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जलवायु परिवर्तन: वैश्विक रिपोर्ट में भारत के लिए बताया गया बड़ा खतरा, गरीबी बढ़ने का संकेत

Aditya Mishra
Published on: 13 Oct 2018 12:32 PM IST
जलवायु परिवर्तन: वैश्विक रिपोर्ट में भारत के लिए बताया गया बड़ा खतरा, गरीबी बढ़ने का संकेत
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नई दिल्ली: अमेरिका, चीन और पाकिस्तान के बाद अब भारत के लिए भी सतर्क होने का समय आ गया है। यदि समय रहते ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती नहीं की गई तो 2030 तक धरती पर वैश्विक औसत तापमान पर 1.5 डिग्री तक बढ़ जाएगा। इसके बाद बाकि देशों की तरह ही भारत को भी इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते है। ऐसा हम नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था इंटर –गवर्नमेंटल पैनल ऑफ़ क्लाइमेट चेंज की तरफ से जारी की गई वैश्विक रिपोर्ट ये बात कह रही है।

बता दें कि भारत ने पिछले वित्त वर्ष में केवल थर्मल पावर सेक्टर से करीब 929 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन किया था, जो कि देश का 79 फीसदी पावर जेनरेट करता है।

आईपीसीसी की रिपोर्ट में भारत के लिए बताया गया बड़ा खतरा

क्लाइमेंट चेंज पर इंटरगवर्नमेंटल पैनल (आईपीसीसी) की तरफ से दक्षिण कोरिया के इचियन में जारी एक व्यापक मूल्यांकन के आधार पर यह अंदेशा जाहिर किया गया। जलवायु परिवर्तन पर इस समीक्षा रिपोर्ट को बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है।

इस रिपोर्ट में भारत के लिए बड़ी चेतावनी है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ऐसे हालात से बचने के लिए ग्रीन हाउस गैस और कार्बन उत्सर्जन को कम करना ही होगा। इसके लिए भारत को जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे।

रिपोर्ट में फैक्ट्स के जरिये बताया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग अगर 2.7 डिग्री फारेनहाइट (1.5 डिग्री सेल्सियस) तक बढ़ जाएगा तो इसका असर आशंका से कहीं ज्यादा बदतर होगा। भारत पर भी इसकी मार पड़ेगी। फसलों को नुकसान होगा जिस वजह से किसान परेशान होंगे और गरीबी बढ़ेगी।

40 देशों के समीक्षा संपादकों ने तैयार की है ये रिपोर्ट

इस रिपोर्ट को 40 देशों के 91 लेखकों और समीक्षा संपादकों ने मिलकर तैयार की है। 400 पन्नों की रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन पर विस्तृत जानकारी मुहैया कराई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया में 2 डिग्री से ज्यादा तापमान बढ़ा तो गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।

दुनिया की 11 फीसदी आबादी खतरे में

वहीँ अगर अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट को माने तो ग्लोबल वार्मिंग पर लगाम नहीं लगाई गई तो 2300 तक समुन्द्र का जलस्तर 50 फुट तक बढ़ जाएगा। इससे समुन्द्र स्तर से ३३ फीट उंचाई पर रहने वाली दुनिया की 11 फीसदी आबादी खतरे में पड़ जाएगी।

भारत को शुरू कर देनी चाहिए तैयारी

जलवायु परिवर्तन के गंभीर खतरों से आगाह करती इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है तो भारत को साल 2015 की तरह जानलेवा गर्म हवाओं का सामना करना पड़ेगा। साल 2015 में करीब 2,500 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।

बढ़ते तापमान पर खतरे की घंटी बजाते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि औसत वैश्विक तापमान 2030 तक 1.5 डिग्री (प्री-इंडिस्ट्रियल लेवल से अधिक) के स्तर तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'यदि तापमान इसी गति से बढ़ता रहा तो ग्लोबल वार्मिंग 2030 से 2052 के बीच 1.5 डिग्री सेल्यिस तक बढ़ सकता है।'

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कोलकाता, कराची पर बड़ा खतरा: रिपोर्ट

यह रिपोर्ट भारतीय उपमहाद्वीप में उन शहरों खासतौर से कोलकाता और काराची का जिक्र करती है जहां गर्म हवाओं का सबसे अधिक खतरा है। कोलकाता और कराची में 2015 जैसे हालात सालभर रह सकते हैं। रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्म हवाओं के कारण होने वाली मौतें बढ़ रही हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोकने के लिए इंसानों द्वारा पैदा किए गए कार्बन उत्सर्जन को 2010 के स्तर से 2030 तक 45 फीसदी तक कम करने की जरूरत है, जिसे 2050 तक बिलकुल शून्य करना होगा।

गरीबी और महंगाई बढ़ेगी

आईपीसीसी रिपोर्ट के आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन और क्लाइमेट ट्रैकर ने कहा है कि 2 डिग्री सेल्यिस तापमान बढ़ने पर भारत और पाकिस्तान पर बेहद बुरा असर पड़ेगा। जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों को नुकसान होगा जिस वजह से खाद्य असुरक्षा बढ़ेगी और इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। किसान और गरीब हो जाएगा। आमदनी में कमी, आजीविका के अवसरों में कमी, जनसंख्या पलायन और खराब स्वास्थ्य जैसी समस्याएं भी उत्पन्न होंगी।

रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गरीबी भी बढ़ेगी। इसमें कहा गया है, 'ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस की बजाय 1.5 डिग्री सेल्यिस तक रोकने से 2050 तक करोड़ों लोग जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों और गरीबी में जाने से बच जाएंगे।' तापमान वृद्धि की इस सीमा से मक्का, धान, गेंहूं और दूसरे फसलों में कमी भी रुक सकती है।

पोलैंड में दिसम्बर में होगी ग्लोवल वार्मिंग पर चर्चा

आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुमानों पर इस साल दिसंबर में पोलेंड में जलवायु परिवर्तन पर होने वाली बैठक में चर्चा होगी। इस बैठक में दुनिया भर की देश जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पेरिस समझौते की समीक्षा करेंगे। सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देशों में से एक होने के कारण भारत इस वैश्विक बैठक में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

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