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मंदसौर गोलीबारी के बाद अन्य जिलों में भड़की हिंसा, 8 किसानों के मारे जाने का आरोप

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Published on: 8 Jun 2017 9:26 AM IST
मंदसौर गोलीबारी के बाद अन्य जिलों में भड़की हिंसा, 8 किसानों के मारे जाने का आरोप
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मंदसौर/इंदौर: आंदोलनकारी किसानों पर मंदसौर में मंगलवार को पुलिस गोलीबारी के बाद बुधवार को किसान आंदोलन और उग्र हो गया। किसानों ने मंदसौर में दर्जनों वाहनों के साथ ही एक कारखाने को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान पुलिस के साथ किसानों की झड़प भी हुई। नीमच, देवास, खरगोन, उज्जैन में भी हिंसक घटनाएं हुईं। मंदसौर में रेल यातायात रोक दिया गया है।

राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ और कांग्रेस ने बुधवार को बंद का आह्वान कर रखा था, जिसके कारण कई स्थानों पर सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।

मंदसौर में मंगलवार को हुई हिंसा की आग बुधवार को और धधक उठी। कर्फ्यू के बावजूद किसान सुबह से ही पिपलिया मंडी की सड़कों पर उतर आए।

किसानों का कहना है कि पुलिस ने गोली चलाई, जबकि राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह इसे नकार रहे हैं। किसानों ने कहा, "सरकार एक करोड़ रुपये मुआवजा दे रही है, हम दो करोड़ रुपये देते हैं और उस जवान को गोली मार दी जाए, जिसने गोली चलाई थी।"

किसान आंदोलनकारियों ने पिपलिया मंडी क्षेत्र स्थित एक फैक्टरी में आग दी और बही चौपाटी इलाके में तीन बड़े वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा भी कई ट्रकों, वाहनों आदि में तोड़फोड़ कर आग लगाई गई।

इस बीच, मंगलवार को पुलिस गोलीबारी में मारे गए किसानों की संख्या को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

जिलाधिकारी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बुधवार को आईएएनएस से मृतकों की संख्या पांच बताई, जबकि आम किसान यूनियन के केदार सिरोही ने कहा, "पाटीदार समाज से प्राप्त सूचना के मुताबिक सिर्फ पाटीदार समाज के ही छह लोग मारे गए हैं। यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है।"

राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने मृतकों की संख्या आठ बताई है।

किसानों ने बरखेड़ा पंत गांव से गुजरने वाले मार्ग को जाम कर दिया। गोलीबारी में मारे गए छात्र अभिषेक पाटीदार के शव को सड़क पर रखकर किसानों ने प्रदर्शन किया, और मृतक किसानों को शहीद का दर्जा देने की मांग की।

जिलाधिकारी स्वतंत्र कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक ओ़ पी़ त्रिपाठी को किसानों के आक्रोश का उस समय सामना करना पड़ा, जब वे शव के साथ प्रदर्शन कर रहे किसानों को समझाने पहुंचे।

प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी को थप्पड़ मारा और पुलिस अधीक्षक त्रिपाठी के साथ भी धक्का-मुक्की की। हालात बिगड़ता देख अतिरिक्त पुलिस बल बुलाना पड़ा, और किसी तरह दोनों अधिकारी सुरक्षित निकल पाए।

आगे की स्लाइड में जानिए कैसे भड़का लोगों का गुस्सा

चक्काजाम में शामिल दिनेश पाटीदार ने कहा, "पुलिस ने जानबूझकर गोली चलाई। किसान अपनी मांगों को लेकर सड़क पर थे और पुलिस ने बर्बर कार्रवाई की।"

मंदसौर में चल रहे आंदोलन के चलते पश्चिम रेल्वे के रतलाम मंडल से पिपलिया-मल्हारगढ़ पर आवागमन बंद कर दिया गया है। इसके कारण 11 गाड़ियों के आवागमन पर असर पड़ा है।

जिलाधिकारी स्वतंत्र सिंह ने बताया कि मृत पांचों किसानों के शव का पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया।

मंदसौर की आग बुधवार को देवास तक पहुंच गई। किसानों ने हाट पिपलिया थाने पर धावा बोल दिया और वहां खड़े जब्ती के वाहनों को आग लगा दी। किसानों ने भोपाल-इंदौर के बीच चलने वाली दो चार्टर बसों सहित 10 से अधिक वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। सीहोर में भी बस जला दी गई। नीमच में एक पुलिस चौकी को आग लगा दिया गया।

पुलिस महानिरीक्षक मकरंद देवस्कर ने भोपाल में संवाददाताओं से कहा, "मंदसौर के अलावा नीमच, खरगोन, सीहोर, देवास, उज्जैन में हिंसक घटनाएं हुई हैं।" उन्होंने कहा कि केंद्र से सुरक्षा बलों की 10 कंपनियां मांगी गई हैं।

इंदौर में किसान आंदोलन के मनददेजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिस उप महानिरीक्षक हरिनारायण चारी मिश्रा ने संवाददाताओं से कहा कि आमजन को किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। प्रमुख स्थानों पर पुलिस बल तैनात है।

राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने बुधवार को प्रदेश बंद का आह्वान कर रखा था। बंद का कांग्रेस ने भी समर्थन किया। राज्य के अधिकांश हिस्सों में बंद का असर देखने को मिला है।

राज्य में फसल के उचित दाम और कर्ज माफी की मांग को लेकर किसान एक जून से हड़ताल पर हैं। 10 जून तक चलने वाली हड़ताल के छठे दिन मंगलवार को किसान पिपलिया मंडी में सड़क पर उतरकर आए थे। इसी दौरान पुलिस से उनकी झड़प हो गई और पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने किसानों पर गोलीबारी शुरू कर दी। गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए।

प्रशासन ने हिंसा के मद्देनजर मंदसौर व पिपलिया मंडी में कर्फ्यू लगा दिया।

राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने पुलिस अफसरों के साथ बैठक की और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि कैबिनेट की बैठक की। मंदसौर जा रहे नेताओं को पुलिस ने बीच में ही रोक दिया।

भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर के अनुसार, मंदसौर में मृतकों के परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त करने जा रहे पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान, मंत्री गौरीशंकर बिसेन और मंत्री रामपाल सिंह को पुलिस ने रोक दिया है।

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को भी मंदसौर नहीं जाने दिया गया। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मीनाक्षी नटराजन को नाहरगढ़ थाने की पुलिस ने हिरासत में लिया, बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया।

सौजन्य: आईएएनएस

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