ सालों के दौरान उपजे हालात बता रहे हैं कि अमन पसंद पंजाब में आतंक की बेल फिर से पनपने लगी है।

साल 2017 में मालवा के जिला फरीदकोट में श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद गर्माए माहौल व इसके कुछ माह बाद हुई घटनाओं ने सूबे के लोगों को डरा कर रख दिया। इस घटना के कुछ माह बाद ही लुधियाना में शिवसेना के एक नेता की गोली मार कर की गई हत्या हो या फिर डेरा सच्चा सौदा के अनुयाई की हत्या, जालंधर में आरएसएस से जुड़े सेना के पूर्व ब्रिगेडियर की ज्योति चौक में गोली मार कर की गई हत्या या फिर उसी साल गुरदासपुर में शिवसेना के नेता की गोली मार कर हत्या की नाकाम कोशिश। एक के बाद एक घटित घटनाओं ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि जिस आतंक रूपी नाग का पंजाब पुलिस के तत्कालीन डीजीपी केपीएस गिल ने जिस मजबूत इरादों के साथ फन कुचला था, कहीं वह फिर से तो जीवित नहीं होने लगा।

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साल 2017 की बात करें तो पंजाब विधान सभा चुनाव के लगभग तीन माह बाद यानी मई व जून में सूबे के विभिन्न जिलों में प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन जेकेएलएफ के सदस्यों की धड़ाधड़ हुई गिरफ्तारियां भी इस ओर इशारा कर रही हैं कि राज्य में सबकुछ ठीक नहीं है। देश का सीमावर्ती राज्य होने के नाते पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी परोक्ष या अपरोक्ष रूप से यहां का माहौल बिगाडऩे में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता। चाहे वह नशा तस्करी का मामला हो या आतंकी संगठनों का। किसी न किसी रूप में पंजाब का माहौल बिगाडऩे की फिराक में लगा रहता है।

लगभग तीन महीने पहले यानी मई में पंजाब दौरे पर आए कनाडा के रक्षा मंत्री व लीरल पार्टी के सदस्य हरजीत सिंह सज्जन का मुख्यमंत्री कैप्टन अमिरंदर सिंह ने यह कहते हुए उनसे मिलने से इनकार कर दिया कि वो आतंकियों या उनको सह देने वालों से न तो मिलेंगे और न ही उनके स्वागत में कोई कार्यक्रम रखेंगे। हालांकि शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एसजीपीसी ने सज्जन को सम्मानित किया था।

दो महीने में पकड़े जा चुके हैं प्रतिबंधित संगठन जेकेएलएफ से संबंध रखने वाले 22 संदिग्ध आतंकी

उल्लेखनीय है कि कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन पंजाब के होशियारपुर जिले के मूल निवासी हैं और उनके पारिवारिक सदस्य व रिश्तेदार आज भी होशियारपुर में ही रहते हैं। सज्जन के पंजाब दौरे से जाने के कुछ दिन बाद ही अमृतसर जिले के अजनाला सीमावर्ती क्षेत्र में संदिग्ध रूप में घूम रहे कार सवार दो लोगों को बीएसएफ जवानों ने अपनी कस्टडी में लेकर जब उनकी तलाशी ली तो उनकी गाड़ी से भारी मात्रा में असलहे बरामद हुए। पकड़े गए लोगों ने पूछताछ में बताया कि उनका संबंध पंजाब के भूमिगत आतंकी संगठनों से है और उन्हें ये हथियार कनाडा में रह रहे प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों ने मुहैया करवाया है।

पकड़े गए दोनों संदिग्ध आतंकियों ने बताया कि वह फरीदकोट के बरगाडी में हुए श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी का बदला लेना चाहते थे। इसके बाद तो आतंकियों के पकड़े जाने का सिलसिला सा शुरू हो गया। इसी दो महीने मई व जून के भीतर पंजाब पुलिस व एसटीएफ ने अमृतसर, बठिंडा, मोहाली व नवांशहर जिलों से 22 संदिग्ध आतंकियों को काबू कर राज्य के हालात बिगडऩे से रोका। पकड़े गए संदिग्ध आतंकियों से सबसे अधिक 6 आतंकी नवांशहर जिले से काबू किए।

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आतंक मिटाने वाले को ही नहीं दी श्रद्धांजलि

सुपरकॉप कहे जाने वाले पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल को उनके निधन पर 14 जून को पंजाब विधानसभा में श्रद्धांजलि देने को लेकर सरकार व विपक्ष में जमकर घमासान हुआ। 15 को विधान सभा के पहले बजट सत्र में गिल को श्रद्धांजिल देने के दौरान शिअद व आम आदमी पार्टी के नेताओं ने सदन का वाक आउट किया। यहां तक कि शिअद व आप नेता एसएच फुलका ने कहा कि आतंकवाद के दौरान में केपीएस गिल ने मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है, इसलिए गिल को श्रद्धांजिल देने का सवाल ही नहीं उठता।

जबकि शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की सहयोगी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने सदन में मौजूद रह कर गिल को श्रद्धांजलि ही नहीं दी बल्कि आतंकवाद के दौर में उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना भी की। यही नहीं एसजीपीसी सिहत पंजाब के विभिन्न गर्मख्याली संगठनों सदस्यों ने केपीएस गिल के श्रद्धांजलि समारोहों का बहिष्कार किया। यह विडंबना ही है कि पंजाब में आतंक का फन कुचलने वाले गिल को उन्हीं के प्रदेश में उन्हें श्रद्धांजलि देने पर घमासान मचा रहा।

दिखने लगे खालिस्तान के पोस्टर

सूबे में आतंक का खात्मा करने वाले पूर्व आईपीएस केपीएस गिल को विधानसभा में शिअद, आप व कई अन्य संगठनों द्वारा श्रद्धांजलि न देने तक हीं नहीं खत्म होती। यदि इससे आगे निकल कर देखें तो जुलाई में पास्टर सुल्तान मसीह की अज्ञात लोगों द्वारा गोली मार कर की गई हत्या और हत्यारों का न पकड़ा जाना भी इस बात की तरफ इशारा करता है कि एक बार फिर से पंजाब का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है।

यह घटना अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अगस्त के पहले सप्ताह में ही पंजाब के दो बड़े जिलों पठानकोट व मोगा में खालिस्तान जिंदाबाद व आजादी ही हल है लिखा पोस्टर मिलने से हडकंप मच गया है। सुरक्षा व सामरिक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण समझा जाने वाला सीमावर्ती जिला पठानकोट के गांव जंडवाला में तीन जगहों पर खालिस्तान जिंदाबाद के पोस्टर दिखने में इलाके में तनाव की स्थिति बन गई है।

यह पोस्टर गांव के सरकारी सीनियर सेेकेंडरी स्कूल के गेट पर, वर्कशॉव गुरुद्वारे की दीवार पर चस्पा किया हुआ देखा गया। पोस्टर पर गुरमुखी में खालिस्तान जिंदाबाद, आजादी ही हल है व सिख रिफरेंडम 2020 लिखा हुआ था। हालांकि इसकी सूचना मिलते ही पुलिस के कान खड़े हो गए। इसी तरह पठानकोट से लगभग चार सौ किमी दूर मोगा जिले के गांव किल्ली चाहल में पंपिंगसेट की दीवारों पर खालिस्तान समर्थकों ने आपत्तिजनक शब्दावलियां लिखना शुरू कर दिया है।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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