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SC की टिप्पणी- पत्नी को रखने के लिए कोर्ट पति को मजबूर नहीं कर सकता
नई दिल्ली: पति-पत्नी के साथ रहने के एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है, कि 'अदालतें पत्नी को रखने के लिए पति को मजबूर नहीं कर सकतीं।' दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पेशे से पायलट एक व्यक्ति से अलग रह रही पत्नी और बेटे की परवरिश के लिए 10 लाख रुपए अंतरिम गुजारा भत्ता के तौर पर जमा कराने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस जमानत आदेश को बहाल कर दिया है जिसे पति द्वारा समझौता मानने से इनकार करने की वजह से रद्द कर दिया गया था।
ये कहा कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते हुए जस्टिस आदर्श गोयल और जस्टिस यूयू ललित ने कहा, कि 'हम पत्नी को रखने के लिए एक पति को मजबूर नहीं कर सकते। यह रिश्ता मानवीय है।' कोर्ट ने निर्देश देते हुए पति को निचली अदालत में 10 लाख रुपए जमा कराने को कहा। इस रकम को उसकी पत्नी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बिना शर्त निकाल पाएंगी।
..तो बहाल होगा जमानत आदेश
इसके बाद जब पति की तरफ से जमानत राशि कम किए जाने की मांग की, तो पीठ ने कहा, 'अगर आप तुरंत 10 लाख रुपए जमा कराने के लिए राजी हैं, तो जमानत आदेश को बहाल किया जा सकता है।' इसके बाद वकील थोड़ा वक़्त मांगते हुए 10 लाख रुपए जमा कराने के लिए राजी हो गया।'
चार हफ्ते में जमा करनी है राशि
पीठ ने आगे कहा, 'हम याचिकाकर्ता के दिए बयान को देखते हुए जमानत के आदेश को बहाल करने को तैयार हैं।' अब याचिकाकर्ता को चार हफ्ते में 10 लाख रुपए जमा कराने हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा, कि 'इस राशि को पत्नी बिना किसी शर्त निकाल सकती है, ताकि वह अपनी और अपने बच्चे की जरूरतों को पूरा कर सके।'