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पैराडाइज पेपर्स: केंद्र ने सीबीडीटी को सौंपा जांच का जिम्मा

पैराडाइज पेपर्स में 714 कंपनियों और भारतीय लोगों के नाम का खुलासा होने के बाद केन्द्र सरकार हरकत में आ गई है। सीबीडीटी (सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस) इस मामले की पड़ताल करेगी। सी

tiwarishalini
Published on: 7 Nov 2017 10:51 AM IST
पैराडाइज पेपर्स: केंद्र ने सीबीडीटी को सौंपा जांच का जिम्मा
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नई दिल्ली: पैराडाइज पेपर्स में 714 कंपनियों और भारतीय लोगों के नाम का खुलासा होने के बाद केन्द्र सरकार हरकत में आ गई है। सीबीडीटी (सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस) इस मामले की पड़ताल करेगी। सीबीडीटी चेयरमैन की निगरानी में केन्द्र सरकार ने एक मल्टी एजेंसी का गठन किया है। इसमें सीबीआई, ईडी, आरबीआई, एफआईयू शामिल होगी। इसके अलावा सेक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने भी पैराडाइज पेपर्स लीक की जांच का मन बनाया है।

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इस बीच वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सेबी द्वारा की जा रही जांच पैराडाइज पेपर्स लीक मामले में आने वाली कंपनियों की मुसीबत बढ़ा सकती है। दरअसल, पैराडाइज पेपर्स के दस्तावेज इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट(आईसीआईजे) ने जारी किए हैं। आईसीआईजे ने 1.34 करोड़ दस्तावेजों की पड़ताल की है और इनमें से उन अमीर लोगों और कंपनियों के नाम को सार्वजनिक किया है, जिन्होंने गुप्त धन (काला धन) का निवेश किया है। इसमें कई भारतीय कंपनियां हैं और कई नामचीन भारतीय लोगों का नाम शामिल है।

उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय मंत्री जयंत सिन्हा, राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा, फिल्म अभिनेता अभिताभ बच्चन आदि के नाम प्रमुख हैं। हालांकि इस बारे में जयंत सिन्हा ने अपनी सफाई दे दी है। आरके सिन्हा ने अपना नाम आने के बाद मौनव्रत धारण कर लिया है। जबकि अमिताभ बच्चन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

जर्मनी के ही एक अखबार जीटॉयचे साइटुंग ने पनामा पेपर्स के दस्तावेज भी सार्वजनिक किए थे। इसमें कई भारतीयों के नाम थे। करीब 18 महीने पहले सार्वजनिक हुए लोगों के नाम को लेकर भारत सरकार ने अभी तक कोई जांच प्रक्रिया पूरी नहीं की है। इसमें कांग्रेस और भाजपा के भी कई प्रभावशाली लोगों के नाम सामने आए थे।

इस बीच कांग्रेस ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर काले धन के मामले में पिछले 41 माह में कोई भी कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए मीडिया के एक वर्ग में आए ‘‘पैराडाइज दस्तावेजों’’ में कथित रूप से केन्द्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का नाम आने पर उनसे तुरंत इस्तीफा देने की मांग की। कर से बचने के लिए कर पनाहगाह वाले देशों से संबंधित इन दस्तावेजों के अनुसार सिन्हा भारत में ओमिदयार नेटवर्क के प्रबंध निदेशक रहे हैं और ओमिदयार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डी. लाइट डिजाइन में निवेश किया था। डी. लाइट डिजाइन की केमैन द्वीप में अनुषंगी कंपनी है।

इंटरनेशनल कंसोर्टियम आफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) और इंडियन एक्सप्रेस ने दस्तावेजों की छानबीन की है।

सुरजेवाला ने कहा कि किसी भी ‘निजी उद्देश्य’ से कोई लेनदेन नहीं किया गया और लेनदेन वैध और प्रमाणिक हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आज पैराडाइज दस्तावेजों का उल्लेख करते हुए संवाददाताओं से कहा कि इस कर पनाहगाह वाली कंपनी ने 30 लाख अमेरिकी डालर का ऋण लिया था। इस ऋण के लिए एक समझौता किया गया जिस पर सिन्हा के हस्ताक्षर भी हैं। उन्होंने दावा कि सिन्हा ने डी.लाइट डिजाइन में निदेशक होने की बात चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल घोषणापत्र तथा लोकसभा सचिवालय एवं प्रधानमंत्री कार्यालय से छिपायी। उन्होंने कहा कि सिन्हा मई 2014 में सांसद बनने के बाद भी इस कंपनी के निदेशक रहे।

उन्होंने कहा कि ऐसा करना सरासर हितों का टकराव है और क्या यह राज्य मंत्री रहने के साथ लाभ के पद के सिद्धान्त के विरूद्ध नहीं है। सुरजेवाला ने कहा कि इन दस्तावेजों में भाजपा के राज्यसभा सदस्य आर के सिन्हा का नाम भी आया है। उन्होंने कहा कि यह खुलासा होने के बाद आर के सिन्हा ने सात दिनों का मौन व्रत ले लिया है। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि नागर विमानन राज्य मंत्री सिन्हा को अब एक भी दिन पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। साथ ही उन्होंने मांग की कि भाजपा सरकार को इस मामले में भी समुचित जांच करवानी चाहिए। सुरजेवाला ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव से पहले कहा था कि वह सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर विदेशों में रखे देश का 80 लाख करोड़ रूपये वापस लायेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि यह धन वापस आने से प्रत्येक देशवासी के खाते में 15 लाख रूपये पहुंच जायेंगे।’’

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को सत्ता में आये 41 माह बीत चुके हैं किन्तु काला धन पर शून्य कार्रवाई हुई है। उन्होंने कहा कि लीकटेंस्टाइन बैंक, एचएसबीसी बैंक और उसके बाद पनामा पेपर्स में करीब 2000 लोगों के नाम सामने आए । किन्तु मोदी सरकार ने अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की। उन्होंने दावा किया कि इंटरनेशनल कंसोर्टियम आफ इवेंस्टिगेटिव जर्नलिज्म (आईसीआईजे) के आफशोर लीक्स में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह का भी नाम आया था किन्तु उस मामले में भी अभी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि इस मामलें में अभी तक प्राथमिकी भी दर्ज क्यों नहीं की गई। काला धन खुलासों में कांग्रेस नेता सचिन पायलट का नाम आने के बारे में पूछे जाने पर सुरजेवाला ने कहा, ‘‘सचिन पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि जिस कंपनी का नाम आया था, वह उसके तब निदेशक थे जब वह सांसद नहीं थे। कुछ समय के बाद उन्होंने निदेशक पद त्याग दिया था।’’

कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने सवाल किया कि केन्द्र सरकार उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती और उनके नामों का खुलासा क्यों नहीं करती जिनके नाम लीकटेंस्टाइन बैंक, एचएसबीसी, पनामा दस्तावेजों और पैराडाइज दस्तावेजों में हैं। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या प्रधानमंत्री अपने भरोसे का साहस दिखाकर इनने संबंधित सारी सूचना उच्चतम न्यायालय की उस पीठ को सौंपेंगे जो कालाधन-धारकों के खिलाफ कार्रवाई की निगरानी कर रही है। क्या ‘कम्प्रोमाइज्ड ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन’ एवं प्रवर्तन निदेशालय कार्रवाई करेगा।

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