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संत निरंकारी मिशन : नौ दशक की यात्रा में छठवीं गुरु बनीं सुदीक्षा
संत निरंकारी मिशन ने लगभग नौ दशक की यात्रा पूरी कर ली है। इन वर्षों में इस समूह को सुदीक्षा के रूप में अपना छठवां आध्यात्मिक गुरु प्राप्त हुआ है। सुदीक्षा की माता विगत 17 जुलाई तक संत निरंकारी मिशन की प्रमुख थीं। उन्होंने 18 जुलाई को अपनी सबसे छोटी बेटी सुदीक्षा को मिशन का नया आध्यात्मिक प्रमुख घोषित किया था। 5 अगस्त को सुदीक्षा की माता और समूह की पांचवी गुरू रहीं सविंदर हरदेव ने आखिरी सांस ले ली।
दुनिया के 27 देशों में 100 से अधिक केंद्र
अरबों रुपये की संपत्ति वाले संत निरंकारी मिशन की कमान संभालना सुदीक्षा के लिए किसी बड़ी चुनौती की तरह ही होगा। वर्तमान में 27 देशों में मिशन का कार्यकलाप चल रहा है और इसके एक करोड़ से ज्यादा भक्त हैं। निरंकारी मिशन का मुख्यालय दिल्ली में है। बताया जा रहा है कि विदेशों में मिशन के 100 से ज्यादा केंद्र हैं। भारत में भी करीब हर राज्य में इसके लाखों अनुयायी हैं।
संत निरंकारी मिशन की स्थापना संत बाबा बूटा सिंह ने 1929 में की थी। समाज में दीन दुखियों की सेवा और आध्यात्मिक जागरण के लिए स्थापित बाबा बूटा सिंह के इस अभियान में जुड़े संत अवतार सिंह। संत अवतार सिंह के बाद यह गद्दी एक ही परिवार की होकर रही है। संत अवतार सिंह के बाद उनके बेटे गुरुबचन सिंह ने यह विरासत संभाली फिर उनके बाद उनके पुत्र बाबा हरदेव सिंह ने गद्दी सम्हाली। बाबा हरदेव सिंह का अमेरिका में एक कार दुर्घटना में निधन हो गया तो उनके बाद उनकी पत्नी माता सविंदर हरदेव इस गद्दी पर विराजमान थीं। संत निरंकारी मिशन ने बाबा हरदेव के समय में बहुत ख्याति अर्जित की। बाबा हरदेव सिंह को संयुक्त राष्ट्र संघ भी सम्मानित कर चुका है। निरंकारी मंडल की ओर से दिल्ली के बुराड़ी स्थित मैदान में हर साल नवंबर में वार्षिक समागम का आयोजन किया जाता है।
ये हैं छठवीं गुरु सुदीक्षा
सुदीक्षा का जन्म 13 अप्रैल, 1985 को दिल्ली में हुआ और 2006 में एमिटी यूनिवर्सिटी से मोनो चिकित्सा में स्नातक करने के बाद 2010 में मिशन के लिए विदेश का काम देखने लगीं। सुदीक्षा की शादी दो जून 2015 को दिल्ली में पंचकूला निवासी अवनीत से हुई थी, लेकिन 33 वर्षीय सुदीक्षा के पति अवनीश सेतिया की भी कनाडा में बाबा हरदेव सिंह के साथ सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।