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नोटबंदी मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने चली विपक्ष में फूट, सबकी अपनी डफली-अपना राग
नई दिल्ली: नोटबंदी के मुद्दे पर 27 दिसंबर को 16 विपक्षी पार्टियों की केंद्र सरकार को घेरने की एकजुटता अब बिखरती दिख रही है। मोदी सरकार को घेरने की योजना बना रहे विपक्ष में अब फूट पड़ चुकी, ऐसा उनके बयानों से प्रतीत हो रहा है।
गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद 30 दिसंबर को पुराने नोट जमा करने की समय सीमा समाप्त हो रही है। पीएम मोदी ने भी हालात सामान्य करने के लिए जनता से 50 दिन का समय मांगा था। ऐसे में 27 दिसंबर को 16 विपक्षी दल एक होकर आगे की रणनीति पर विचार करने का फैसला किया था।
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जेडीयू ने की न्यूनतम साझा कार्यक्रम की मांग
27 दिसंबर को होने वाली 16 विपक्षी दलों की बैठक से पहले ही इसमें फूट की खबरें आने लगी हैं। मीडिया खबरों की मानें तो वाम दलों के इसमें शामिल होने की संभावना नहीं है। इसके अलावा जेडीयू की भी इसमें शामिल होने की संभावना नहीं के बराबर है। खबरों की मानें तो जेडीयू ने बैठक से पहले न्यूनतम साझा कार्यक्रम की मांग की है।
येचुरी योजना से असहमत
वाम नेता सीताराम येचुरी ने कहा, वे मंगलवार को कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों की होने वाली जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं होंगे। येचुरी ने कहा, 'सभी 16 विपक्षी दलों में वे वहां नहीं होंगे। पश्चिम बंगाल की सीएम जब वहां होंगी तो असम, त्रिपुरा सहित अन्य विपक्षी राज्य क्यों नहीं? योजना ठीक से नहीं बनाई गई है। अगर प्रधानमंत्री नए घोषणा लेकर आते हैं तो वाम दल प्रदर्शन करेंगे। निर्भर करता है कि वो क्या करेंगे।'
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नीतीश मुद्दे पर जेडीयू हटा पीछे
इसी मुद्दे पर जेडीयू के सांसद केसी त्यागी ने कहा, 'इस बैठक के पीछे की असली भावना के बारे में पता नहीं है। विपक्षी पार्टियों की बैठक के लिए कॉमन एजेंडा होना चाहिए। ममता चाहतीं हैं कि फैसला वापस हो, लेकिन हम ऐसा नहीं चाहते। विपक्ष के कुछ ईर्ष्यालु नेताओं ने नीतीश कुमार को गलत समझा। उन्होंने नोटबंदी का समर्थन किया था, मोदी या अन्य मुद्दों का नहीं।