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बेटी पर उंगली उठने पर बोली निर्भया की मां-' बेटी के बजाय बेटे के संस्कार पर सवाल उठाए समाज'
Ved Prakash Singh
नई दिल्ली: निर्भया केस के आरोपियों पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है। सजा सुनाने के दौरान निर्भया का परिवार कोर्ट में मौजूद रहेगा। न्यूज़ट्रैक से ख़ास बातचीत में निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि अपनी बेटी के इंसाफ के लिए लंबीलड़ाई लड़ी,लेकिन इस लड़ाई को अंजाम तक पहुचाए बिना रुकना नहीं है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं है।
लड़कियों का नहीं आरोपी का हो बहिष्कार
कोर्ट में होने वाली बहस और लड़कियों पर ही उठने वाले सवाल को लेकर निर्भया के माता-पिटा बेहद आहत हैं। निर्भया की मां ने कहा कि जब भी किसी लड़की के साथ दरिन्दगी होती है तो समाज उसे ही दोषी मानता है। यहां तक की जिन्दा बच जाने पर लड़की को ही जिल्लत झेलनी होती है कोई शादी नहीं करना चाहता, कोई सम्बन्ध नहीं रखना चाहता है। लेकिन हमें अब यह बदलना होगा। अगर सामाजिक बहिष्कार हो तो उस बेटे का हो। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हमें अपनी बेटियों पर उंगली उठाने के बजाय अपने बेटे पर नज़र रखें।
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नेताओं के बयान शर्मनाक हैं
निर्भया की मां ने कहा कि एक तरफ हमारी बेटियों के साथ बर्बरता की सारे हदें पार कर दी जाती हैं और दूसरी तरफ नेता शर्मनाक बयान देते हैं कि लड़कों से गलती हो जाती है। लेकिन मेरी बेटी का क्या अपराध है यह कोई बताये। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में अगर कुछ बदला है तो वह है सरकार। स्थिति में कोई ख़ास बदलाव नज़र नही आ रहा है।
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सिर्फ मेरी लड़ाई नहीं है
निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि इस लड़ाई का सिर्फ एक मकसद है 'इन्साफ'.यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं हैं। क्योंकि मेरी बेटी लौट कर वापस आने वाली नहीं है। लेकिन अपराधियों को मिलने वाली सजा के खौफ से अगर लोग डरेंगे तो आगे से शायद कोई बेटी बच जाए.
क्या मेरी बेटी क्रिमिनल थी?
आशादेवी ने कहा की लोग कहते हैं अभी सब बच्चे हैं इन्हें सुधरने का मौक़ा मिलना चाहिए। मेरी बेटी पर भी सवाल उठाते है की वह क्यों उस बस में गई?तो लोग बताएं क्या मेरी बेटी क्रिमिनल थी? उसने कोई अपराध किया था? क्या फिल्म सिर्फ लड़कों के लिए है? क्या फिल्म देखना क्राइम है?
सिर्फ दो शब्द है है ‘रेप’, लेकिन जिंदगी पर भारी पड़ता है
उन्होंने कहा की देखने में सिर्फ रेप दो शब्द का है, लेकिन जिस पर बीतती है वही जानता हैं. पूरी जिन्दगी पर भारी पड़ता है. पूरा परिवार हमेशा के लिए सदमे में चला जाता है. समाज की दुश्वारियां जो हैं वह अलग. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हमें बेटों को दोषी मानना चाहिए. कपड़े छोटे हो या बड़े. सामाजिक बहिष्कार लड़कों का हो उनके संस्कार पर सवाल उठाये जाएँ.
आज फैसला लेकिन लड़ाई फांसी तक जारी रहेगी
निर्भया के नाम से एक गैर सरकारी संगठन चलाने वाले आकाश ने कहा कि सजा सुनाए जाने के वक़्त हम कोर्ट में ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट से फैसले का दिन है। लेकिन हमारी लड़ाई सभी की फांसी तक जारी रहेगी। हमें उम्मीद है कोर्ट उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखेगा।
अभी मेरी लड़ाई चल रही है लेकिन एक युवक अपनी सजा भी काट चुका
निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने कहा कि अभी हम उन दरिंदो को सजा दिलवाने के लिए लड़ रहे हैं और एक आरोपी जो कि बराबर का पापी था वह अपनी सजा काट कर जेल से बाहर भी आ गया। उसने क़ानून का फायदा उठाया। अब वह आजाद है और उसी समाज में है जहां हम रहते हैं।
प्राइवेट जॉब में आधे आधे महीने की सैलरी कट गयी लेकिन लड़ाई जारी रही
निर्भया की मां ने कहा कि निर्भया की लड़ाई को मैंने जारी रखा चाहे जो भी समस्याएं आई। यहां तक की प्राइवेट नौकरी थी आधे आधे महीने की सैलरी कट जाती थी लेकिन हमने लड़ाई जारी रखी।
निर्भया केस में अब तक
16 दिसंबर 2012 की रात में दिल्ली की बेहद सुरक्षित इलाकें में 6 युवकों ने निर्भया के साथ मानवता की सारी हदें पार कर दी थी। इलाज के दौरान सिंगापुर में उसकी मौत हो गई। पूरे मामले ने देश को झकझोर दिया था। दबाव बढ़ता देख पुलिस ने उस बस को खोज निकाला और देश के अलग अलग जगहों से सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। सुनवाई के दौरान एक युवक नाबालिग निकला और उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड से दो साल की सजा मिली और अब वह अपनी सजा काट चुका है। इसके अलावा पांच आरोपियों को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। इस फैसले के खिलाफ अपील में हाई कोर्ट ने भी फ़ास्ट ट्रैक के फैसले को बरकारा रखा। इसी दौरान एक आरोपी राम सिंह ने जेल में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.।बाक़ी के चारों आरोपियों ने हाई कोर्ट की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है, जिस पर आज फैसला आने वाला है।