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Asaduddin Owaisi Wikipedia: एक वकील से नेता बने असदुद्दीन ओवैसी दक्षिण भारत का एक आक्रामक लेकिन प्रभावी सियासी चेहरा

Asaduddin Owaisi Wikipedia: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी वो अपने बेबाक अंदाज़ और आक्रामक वक्तव्य शैली के लिए बेहद लोकप्रिय हैं।

Jyotsna Singh
Published on: 13 May 2025 11:02 PM IST
Asaduddin Owaisi
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Asaduddin Owaisi (Image Credit-Social Media)

Asaduddin Owaisi Wikipedia: भारत के समकालीन राजनीति में असदुद्दीन ओवैसी एक ऐसे नाम हैं जिन्होंने न सिर्फ मुस्लिम समाज बल्कि दलित, पिछड़े और अन्य अल्पसंख्यकों की आवाज़ को संसद में मुखर रूप से उठाया है। वे ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र से कई बार निर्वाचित सांसद रह चुके हैं। उनका राजनीतिक सफर पारंपरिक विरासत, सामाजिक प्रतिबद्धता और आक्रामक वक्तव्य शैली से गूंथा हुआ है।

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

असदुद्दीन ओवैसी का जन्म 13 मई 1969 को हैदराबाद के एक सुन्नी मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी भी एक अनुभवी और सम्मानित राजनेता थे, जिन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक हैदराबाद से सांसद के रूप में सेवा की। असदुद्दीन के दादा अब्दुल वाघ ओवैसी ने 1957 में AIMIM को एक बार फिर से सक्रिय किया और समुदाय की राजनीतिक भागीदारी को सशक्त किया।



उनकी माता का नाम नजमुनेस्सा बेगम है। ओवैसी परिवार का राजनीति में गहरा इतिहास रहा है जहां उनके पिता और दादा AIMIM के अध्यक्ष रह चुके हैं। असदुद्दीन के दो भाई हैं अकबरुद्दीन ओवैसी, जो तेलंगाना विधानसभा के सदस्य हैं और बुरहानुद्दीन ओवैसी, जो पार्टी के मुखपत्र इत्तेमाद के संपादक हैं।

शिक्षा और खेल प्रतिभा

असदुद्दीन ने हैदराबाद के प्रतिष्ठित निज़ाम कॉलेज (उस्मानिया विश्वविद्यालय) से कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वे लंदन गए और लिंकन इन से कानून की पढ़ाई कर पेशे से बैरिस्टर बने। वे एक शिक्षित, तर्कसंगत और सशक्त वक्ता के रूप में पहचाने जाते हैं। युवावस्था में वे एक प्रतिभाशाली क्रिकेट खिलाड़ी भी रहे। उन्होंने 1994 में विज्जी ट्रॉफी के तहत दक्षिण क्षेत्र अंडर-25 अंतर-विश्वविद्यालय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया और बाद में दक्षिण क्षेत्र विश्वविद्यालय टीम के लिए भी चयनित हुए।

व्यक्तिगत जीवन

असदुद्दीन ओवैसी की शादी फरहीन ओवैसी से हुई है। इस दंपति के छह बच्चे हैं पांच बेटियां खुदसिया, यासमीन, अमीना, महेन और अतिका, और एक बेटा सुल्तानुद्दीन ओवैसी (जन्म 2010)। वे हैदराबाद के शास्त्रीपुरम, मेलारदेवपल्ली में रहते हैं।

उनकी बेटियों की शादियां भी प्रतिष्ठित परिवारों में हुई हैं। सबसे बड़ी बेटी खुदसिया की सगाई नवाब शाह आलम खान के पोते बरकत आलम खान से हुई। यासमीन की शादी द सियासत डेली के संपादक के चचेरे भाई डॉ. आबिद अली खान से हुई। अमीना ओवैसी की शादी 2022 में फहद बेग से संपन्न हुई।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

1994 में असदुद्दीन ओवैसी ने चारमीनार विधानसभा सीट से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इस सीट पर AIMIM 1967 से चुनाव जीतती रही थी। उन्होंने मजलिस बचाओ तहरीक के उम्मीदवार को 40,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया। 1999 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने तेलुगु देशम पार्टी के सैयद शाह नूरुल हक क़ादरी को 93,000 वोटों से पराजित किया।


2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने हैदराबाद से AIMIM की ओर से सांसद पद के लिए चुनाव लड़ा और भारी मतों से विजय प्राप्त की। यह वह सीट थी जिसे उनके पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी ने स्वास्थ्य कारणों से छोड़ दिया था। तब से लेकर 2009, 2014, 2019 और 2024 तक वे लगातार हैदराबाद से लोकसभा सांसद के रूप में चुने जाते रहे हैं।

सांसद के रूप में उपलब्धियां और भूमिका

असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में कई बार मुस्लिम समुदाय, दलितों, आदिवासियों और अन्य हाशिए पर पड़े समूहों के अधिकारों के पक्ष में आवाज़ बुलंद की। वे अक्सर अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों की बात करते हैं और भाजपा समेत अन्य प्रमुख दलों की नीतियों पर तीखा हमला करते हैं। वे यूएपीए, एनआरसी, सीएए जैसे कानूनों पर संसद में स्पष्ट और सशक्त विरोध दर्ज कर चुके हैं।

उनकी पार्टी ने महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बंगाल जैसे राज्यों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। उन्होंने बिहार और महाराष्ट्र में विधानसभा सीटें भी जीत कर अपनी पार्टी को क्षेत्रीय से राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार दिया।

AIMIM का विस्तार और रणनीति

असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में AIMIM ने पारंपरिक मुस्लिम मुद्दों से आगे बढ़ते हुए सामाजिक न्याय और संवैधानिक अधिकारों को प्रमुख एजेंडा बनाया है। उन्होंने दलित-मुस्लिम एकता की बात की और कई मंचों पर बहुजन राजनीति की नई परिभाषा देने का प्रयास किया। बिहार के सीमांचल क्षेत्र में 2020 के विधानसभा चुनावों में AIMIM ने पांच सीटें जीतीं। इसके बाद पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात में भी विस्तार की कोशिश की गई।

विवाद और आलोचना

असदुद्दीन ओवैसी के बेबाक बोलने की शैली ने उन्हें लोकप्रियता के साथ-साथ विवादों का केंद्र भी बनाया है। उन्हें अक्सर "ध्रुवीकरण की राजनीति" करने का आरोप झेलना पड़ा है, हालांकि वे इसे सिरे से खारिज करते हैं और अपने हर बयान को संवैधानिक और लोकतांत्रिक मानदंडों के भीतर बताते हैं।


उनके आलोचक कहते हैं कि AIMIM भाजपा की "बी टीम" की तरह कार्य करती है, जिससे विपक्ष का वोट विभाजित होता है। वहीं, समर्थकों का दावा है कि ओवैसी जैसे नेता ही अल्पसंख्यकों की असली आवाज़ हैं जिन्हें अन्य पार्टियों ने केवल "वोट बैंक" की तरह इस्तेमाल किया।

सामाजिक और धार्मिक सरोकार

ओवैसी ने शिक्षा, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, मुस्लिम महिलाओं के अधिकार, वक्फ संपत्तियों की रक्षा, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर संसद के भीतर और बाहर प्रभावी हस्तक्षेप किया है। वे अक्सर मुस्लिम युवाओं को आधुनिक शिक्षा और सिविल सेवा में भागीदारी के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी पार्टी की ओर से कई शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल और सामाजिक सेवाओं से जुड़े प्रकल्प हैदराबाद और अन्य क्षेत्रों में संचालित किए जाते हैं। असदुद्दीन ओवैसी आज भारतीय राजनीति में एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित हैं जो संविधान, अल्पसंख्यक अधिकारों और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर स्पष्ट विचार रखते हैं और उन्हें मुखरता से रखते हैं। AIMIM को एक धार्मिक दल के बजाय सामाजिक न्याय और बहुजन राजनीति के समर्थक दल के रूप में पुनर्परिभाषित करने का प्रयास उनकी रणनीतिक सूझबूझ का परिचायक है।

उनकी भूमिका आगे भी भारतीय राजनीति में एक निर्णायक अल्पसंख्यक नेता के रूप में बनी रहेगी विशेषकर उस दौर में जब लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सांप्रदायिक सौहार्द के मूल्य पुनः परिभाषित किए जा रहे हैं।

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