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वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के गलियारों में हुआ था मेरा यौन शोषण

aman
By aman
Published on: 8 Nov 2016 2:41 PM IST
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के गलियारों में हुआ था मेरा यौन शोषण
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह अक्सर मानवाधिकारों से जुड़े मामलों की वजह से सुर्खियों में रहती हैं। 'द वीक' को दिए ताजा इंटरव्यू में इंदिरा जयसिंह ने खुलासा किया कि उन्हें भी यौन शोषण का शिकार होना पड़ा था। वो भी देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के गलियारों में। इंदिरा जयसिंह मानती हैं कि युवा महिला जज और वकील ज्यादा असुरक्षित हैं।

गौरतलब है कि इंदिरा जयसिंह भारत की पहली महिला एडिशनल सॉलिसिटर-जनरल रही हैं। वो बॉम्बे हाईकोर्ट के 154 साल के इतिहास में पहली महिला वकील हैं जो सीनियर एडवोकेट बन सकीं।

जजों का भी होता है यौन शोषण

भारतीय न्यायपालिका और बार काउंसिलों में पितृसत्तात्मक ताकतें हावी हैं। इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में इंदिरा जयसिंह ने पत्रिका से कहा, 'भारतीय न्यायपालिका कई मायनों में काफी पितृसत्तात्मक है। अदालतों में महिलाओं के काम करने लायक माहौल नहीं है। इस वजह से महिलाएं इस पेशे से दूर हो रही हैं। एक अहम मसला महिलाओं के यौन शोषण का है। अभी मैं एक महिला जज का मुकदमा लड़ रही हूं जिसका दूसरे जज ने यौन शोषण किया है। ये कानून के पेशे के अंदरखाने का छिपा हुआ गंदा सच है। महिला वकील, यहां तक कि जजों का भी यौन शोषण होता है। उन्होंने कहा, दो इंटर्न के सुप्रीम कोर्ट के जजों ने यौन शोषण किया था, ये मामला काफी चर्चित हुआ। अगर सुप्रीम कोर्ट के संग काम करने वाले इंटर्न का ये हाल है तो समस्या किस हद तक होगी इसकी कल्पना की जा सकती है।'

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अभी भी होता है लैंगिक भेदभाव

इंदिरा जयसिंह ने 'द वीक' को बताया कि उन्हें अभी भी लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उनके पुरुष सहकर्मी ने वही महिला जो बहुत आक्रामक है' या 'वो महिला' कह के बुलाते हैं। इंदिरा जयसिंह ने इंटरव्यू में कहा कि यौन शोषण का उम्र से कोई संबंध नहीं है। उन्हें इस उम्र में भी इसका सामना करना पड़ता है।

मैंने शिकायत नहीं की, चेतावनी दी

इंदिरा जयसिंह के अनुसार कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट के गलियारे में कोई उनसे टकरा गया। उन्होंने बताया, 'वहां काफी भीड़भाड़ रहती है। इसलिए किसी का किसी से टकरा जाना सामान्य बात है। लेकिन आप अच्छी तरह समझते हैं कि कब आपसे कोई जानबूझकर टकराया है और कब अनचाहे तरीके से। वो एक सीनियर वकील थे। मैंने इसकी शिकायत नहीं की। लेकिन उन्हें वहीं रोककर चेतावनी दी।'

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वकालत स्वरोजगार है

न्यायपालिका और कचहरी में होने वाला यौन शोषण दूसरे सरकारी कार्यालयों में होने वाले यौन शोषण से अलग है। इसे समझाते हुए इस वरिष्ठ वकील ने कहा, 'यदि किसी सरकारी महिला कर्मचारी का यौन शोषण होता है तो सरकार को उसकी शिकायत सुननी ही पड़ती है। लेकिन वकालत स्वरोजगार है। ये असंगठित क्षेत्र की तरह है। जूनियर महिला वकील सीनियर पर निर्भर होती हैं। इसलिए महिला वकील को बस खुद का सहारा होता है। इनके पास नियोक्ता का संरक्षण नहीं होता।'

युवा जजों का है बेहतर नजरिया

क्या लैंगिक भेदभाव का असर अदालती की कार्यवाही में भी पड़ता है? इस पर इंदिरा जयसिंह ने कहा, 'जब उनके साथ कोई पुरुष वकील होता है तो अक्सर जज उससे पहले बोलने को कहते हैं, और जब उनके विपक्ष में कोई पुरुष वकील होता है तो जज उससे पहले के लिए बोलने के लिए कहते हैं। इंदिरा जयसिंह मानती हैं कि न्यायपालिका में ऊपर से नीचे तक पितृसत्तात्मक विचार जड़ जमाए हुए है। हालांकि वो मानती हैं कि निचली अदालतों में आने वाले युवा जज इस मामले में बेहतर नजरिया रखते हैं।'

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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