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गजब! उधार के डेढ़ सौ रुपये से शुरू की चाय की होम डिलीवरी, अब बने लखपति
दुर्ग: अभी तक आपने मोबाइल पर कपड़े, खाने का सामान और दवाइयों की होम डिलीवरी के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको इससे हटकर कुछ अलग बताने जा रहे है। दरअसल ये मामला चाय की होम डिलीवरी से जुड़ा हुआ है। दुर्ग में एक युवक ने अपने अनोखे बिजनेस आइडिया से चाय की होम डिलीवरी का काम शुरू कर न केवल युवाओं को रोजगार दिया बल्कि खुद की लाखों की सम्पत्ति भी खड़ी कर ली है। वह अपने जिले के अंदर काम की वजह से चर्चा का विषय भी बना हुआ है।
उधार के डेढ़ सौ रुपये से शुरू किया ये बिजनेस
संजू वर्मा के मुताबिक 1987 में पिता वीरेंद्र वर्मा ने 150 रुपये उधार लेकर चाय की यह दुकान शुरू की थी। सन 2015 तक इसी चाय की दुकान के सहारे परिवार का भरण-पोषण होता था। सन 2015 में बड़े भाई के निधन और पिताजी के गिरते स्वास्थ्य ने चिंता में डाल दिया। ऐसे में दुकान के संचालन की जिम्मेदारी हम दो भाइयों ने अपने कंधों पर ले ली। उस समय चाय का धंधा कुछ खास नहीं चल रहा था, बड़ी मुश्किल से 60 से 70 रुपये की कमाई ही हो पाती थी।
ऐसे आया चाय की होम डिलीवरी का आइडिया
संजू ने बताया कि ऑनलाइन शापिंग के बारे में जब पता चला कि हम घर बैठे ही सामान की खरीदारी कर सकते हैं तभी मैंने मन बना लिया कि जब फोन से सामान की डिलीवरी हो सकती है तो चाय की क्यों नहीं। इसी आइडिया को ध्यान में रखकर मैंने चाय की होम डिलीवरी का काम शुरू करने का निर्णय किया। कीमत भी महज पांच रुपये, कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं। धीरे –धीरे मेरा धंधा तेजी से बढ़ने लगा।
ऐसे आप भी घर बैठे मंगा सकते है चाय
संजू के मुताबिक़ दुर्ग जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर जनपद पंचायत पाटन के सामने वर्मा टी स्टॉल व कॉफी सेंटर है। पाटन क्षेत्र के लोगों की जुबान पर इस दुकान का नाम और मोबाइल फोन पर यहां का नंबर सेव है। नगर के तीन से पांच किलोमीटर के दायरे में लोगों को घर से लेकर खेत तक सिर्फ एक फोन पर चाय मिल जाती है। चाय की होम डिलीवरी के लिए बाकायदा दर्जनभर कर्मचारी रखे गए हैं। डिलीवरी भी पिज्जा-बर्गर की तरह बाइक पर होती है।
सुबह सात से शाम सात बजे तक होती है बुकिंग
टी स्टॉल के संचालक संजय वर्मा और संजू वर्मा बताते हैं कि सुबह सात बजे चाय बनाना शुरू कर देते हैं और शाम सात बजे तक आर्डर लेते हैं। पाटन ब्लाक मुख्यालय से लगे ग्राम खोरपा, अखरा, अटारी, देमार, पंदर, सिकोला, नवागांव, खम्हरिया, बठेना व चंगोरी तक चाय की डिलीवरी की जाती है। ये सभी गांव टी स्टॉल से चतुर्दिक तीन से पांच किलोमीटर की दूरी पर हैं। ज्यादा चाय का आर्डर हो तो 10 से 12 किलोमीटर दूर से आया आर्डर भी स्वीकार किया जाता है। पाटन में इस होम डिलीवरी चाय की चर्चा इस्पात नगरी भिलाई व दुर्ग तक होने लगी है।
एक दर्जन युवाओं को दे रहे रोजगार
संजय वर्मा और संजू वर्मा के मुताबिक मोबाइल पर आर्डर देने के कुछ देर बाद ही घर से लेकर खेतों तक केतली में गर्म चाय लेकर डिलीवरी मैन हाजिर हो जाता है। कीमत भी महज पांच रुपये ही रखी गई है। कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं है। इस बिजनेस से दर्जन भर से ज्यादा युवाओं को रोजगार भी मिला है।
300 से पहुंचे 2500 कप तक
संजू बताते हैं कि पहले इस टी स्टॉल से प्रतिदिन औसतन 300 कप तक चाय बिकती थी। अब, फोन से ऑर्डर लेने व होम डिलीवरी शुरू होने के बाद यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन औसतन 2500 कप तक पहुंच गई है। कॉफी कप की संख्या इससे अलग है। एक व्यक्ति दिनभर सिर्फ फोन पर चाय का आर्डर लेता है, बाकी दर्जनभर लोग डिलीवरी करते हैं। पांच से सात किलोमीटर दूर के खेतों तक भी चाय पहुंचाते हैं।
3 साल में ऐसे बन गये लखपति
संजू ने बताया कि चाय की होम डिलीवरी शुरू करने से महज तीन वषरें में ही परिवार की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आ गया है। पाटन में खुद का घर, व्यावसायिक कांप्लेक्स सहित दो एकड़ कृषि भूमि चाय के इस बिजनेस से ही हासिल हो चुकी है। इतना ही नहीं, बेरोजगार युवकों को रोजगार भी दे रहे हैं।
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