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नोटबंदी के ऐलान के बाद साल भर में 25% घटी सोने की मांग
मुंबई: बीते साल 8 नवंबर को मोदी सरकार के नोटबंदी के ऐलान के बाद से अब तक यानि साल भर में देश में सोने की मांग में 25 प्रतिशत की कमी आई है। बुलियन ट्रेडर्स और जूलर्स की मानें तो गोल्ड ट्रेड बी2बी (बिजनेस टु बिजनेस) कारोबार में कालेधन का इस्तेमाल भले ही बंद हो गया हो, लेकिन सौदों में इसका दखल अभी भी बना हुआ है।
इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, ऑल इंडिया जेम ऐंड जूलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने बताया, कि 'नोटबंदी के बाद शुरुआती महीनों में कारोबार तकरीबन 75 फीसदी गिर गया था। हालांकि, सिस्टम में करंसी की सप्लाई बढ़ने से धीरे-धीरे मांग बढ़ी है।'
हड़ताल, पैन कार्ड, नोटबंदी गिरावट की बड़ी वजह
खंडेलवाल ने बताया, कि 'पिछले साल की तुलना में कुल मांग अभी भी 25 फीसदी कम है।' वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की मानें तो 2016 में भारत में सोने की मांग करीब 675.5 टन थी, जो 2015 से 21 फीसदी कम थी। सोना व्यापारियों की हड़ताल, बड़ी खरीदारी के लिए पैन कार्ड को अनिवार्य बनाए जाने और नोटबंदी इसकी बड़ी वजहें थीं। साल 2015 में सोने की मांग करीब 857.2 टन थी।
संभलने के बाद जीएसटी से घटी मांग
नोटबंदी का असर इस साल जनवरी-फरवरी महीने में भी जारी रहा। हालांकि, अक्षय तृतीया पर मांग में कुछ तेजी दिखी। डब्ल्यूजीसी के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-जून तिमाही में मांग 37 फीसदी तक बढ़ी थी। खंडेलवाल ने बताया, '1 जुलाई को जीएसटी में सोने पर तीन फीसदी टैक्स लगाने से मांग फिर घट गई।'
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नोटबंदी के बाद तस्करी में बड़ी गिरावट
वहीं, इंडिया बुलियन ऐंड जूलरी असोसिएशन के नेशनल सेक्रटरी सुरेंद्र मेहता ने कहा, कि 'नोटबंदी के बाद से तस्करी में बड़ी गिरावट आई है। क्योंकि बाजार में कम पूंजी थी और निगरानी सख्त हुई।'
इस वजह से किसानों ने गोल्ड से मुंह मोड़ा
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि 'कई राज्यों में बारिश की वजह से खरीफ की फसलें अच्छी नहीं हुई है। किसानों को फिर से बुआई के लिए नकद की जरूरत है। उन्हें फसल की अच्छी कीमत भी नहीं मिल रही है। इसलिए किसानों की तरफ से सोने की खरीददारी घटी है।'