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प्रियंका के अलावा PK यूपी में खेलना चाहते हैं एक और गांधी कार्ड

suman
Published on: 5 July 2016 12:47 PM GMT
प्रियंका के अलावा PK यूपी में खेलना चाहते हैं एक और गांधी कार्ड
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Ved Prakash Singh Ved Prakash Singh

लखनऊ: यूपी में बढ़ते चुनावी पारे के बीच कांग्रेस की चुनावी नैय्या पार लगाने की जिम्मेदारी लेने वाले पीके (प्रशांत किशोर) यूपी में एक बड़ा दांव खेलने की तैयारी कर रहे हैं। इससे यूपी में सत्ता हासिल करने का दावा ठोक रही बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है। साथ ही देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार के बीच की दशकों पुरानी कड़वाहट भी ख़त्म हो सकती है।

कांग्रेस और प्रशांत किशोर के नजदीकियों की माने तो पीके वरुण गांधी की कांग्रेस में वापसी करवाकर यूपी में सीएम के फेस के रूप में प्रोजेक्ट करना चाहते हैं। इससे कांग्रेस को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उन्हें गांधी परिवार से एक चेहरा मिल जाएगा और बीजेपी को घेरने का मौक़ा मिल जाएगा। इसके लिये पीके अपने पुराने कांग्रेसी कनेक्शन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

पीके, कांग्रेस और वरुण गांधी से जुड़े नेताओं की मानें तो अभी तक इस एजेंडे को लेकर पीके के साथ कई वरिष्ठ कांग्रेसी वरुण गांधी से दो बार मुलाकात भी कर चुके हैं। हालांकि पीके का यह हथकंडा कितना कारगर होगा यह तो वक़्त ही बताएगा, लेकिन मंगलवार को हुए कैबिनेट विस्तार में वरुण को जगह नहीं मिलने के बाद इस बात को बल मिल गया है। वही, जानकारों की मानें तो पीके वरुण गांधी की इस नाराजगी का फायदा उठाना चाहते हैं। बताते चलें कि केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी को सीएम पद के योग्य बताने के बाद ही वरुण को यूपी में सीएम बनाने को लेकर बीजेपी में घमासान तेज हो गया था।

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वरुण को कांग्रेस में लाने की कोशिश में पीके का साथ यूपी की जिम्मेदारी निभा रहे एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भी दिया है और हाल ही में इस बारे में सोनिया गांधी से बात भी की है। राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी इस बारे में सुनकर एक बार मुस्कराई तो, लेकिन इस पर अभी तक अपना कोई निर्णय नहीं दिया है।

हाल ही में बागी तेवर में नजर आए थे वरुण गांधी

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि हाल ही में वरुण गांधी कई बार बागी तेवर में नज़र आए थे। इलाहाबाद की बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लगे वरुण गांधी के पोस्टर पर बीजेपी के बागी नेताओं को जगह दी गई जबकि अन्य नेताओं को जगह नहीं दी गई। इसके अलावा हाल के दिनों में इस बात के आरोप लगते रहे ही कि वरुण गांधी खुद को सीएम के लिए प्रोजेक्ट करने की कैंपेन करवा रहे हैं।

अमित शाह की बैठक से भी नदारद रहे वरुण गांधी

बीते महीने बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अमित शाह द्वारा बुलाई गई। सांसदों की बैठक से भी वरुण गांधी नदारद रहे. जिस पर उनकी खूब किरकिरी हुई, हालांकि उन्होंने बाद में कहा था कि उन्होंने इसके लिए अमित शाह से इजाजत ली थी।

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केशव मौर्य भी दे चुके हैं लक्ष्मण रेखा न लांघने की सलाह

इलाहाबाद में जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान वरुण गांधी को सीएम बनाने को लेकर पोस्टर लगाए गए थे और उसमें बीजेपी के बागी नेताओं को तरजीह दी गयी थी तो पार्टी अध्यक्ष केशव मौर्य ने कहा था कि पार्टी में एक अनुशासन हैं उसे लांघने की कोशिश न की जाए।

इसी नाराजगी को जैकपोट बनाना चाहते हैं पीके

जानकारों की मानें तो वरुण गांधी के इसी तेवर, महत्वाकांक्षा और नाराजगी को पीके कांग्रेस के पक्ष में लाना चाहते हैं, क्योंकि कांग्रेस यूपी में राहुल को लाना नहीं चाहती और प्रियंका गांधी वाड्रा खुद आना नहीं चाहती। ऐसे में पीके वरुण गांधी की इस नाराजगी को कांग्रेस के लिए जैकपॉट बनाना चाहते हैं।

पहले भी कांग्रेस के लिए काम कर चुके है पीके

नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार से लाइम लाइट में आए कैंपेन स्ट्रेटजिस्ट प्रशांत किशोर पहले भी कांग्रेस के लिए काम कर चुके हैं। हालांकि इस समय कांग्रेस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बाद की हैसियत रखने वाले पीके का कद तब बहुत छोटा था।

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वे अमेठी रायबरेली के लिए अकेले काम करते थे और वहां के स्थानीय नेताओं को रिपोर्ट करते थे। सात साल पहले काफी दिन कांग्रेस के लिए काम करने वाले पीके अंतरराष्ट्रीय संगठन के साथ काम करने के बाद बीजेपी का दामन थाम लिया था और नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी।

इसके बाद 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नितीश कुमार के साथ जुड़ गए थे और फिलहाल वे नितीश कुमार की कैबिनेट में दर्जा प्राप्त मंत्री हैं और अब फिर से 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी और पंजाब में कांग्रेस का जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

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