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रोस द्वीप के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से संबंध की ये है पूरी कहानी
नेताजी ने ‘यूनाइटेड फ्री इंडिया’ के पहले प्रधानमंत्री के रूप में 30 दिसंबर, 1943 को पोर्ट ब्लेयर के तत्कालीन जिमखाना ग्राउंड, जिसे अब नेताजी स्टेडियम कहा जाता है, उसमें राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को पहली बार अंडमान-निकोबार पहुंचे। यहां उन्होंने सी-वॉल समेत कई परियोजनाओं की नींव रखी। मोदी ने रॉस आइलैंड, नील आइलैंड और हैवलॉक आइलैंड के नाम बदलने का ऐलान किया। इन्हें क्रमश: नेताजी सुभाष चंद्र बोस, शहीद और स्वराज नाम दिया गया। Newstrack.com आज आपको बता रहा है रॉस आइलैंड और सुभाष चन्द्र बोस के बीच क्या संबंध है।
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नेताजी जी ने इस जगह 1943 में फहराया था राष्ट्रीय ध्वज
नेताजी ने ‘यूनाइटेड फ्री इंडिया’ के पहले प्रधानमंत्री के रूप में 30 दिसंबर, 1943 को पोर्ट ब्लेयर के तत्कालीन जिमखाना ग्राउंड, जिसे अब नेताजी स्टेडियम कहा जाता है, उसमें राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। इस दौरान नेताजी ने घोषणा की थी कि अंडमान और निकोबार द्वीप स्वतंत्र होने वाला भारत का पहला क्षेत्र है, इस अवसर नेताजी ने अंडमान और निकोबार द्वीपों का नाम शहीद और स्व राज रखा था।
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ये लोग भी थे नेताजी के साथ
गौरतलब है कि उन्हीं दिनों द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानियों ने इन द्वीपों पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने आईएनए के जनरल ए डी लोगनाथन को इसका गवर्नर नियुक्त किया था। नेताजी के साथ इस अवसर पर सर्वश्री आनंद मोहन सहाय, कैप्टन रावत-एडीसी और कर्नलडीएस राजू भी थे। राजू नेताजी के पर्सनल फिजिशियन थे।
नेताजी के संबंधी और भाजपा नेता ने की थी मांग
गौरतलब है कि नवंबर में पश्चिम बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष और नेताजी के संबंधी चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का नाम बदलकर शहीद और स्वराज द्वीप करने का आग्रह किया था।
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