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Kaun Hai Abu Saba: कौन है अबू सबा, बिल्डर ऑफ फ्यूचर दुबई है जिनकी पहचान, आइए जानते हैं अर्श से फर्श तक की इनकी कहानी के बारे में
Kaun Hai Abu Saba: क्या आप जानते हैं अबू सबा कौन हैं? और आखिर क्या है इस दुबई के अरबपति के पतन की कहानी आइये आपको बताते हैं।
Kaun Hai Abu Saba (Image Credit-Social Media)
Kaun Hai Abu Saba: दुबई की जगमगाती सड़कों पर जब एक काली बुगाती "D5" नंबर प्लेट के साथ गुजरती है, तो हर आंख उसकी ओर उठ जाती है। यह नंबर प्लेट 75 करोड़ रुपये की कीमत के साथ इतिहास में दर्ज है। गाड़ी में बैठा शख्स पारंपरिक अमीराती पोशाक में, चेहरे पर आत्मविश्वास और आंखों में सफलता की चमक लिए चलता है। वे हैं अबू सबा, असली नाम है साहनी। लेकिन आज वही साहनी, जिनका नाम यूएई की रियल एस्टेट चमक में शुमार था, अब एक अलग वजह से चर्चा में हैं। इनपर 345 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस, दुबई से निर्वासन और बेटे समेत 33 लोगों पर दोषसिद्धि है। यह कहानी सिर्फ एक अरबपति के पतन की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की भी है, जिसमें ताकत, पैसा और पहचान, सच्चाई से बड़ी हो जाती है लेकिन सिर्फ कुछ वक्त तक।
कौन हैं साहनी उर्फ अबू सबा
राज साहनी उर्फ अबू सबा, 53 वर्षीय भारतीय मूल के व्यवसायी, दुबई में राज साहनी ग्रुप (RSG Group) के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। उनकी फर्म ने यूएई, भारत, अमेरिका समेत कई देशों में रियल एस्टेट डेवलपमेंट में नाम कमाया। उनकी पहचान एक सफल व्यवसायी से कहीं अधिक थी। वे दुबई के हाई-प्रोफाइल समाज का हिस्सा थे। स्थानीय लोग उन्हें पारंपरिक अमीराती कपड़े पहने हुए पहचानते थे और मीडिया में उन्हें 'बिल्डर ऑफ फ्यूचर दुबई' के नाम से भी जाना जाता था।
संपत्तियों का है विशाल साम्राज्य
साहनी की कंपनी RSG ग्रुप के पास दुबई में कई प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट्स हैं जिसमें कसर सबा रेजिडेंशियल बिल्डिंग, स्पोर्ट्स सिटी, बुर्ज सबा, जुमेराह विलेज सर्कल 24 मंजिला शानदार अपार्टमेंट, बे-स्क्वायर, बिजनेस बे में वाणिज्यिक संपत्तियां, सबा दुबई एक फाइव स्टार होटल आदि इन सभी परियोजनाओं के ज़रिए उन्होंने भारत और पाकिस्तान के प्रवासी समुदाय में भी गहरी पहचान बनाई थी। उनके प्रोजेक्ट्स को विश्वसनीय और निवेश योग्य माना जाता था।
महंगे शौक: जहां नंबर प्लेट कार से ज्यादा कीमती होती है
अबू सबा का लगाव महंगी चीज़ों से रहा है खासकर यूनिक कारें और नंबर प्लेट्स। उन्होंने 2016 में 'D5' नंबर प्लेट को 3.3 करोड़ दिरहम (करीब 75 करोड़ रुपये) में खरीदा था उस समय की सबसे महंगी नंबर प्लेट। उनका मानना था कि ये नंबर प्लेट ‘शुभ’ हैं। उन्होंने कभी नीले रंग को अपनी पहचान बना लिया तो कभी काली बुगाती को बुरी नज़र से बचने का उपाय बताया। उनकी लग्ज़री कार कलेक्शन में बेंटले, रोल्स रॉयस, फेरारी और लैंबॉर्गिनी जैसे ब्रांड शामिल थे, पर हर कार पर वही खास नंबर।
काले कारोबार की पड़ताल क्या था मामला
2024 में दुबई में एक वित्तीय जांच के दौरान साहनी का नाम सामने आया। आरोप थे कि साहनी ने शेल कंपनियों की मदद से संदिग्ध ट्रांजेक्शन किए और एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की। अभियोजन पक्ष का दावा है कि उन्होंने कुल 15 करोड़ दिरहम (लगभग 345 करोड़ रुपये) अवैध रूप से जुटाए, जिनमें रियल एस्टेट के सौदे, विदेशी निवेश और हवाला नेटवर्क शामिल थे। इस केस में उनके बेटे समेत 33 लोगों को दोषी ठहराया गया है।
यूएई की कार्रवाई जब कानून के आगे टेकने पड़े घुटने
- यूएई की अदालत ने साहनी पर भारी जुर्माना लगाया और आदेश दिया कि:
- 15 करोड़ दिरहम की अवैध संपत्ति जब्त की जाएगी। सजा के बाद उन्हें देश से निष्कासित कर दिया जाएगा।
- इस फैसले ने अमीरों को मिले ‘अदृश्य छूट’ के मिथक को तोड़ा। यह संकेत है कि यूएई अब मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त रुख अपनाए हुए है।
मानवाधिकार और निर्वासन क्या सचमुच ये न्याय है
अब जब साहनी को सजा और निर्वासन का सामना करना है, सवाल उठता है क्या ये सिर्फ एक ‘कानूनी प्रक्रिया’ है या मानवाधिकार का उल्लंघन?
1. सामूहिक दंड का प्रश्न
- साहनी के बेटे समेत 33 लोग दोषी ठहराए गए, जिनमें कई कर्मचारी स्तर के लोग भी शामिल हैं।
- क्या यह संभव है कि सभी लोग एक ही स्तर पर अपराध में शामिल हों?
- कहीं ऐसा तो नहीं कि कुछ लोग सिर्फ सिस्टम के हिस्से के रूप में शिकार बने हों?
2. निर्वासन – सजा या बदनामी
- दुबई में वर्षों तक करियर और पहचान बनाने के बाद जब एक व्यक्ति को ‘निर्वासित’ किया जाता है, तो वह सिर्फ एक कानूनी दंड नहीं, बल्कि सामाजिक मृत्यु होती है।
- यूएई जैसे देशों में नागरिकता नहीं मिलने के चलते ऐसे व्यवसायियों की कोई स्थायी सुरक्षा नहीं होती।
3. जब्ती का मानवीय पहलू
संपत्ति जब्ती में सिर्फ आरोपी का नुकसान नहीं होता – इसमें वो लोग भी प्रभावित होते हैं जो उस संपत्ति से जुड़े हुए थे – किरायेदार, कर्मचारी, और निवेशक क्या होगा भारत में असर, क्या जांच भारत तक पहुंचेगी।
साहनी भारतीय मूल के हैं और भारत में भी उनके कई प्रोजेक्ट रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या भारत में ईडी या अन्य एजेंसियां उनसे जुड़े मामलों की जांच करेंगी? क्या उनकी संपत्तियों पर भारत में कोई कार्रवाई हो सकती है। साहनी की कहानी आज हर युवा उद्यमी के लिए एक सीख है किbसिर्फ चमक-धमक ही सफलता नहीं होती। कानूनी और नैतिक ज़िम्मेदारी निभाना उतना ही ज़रूरी है। सिस्टम से ऊपर कोई नहीं होता चाहे वह कितनी भी ऊंचाई पर क्यों न हो।
अबू सबा एक नाम था जो दुबई की रियल एस्टेट इंडस्ट्री में रुतबा रखता था। लेकिन आज वही नाम कानून की सख्ती और नैतिक पतन की मिसाल बन गया है। यह मामला न केवल भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग की सच्चाई उजागर करता है, बल्कि इस बात की भी चेतावनी देता है कि अगर नैतिक मूल्यों की अनदेखी की जाए, तो साम्राज्य भी रेत की तरह ढह जाते हैं।
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