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सिंधु समझौते पर बैठक में बोले PM मोदी- खून और पानी साथ नहीं बहेगा
नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में विदेश सचिव एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पीएम के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्रा शामिल हुए।
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने पांच दशक पुराने भारत-पाक के बीच हुए सिंधु जल समझौते की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई। इस दौरान विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों ने पीएम को जल समझौते के बारे में विस्तार से बताया। इनमें जल संसाधन और विदेश मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे।
सख्त दिखे पीएम मोदी
इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों ने साफ तौर पर कहा, कि 'खून और पानी साथ नहीं बहेगा।' पीएम ने कहा कि अब तक पाक के साथ 112 बैठकें हो चुकी हैं। अब आतंक के माहौल में बातचीत नहीं की जा सकती।
समझौते की समीक्षा की उठी मांग
केंद्र सरकार 1960 में हुई इस संधि की अच्छे और बुरे संदर्भ में समीक्षा करना चाहती है। इस संधि के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच दो बड़े युद्ध हो चुके हैं लेकिन इस संधि पर कोई असर नहीं पड़ा। 18 सितंबर को उरी में हुए सेना पर हमले के बाद से इस संधि की समीक्षा की बात लगातार उठने लगी थी।
बूंद-बूंद के लिए तरसेगा पाक
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा था कि 'यह एक तरफा मामला नहीं हो सकता।' जब उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार करेगी। अगर भारत सिंधु जल संधि तोड़ता है तो पाकिस्तान के एक बड़े हिस्से के लोगों को एक-एक बूंद पानी के लिए तरसना पड़ सकता है।
6 लाख हेक्टेयर जमीन को मिलेगा पानी
मीटिंग में यह भी कहा गया कि 3.6 मिलियन एकड़ फीट वाटर स्टोरेज पर भारत का हक है। यह पानी हम पाकिस्तान को ज्यादा देर रहे थे। इसका इस्तेमाल हम अपनी 6 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई में कर सकते हैं।
18000 मेगावॉट बिजली का होगा उत्पादन
बैठक में ये बात भी हुई कि इस पानी से 18000 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। फिलहाल 3 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। इससे जम्मू-कश्मीर में बिजली और सिंचाई की समस्या खत्म हो जाएगी।