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Chhatrapati Shivaji Ki Kahani: लहरों के शेर छत्रपति शिवाजी, मराठा नौसेना से लेकर आधुनिक भारत की समुद्री शक्ति तक का सफर
Chhatrapati Shivaji Maharaj History: शिवाजी की नौसेना की कहानी हमें याद दिलाती है कि समुद्र हमारी ताकत का बड़ा हिस्सा रहा है, आइये जानते हैं क्या थी उनकी ये कहानी।
Chhatrapati Shivaji Maharaj History
Chhatrapati Shivaji Ki Kahani: पश्चिमी घाट की चट्टानों और कोकण की लहरों के बीच एक ऐसी कहानी शुरू हुई, जो आज भी हमें जोश से भर देती है। छत्रपति शिवाजी महाराज, जिनका नाम स्वराज्य यानी आजादी का प्रतीक है, ने 1600 के दशक में समुद्र पर अपनी ताकत दिखाई। 1630 में शिवनेरी किले में जन्मे शिवाजी ने देखा कि कोकण का तट पुर्तगालियों, डचों और अंग्रेजों के कब्जे में है। ये विदेशी ताकतें समुद्र के रास्ते भारत पर हावी हो रही थीं। कोकण व्यापार और युद्ध के लिए बहुत जरूरी था।लेकिन वहां कोई बड़ी स्थानीय ताकत नहीं थी। शिवाजी ने ठान लिया कि स्वराज्य को पूरा करने के लिए समुद्र को भी जीतना होगा। आज, 2025 में, जब भारत अपनी समुद्री ताकत को और मजबूत कर रहा है, शिवाजी की नौसेना की कहानी हमें याद दिलाती है कि समुद्र हमारी ताकत का बड़ा हिस्सा है।
कोकण में पहला कदम
1650 के दशक में शिवाजी ने मराठा साम्राज्य को फैलाना शुरू किया। कोकण का तट उनके लिए खास था। उस समय विदेशी ताकतें समुद्र से भारत में दखल दे रही थीं। वे व्यापार के बहाने लोगों को लूटती थीं और तट पर कब्जा करना चाहती थीं। शिवाजी ने इसे चुनौती माना। उन्होंने सोचा कि अगर आजादी चाहिए, तो सिर्फ पहाड़ और जंगल काफी नहीं। समुद्र पर भी अपनी ताकत दिखानी होगी। इसलिए उन्होंने कोकण के छोटे-छोटे बंदरगाह और गांव जीतने शुरू किए। यह उनकी नौसेना की शुरुआत थी। आज, 2025 में, भारत अपनी नौसेना को और ताकतवर बना रहा है, खासकर हिंद महासागर में, ताकि कोई विदेशी ताकत दखल न दे सके। शिवाजी की यह सोच आज भी भारत की समुद्री नीति में दिखती है।
समुद्र के मजबूत गढ़
शिवाजी की नौसेना की ताकत थी उनके किले। उन्होंने सुवर्णदुर्ग, विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग जैसे किले बनवाए। ये किले सिर्फ दीवारें नहीं थे, बल्कि समुद्री लड़ाई के लिए बने मजबूत ठिकाने थे। विजयदुर्ग कोकण में मराठा नौसेना का सबसे बड़ा केंद्र था। इन किलों को इस तरह बनाया गया कि दुश्मन आसानी से हमला न कर सकें। ऊंची दीवारें, बड़ी-बड़ी तोपें और समुद्र की चट्टानें इन किलों को और मजबूत करती थीं। सिंधुदुर्ग, जो समुद्र के बीच एक टापू पर बना था, शिवाजी की चतुराई का कमाल था। आज भारत के नौसैनिक अड्डे, जैसे विशाखापत्तनम और करवार, उसी तरह समुद्री सुरक्षा का आधार हैं। ये अड्डे भारत को हिंद महासागर में ताकतवर बनाते हैं, जैसे शिवाजी के किले कोकण में करते थे।
तेज और चतुर जहाज
शिवाजी की नौसेना की असली ताकत थी उनके जहाज। उन्होंने छोटे-बड़े कई तरह के जहाज बनवाए, जिन्हें गुराब, गल्बत और पाल कहा जाता था। गुराब बड़े जहाज थे, जिन पर बड़ी तोपें लगी होती थीं। ये युद्ध में बहुत काम आते थे। गल्बत छोटे और तेज जहाज थे, जो दुश्मन पर अचानक हमला करने के लिए बने थे। इन जहाजों को कोकण के स्थानीय कारीगर बनाते थे, जो समुद्र की लहरों को अच्छे से समझते थे। शिवाजी ने अपने कारीगरों को खूब प्रोत्साहन दिया। इससे मराठा नौसेना अपने दम पर जहाज बनाने लगी। भारत अपनी नौसेना के लिए स्वदेशी युद्धपोत बना रहा है, जैसे INS विक्रांत। यह शिवाजी की आत्मनिर्भरता की सोच को आगे बढ़ाता है।
समुद्र पर छापामार चाल
शिवाजी को छापामार युद्ध का बादशाह कहा जाता था। जंगल और पहाड़ों में जिस तरह वे दुश्मनों को चकमा देते थे, वही चाल वे समुद्र पर भी चलते थे। मराठा जहाज तेजी से दुश्मन के जहाजों पर हमला करते, उनकी चीजें लूटते और फिर तट पर लौट आते। यह तरीका पुर्तगालियों और सिद्धियों के लिए बड़ी मुसीबत था। सिद्धी, जो जंजीरा के राजा थे, मराठों के लिए बड़ा खतरा थे। उनका किला समुद्र के बीच एक टापू पर था, जिसे जीतना मुश्किल था। शिवाजी ने कई बार जंजीरा पर हमला किया, लेकिन पूरी जीत नहीं मिली। फिर भी, उनकी नौसेना ने सिद्धियों को बार-बार परेशान किया। 2025 में, भारत की नौसेना भी ऐसी ही रणनीति अपनाती है, खासकर हिंद महासागर में, जहां वह छोटे और तेज हमलों से दुश्मनों को रोकती है।
व्यापार की हिफाजत
शिवाजी की नौसेना ने सिर्फ लड़ाई ही नहीं की, बल्कि malheureusement कोकण के व्यापार को भी बचाया। उस समय विदेशी ताकतें स्थानीय व्यापारियों को लूटती थीं। समुद्री डाकू भी बड़ी परेशानी थे। शिवाजी ने अपनी नौसेना को व्यापारियों की सुरक्षा के लिए लगाया। उन्होंने डाकुओं को सबक सिखाया और व्यापार के जहाजों को सुरक्षित रखा। इससे कोकण में व्यापार बढ़ा। स्थानीय लोग बिना डर के समुद्र पर माल भेजने लगे। शिवाजी ने समुद्री रास्तों पर अपनी नौसेना की नजर रखी, ताकि कोई विदेशी ताकत उन पर कब्जा न कर सके। 2025 में, भारत हिंद महासागर में व्यापारिक रास्तों की रक्षा करता है, ताकि चीन जैसे देश भारत के व्यापार को नुकसान न पहुंचाएं। यह शिवाजी की सोच का ही नतीजा है।
नौसेना के बहादुर सिपाही
मराठा नौसेना की कामयाबी में कई बहादुर सिपाहियों का हाथ था। दौलत खान और मायनाक भंडारी जैसे सरदारों ने अपनी हिम्मत से सबका दिल जीता। दौलत खान ने पुर्तगालियों के खिलाफ कई समुद्री लड़ाइयां जीतीं। मायनाक भंडारी ने सिद्धियों को अपनी ताकत दिखाई। इन सिपाहियों की कहानियां मराठा नौसेना की वीरता की मिसाल हैं। शिवाजी ने अपने सिपाहियों को अच्छी ट्रेनिंग और सामान दिया। इससे उनकी नौसेना न सिर्फ ताकतवर, बल्कि बहुत अनुशासित भी बनी। 2025 में, भारतीय नौसेना के जवान भी उसी तरह हिम्मत और अनुशासन दिखाते हैं, चाहे वह समुद्री सीमा की रक्षा हो या अंतरराष्ट्रीय मिशन।
चतुराई से सीखना
शिवाजी सिर्फ लड़ाई में ही नहीं, बल्कि चतुराई में भी सबसे आगे थे। वे जानते थे कि समुद्र पर पूरी ताकत के लिए सिर्फ युद्ध काफी नहीं। उन्होंने पुर्तगालियों और अंग्रेजों से थोड़ी-बहुत दोस्ती रखी। इससे उनकी नौसेना को नए जहाज और तकनीक मिली। मिसाल के तौर पर, पुर्तगालियों से कुछ युद्धपोत खरीदे गए और उनके कारीगरों से जहाज बनाने का तरीका सीखा गया। लेकिन शिवाजी ने अपनी आजादी कभी नहीं छोड़ी। उनकी नौसेना ने स्थानीय और विदेशी तकनीक को मिलाकर अपने जहाजों को और अच्छा बनाया। आज भारत भी विदेशी तकनीक से सीखता है, लेकिन स्वदेशी हथियारों और जहाजों पर जोर देता है। यह शिवाजी की चतुराई को आज भी जिंदा रखता है।
नौसेना का सुनहरा दौर
1674 में जब शिवाजी का राजतिलक हुआ, तब उनकी नौसेना अपनी सबसे बड़ी ताकत पर थी। उनके पास सैकड़ों जहाज और हजारों सिपाही थे। उनकी नौसेना ने कोकण से लेकर गोवा और गुजरात तक अपनी ताकत दिखाई। शिवाजी के बाद उनके बेटे संभाजी और फिर पेशवाओं ने इस नौसेना को और बढ़ाया। खासकर कान्होजी आंग्रे जैसे सरकर ने मराठा नौसेना को और ताकतवर बनाया। 2025 में, भारत की नौसेना दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेनाओं में से एक है। हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव, जैसे अप्रैल 2025 में पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर, दिखाते हैं कि भारत समुद्री और जमीनी दोनों मोर्चों पर मजबूत है। शिवाजी की नौसेना ने दिखाया था कि भारतीय ताकतें विदेशी ताकतों को टक्कर दे सकती हैं, और आज भी यही हो रहा है।
लहरों पर अमर कहानी
शिवाजी की समुद्री ताकत सिर्फ लड़ाई की कहानी नहीं है। यह हिम्मत और चतुराई की मिसाल है। कम संसाधनों के साथ उन्होंने बड़ा सपना देखा और उसे पूरा किया। उनकी नौसेना ने मराठा साम्राज्य को ताकत दी और आने वाली पीढ़ियों को हौसला दिया। 2025 में, जब भारत-पाकिस्तान तनाव और हिंद महासागर में बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रहा है, शिवाजी की कहानी हमें याद दिलाती है कि समुद्र हमारी ताकत का बड़ा हिस्सा है। यह सिखाती है कि आजादी सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि हर लहर पर लहरानी चाहिए। शिवाजी की यह गाथा लहरों पर लिखी एक ऐसी कहानी है, जो हमें हमेशा हिम्मत देती रहेगी।
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