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खाने को नहीं थे पैसे, साढ़े बारह रुपये लेकर निकल लिए घर से, आज हैं करोड़ों के मालिक

Aditya Mishra
Published on: 29 Sept 2018 12:16 PM IST
खाने को नहीं थे पैसे, साढ़े बारह रुपये लेकर निकल लिए घर से, आज हैं करोड़ों के मालिक
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अहमदाबाद: सूरत के हरेकृष्णर डायमंड के मालिक सवजीभाई ढोलकिया एक बार फिर सुख्रियों में है। अपने कर्मचारियों को महंगे गिफ्ट देने के लिए मशहूर हो चुके सवजीभाई ढोलकिया ने इस बार अपने तीन कर्मचारी को मर्सिडीज कार गिफ्ट की है।

सवजीभाई ने अपनी कंपनी में नौकरी के 25 वर्ष पूर्ण करने वाले तीन कर्मचारियों को ये कारें तोहफे के रूप में दी हैं। इन कारों की कीमत एक-एक करोड़ रुपये है। अपने कमर्चारियों को महंगे गिफ्ट देने का काम वह काफी समय से कर रहे है।

13 की उम्र में छोड़ दी पढ़ाई

सावजीभाई शून्य से शिखर पर पहुंचने वाली शख्सियत हैं। वे गुजरात के अमरेली जिले के डुढाला गांव से ताल्लुक रखते हैं। इनके पिता किसान थे। उनकी कोई फिक्स इनकम नहीं थी। बड़ी मुश्किल से बच्चे की फ़ीस और घर में राशन का इंतजाम हो पाता था। सावजीभाई का पढ़ने में मन लगता था। वे हायर स्टडीज की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन वे अपने घर के हालात से भी बखूबी वाकिफ थे। इसलिए न चाहते हुए भी उन्हें आर्थिक तंगी के चलते 13 साल की उम्र में पढ़ाई छोडनी पड़ी।

जेब में साढ़े बारह रुपये लेकर निकले पड़े थे घर से

सावजी बचपन से ही बड़ा आदमी बनने का सपना देखते था। वह अपनी उम्र के लड़कों से स्वभाव में थोड़ा सा अलग थे। उनके अंदर सीखने की प्रवृति थी। वे चाहते थे कि कोई ऐसा काम सीखे जिससे कम समय में इमानदारी से ज्यादा पैसे कमाया जा सके। यही सोचकर 1977 में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। वे अपने गांव से साढ़े बारह रुपए लेकर सूरत में अपने चाचा के घर आ गये। सफर के दौरान उन्हें बहुत ज्यादा भूख लगी थी लेकिन जेब में केवल किराये के लिए ही पैसे बचे थे। इसलिए उन्होंने बिना कुछ खाए ट्रेन से सफर करके अपने चाचा के घर पहुंचे थे। उनके चाचा एक हीरा व्यापारी थे। सावजी ने वहीं डायमंड ट्रेडिंग की बारीकियां सीखीं।

भाईयों के साथ मिलकर खड़ी की खुद की कम्पनी

1984 में इन्होंने अपने भाई हिम्मत और तुलसी के साथ मिलकर हरि कृष्णा एक्सपोर्टर्स नाम से अलग कंपनी शुरू की। यह कंपनी डायमंड और टेक्सनटाइल सेगमेंट में काम करती है। इनकी कंपनी क्वालिटी के साथ ही ट्रांसपेरेंसी के लिए मशहूर है। इस कम्पनी ने इमानदारी की बुनियाद पर अपना काम शुरू किया और बहुत ही कम समय में हीरा व्यापार के क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम बनी गई। इसके साथ ही कम्पनी का साल दर साल मुनाफा बढ़ता ही चला गया।

2013 से शुरू हुआ महंगे गिफ्ट देने का रिवाज

सावजी ढोलकिया की कंपनी ने 2013 में 70 कर्मचारियों को इन्सेंटिव में कार दी थी। इसी साल से पहली बार कम्पनी में महंगे गिफ्ट देने का रिवाज शुरू हुआ।

कंपनी ने परफॉर्मन्स क्राइटेरिया तय कर रखा था, जिसमें कर्मचारी का व्यवहार, कंपनी के विकास में योगदान, डायमंड कटिंग में वैल्यू एडिशन जैसे प्वाइंट शामिल थे। इसी के आधार पर कर्मचारियों को इन्सेंटिव दिया गया।

उस दौरान सावजीभाई ढोलकिया ने कहा था- कंपनी के विकास और मेरे सपने को साकार करने का काम मेरे साथियों ने पूरा कर दिखाया। इसलिए जो कुछ भी उन्हें दिया जा रहा है, यह उनकी मेहनत का फल है, कोई गिफ्ट नहीं।

2014 में इस वजह से आये थे चर्चा में

2014 में इस डायमंड कंपनी ने 491 कारीगरों को कार, 207 कर्मचारियों को 2 BHK फ्लैट 503 कर्मचारियों को ज्वैलरी और इन्सेंटिव देकर चर्चा में आये थे। जब यह कार्यक्रम आयोजित हुआ, तब पूरे हीरा उद्योग और कॉर्पोरेट वर्ल्ड में हलचल मच गई। इन्सेंटिव के तौर पर कंपनी ने उस समय 45 करोड़ रुपए खर्च किए थे। जब कंपनी ने 1201 कर्मचारियों के नामों की घोषणा की, तब सभी कर्मचारी खुशी से झूम उठे।

बेटा न समझे खुद को Super Rich, इसलिए किया ये काम

सावजी ढोलकिया के बेटे द्रव्य ने न्यूयॉर्क की पेस यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। आज वे अपना फैमिली बिजनेस न्यूयॉर्क से ऑपरेट करते हैं। अरबपतियों में शुमार होने के बावजूद द्रव्य डाउन टू अर्थ हैं। इसके पीछे इनके पिता द्वारा दी कड़ी ट्रेनिंग है।

ग्रैजुएशन के दौरान द्रव्य पिता सावजीभाई के साथ बिजनेस मीटिंग के लिए लंदन गए थे। पापा को पापड़ खाने का शौक है, इसलिए बेटे ने रेस्टोरेंट में खाने के साथ पापड़ भी ऑर्डर कर दिया।

खाने के बाद जब बिल आया तो उसमें एक पापड़ की कीमत चार पॉन्ड (360 रुपए लगभग) दर्ज थी। उस समय सावजीभाई ने बेटे से कुछ नहीं कहा, लेकिन मन ही मन तय कर लिया कि बेटे को पैसे की कीमत समझाना जरूरी है।

एमबीए कंप्लीट होने के बाद जब द्रव्य न्यूयॉर्क से सूरत लौटे तो सावजीभाई ने उसे फैमिली बिजनेस में शामिल करने की जगह फ्रैशर की तरह जॉब करने के लिए कहा।

सालाना 6000 करोड़ रुपये का है टर्न ओवर

बता दें कि सावजी उस वक्त पूरे देश में चर्चित हो गए थे जब उन्होंने 2014 में दिवाली बोनस के तौर पर अपने कर्मचारियों को 491 कारें और 207 फ्लैट दिए थे। वहीं, 2016 में दिवाली से पहले कर्मचारियों में 1260 कारें और 400 फ्लैट बांटे थे। हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स में तकरीबन 5500 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इस कंपनी का सालाना टर्नओवर 6 हजार करोड़ रुपये का है।

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