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कमाल के सीईओ, जिस कालेज से किया था ड्रापआउट वहीं के 100 स्टूडेंट्स को दी जॉब
नई दिल्ली: मन में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। मेहनत और लगन से हर मुकाम को हासिल किया जा सकता है। इस उदाहरण को 'लुकअप' ऐप के सीईओ दीपक रविन्द्रन ने सच साबित कर दिखाया है। दीपक भी स्टीव जॉब्स और बिल गेट्स की तरह कॉलेज ड्रॉपआउट हैं। खास बात यह है कि दीपक ने जिस कॉलेज से पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। उसी कॉलेज के 100 स्टूडेंट्स को अब तक वे अपने स्टार्ट -अप में जॉब दे चुके है।
newstrack.com आज आपको दीपक रविन्द्रन की अनटोल्ड स्टोरी के बारे में बता रहा है।
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इस कालेज से छोड़ी इंजीनियरिंग की पढ़ाई
दीपक ने साल 2005 में कासरगोड के लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था। पांचवां सेमेस्टर आते-आते वह अपना खुद का बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचने लगे। साल 2007 में बीच में ही पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया। जल्द ही उन्होंने अपने तीन क्लासमेट्स के साथ स्टार्टअप शुरू कर दिया। उन्होंने सबसे पहले 'इनोज' नाम से एक ऐप बनाया' जो एसएमएस-बेस्ड सर्च इंजन था। उनके स्टार्टअप को आईआईएम-अहमदाबाद के एक्सेलरेटर प्रोग्राम में चुन लिया गया। बस यहीं से उनके करियर की शुरुआत हो गई। इसके बाद ही उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया।
परिवार को लगता था आईआईएम के लिए छोड़ा है कालेज
दीपक ने जब पढ़ाई छोड़ी थी तब दीपक और उसके तीन क्लासमेट्स के परिवारों को यही लगता था कि सभी ने आईआईएम से एमबीए करने के लिए कॉलेज छोड़ा है। हालांकि सच यह था कि तीनों अपने नए स्टार्टअप इनोज के लिए पैसा जुटाना चाहते थे। इनोज के बाद उन्होंने लुकअप के रूप में नया स्टार्टअप शुरू किया।
ऐसे आया था ऐप बनाने का आइडिया
दीपक को लुकअप की शुरुआत करने की प्रेरणा केरल में अपने होमटाउन कासरगोड की यात्रा के दौरान मिली। दिन उनकी मां एक दुकानदार को वॉट्सऐप पर चैट के जरिए ऑर्डर दे रही थीं। यह उनके लिए अचंभे की बात थी कि लोग चैट का किस तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बाद उन्होंने ऐसा ऐप तैयार करने के बारे में सोचा जिसके जरिए आप अपने आसपास की दुकानों से चैट या एसएमएस के जरिए खरीददारी कर सकें। मेसेजिंग ऐप 'लुकअप' की मदद से भी आप अपने आस-पड़ोस के स्टोर और दुकानों से घर बैठे खरीददारी कर सकते हैं। उनका हायपरलोकल मेसेजिंग ऐप बिजनेस को लोकल कंज्यूमर्स के साथ कनेक्ट करने में मदद करती है।
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लुकअप में दी सौ छात्रों को जॉब
दीपक कासरगोड के लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग कॉलेज के 'ड्रॉपआउट' कहे जाते हैं, लेकिन अब वह उसी कॉलेज के सबसे बड़े रिक्रूटर हैं। पिछले कुछ वर्षों में 100 से अधिक स्टूडेंट्स को अपने स्टार्टअप लुकअप के लिए हायर कर चुके हैं।
इसलिए अलग है लुकअप
वॉट्सऐप के साथ व्यक्ति को आसान कम्युनिकेशन के लिए नंबर सेव करने की जरूरत होती है। ऐसा करने के बाद आप एक-दूसरे की डिसप्ले पिक्चर्स भी देख सकते हैं, जिससे प्राइवेसी को लेकर समस्या हो सकती है। दीपक ने लुकअप के साथ इस समस्या को दूर कर दिया है। अब कंज्यूमर्स को उन दुकानदारों के साथ चैटिंग करने को लेकर चिंता नहीं रहती, जिनसे वे पहले कभी नहीं मिले हैं। इसका मतलब यह है कि किसी भी कंज्यूमर के पास सामान खरीदने के लिए तमाम विकल्प होते हैं।