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राम मंदिर के लिए जमीन देना बोर्ड को नामंजूर, अब तीन तलाक पर चर्चा

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की शुक्रवार 9 फरवरी से शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में अब केंद्र सरकार की ओर लाए गए तीन तलाक के कानून पर चर्चा होगी।बोर्ड ने  पहले दिन बाबरी मस्जिद को लेकर अपनी नीति साफ कर दी है कि वह अपने पुराने रुख पर कायम

tiwarishalini
Published on: 10 Feb 2018 7:25 AM GMT
राम मंदिर के लिए जमीन देना बोर्ड को नामंजूर, अब तीन तलाक पर चर्चा
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हैदराबाद: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की शुक्रवार 9 फरवरी से शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में अब केंद्र सरकार की ओर लाए गए तीन तलाक के कानून पर चर्चा होगी ।बोर्ड ने पहले दिन बाबरी मस्जिद को लेकर अपनी नीति साफ कर दी है कि वह अपने पुराने रुख पर कायम है और मस्जिद के लिए समर्पित जमीन न तो बेची जा सकती, न उपहार में दी जा सकती और ना ही इसे त्यागा जा सकता है।

बोर्ड का साफ मानना है कि इसके लिए कानून का रास्ता ही बचा है जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है । एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैंसी पहले ही कह चुके हैं कि देश के मुसलमान तीन तलाक कानून के खिलाफ हैं।

शुक्रवार बोर्ड की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद बयान जारी कर कहा गया कि 'बोर्ड ने एक बार फिर शरिया के मौलिक स्तर पर जोर दिया कि मस्जिद के लिए समर्पित जमीन को न तो बेचा जा सकता, न उपहार में दिया जा सकता और ना ही इसे त्यागा जा सकता है।

बैठक में एआईएमआईएम के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी थे । बोर्ड की ओर से ये भी कहा गया है कि वह बाबरी मस्जिद पर बातचीत का हमेशा स्वागत करता है। पहले भी ऐसे प्रयास हुए हैं लेकिन बोर्ड को कोर्ट के फैसले का इंतजार है।

बोर्ड की तरफ से एक ट्वीट में ये भी कहा गया है कि बाबरी केस आस्था का विषय नहीं है, बल्कि जमीन के मालिकाना का है और इस संबंध में कोर्ट का जो भी फैसला आएगा वो हमें स्वीकार होगा। सुप्रीम कोर्ट भी 8 फरवरी को सुनवाई शुरू होने के बाद साफ कर चुका है कि अयोध्या उनके लिए भावनात्मक मुद्दा नहीं बल्कि जमीन के मालिकाना हक का मामला है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तीन तलाक के खिलाफ लाए जा रहे कानून पर भी चर्चा होनी है लेकिन बोर्ड इस मसले पर भी अपनी राय साफ कर चुका है कि वह कानून के पत्र में नहीं है। हालांकि, एक बार में तीन तलाक को बोर्ड भी बुराई मानता है और इसके प्रति मुस्लिम समुदाय को जागरुक करने के लिए उसने रणनीति भी बनाई है। बोर्ड ये मानमा है कि तीन तलाक को रोकने के लिए अब निकाह के वक्त ही लिखित हलफनामा लिया जाना चाहिए कि शौहर अपनी पत्नी को तीन तलाक नहीं बोलेगा ।

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tiwarishalini

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