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Meditaion Day Special 2025: जेल में ध्यान का चमत्कार! सिर्फ 10 दिन का मौन... और अपराधी बन गए साधु...
Meditaion Day Special 2025: ध्यान... जिसे आज तक योग का अहम हिस्सा, अध्यात्म का रास्ता या फिर मानसिक शांति का उपाय समझा जाता था, आज वह अपराधियों के जीवन की दिशा बदलने का बड़ा माध्यम बन रहा है।
Meditaion Day Special 2025 (photo: social media)
Meditaion Day Special 2025: क्या किसी अपराधी या हत्यारे का मन और हृदय परिवर्तन हो सकता है? यह सवाल कई सालों से समाज, न्याय व्यवस्था और मानव मनोविज्ञान के बीच भटकता रहा है। लेकिन भारत की एक जेल से निकली एक साधारण-सी तकनीक ने इस सवाल का जवाब 'हाँ' में दिया।
ध्यान... जिसे आज तक योग का अहम हिस्सा, अध्यात्म का रास्ता या फिर मानसिक शांति का उपाय समझा जाता था, आज वह अपराधियों के जीवन की दिशा बदलने का बड़ा माध्यम बन रहा है।
तिहाड़ जेल में अपराधियों को मिला आत्मज्ञान
दिल्ली की तिहाड़ जेल एशिया की सबसे बड़ी जेल है जो कभी अपराधियों के क्रूर व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थी। लेकिन साल 1993 में इस जेल में कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे विश्व के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। IPS ऑफिसर किरण बेदी, जो उस वक़्त तिहाड़ की महानिरीक्षक थीं, उन्होंने वहाँ 'विपश्यना ध्यान' (vipassana meditation) की शुरुआत करवाई। उन्होंने बर्मा के ध्यान गुरु एस.एन. गोयनका को निमंत्रण दिया, जिनके बताये रस्ते पर चलकर करीब सैकड़ों कैदियों ने मात्र 10 दिनों का गहन मौन साधना शिविर (विपश्यना) किया।
किरण बेदी ने अपनी किताब में लिखा है - "जेल को सजा की जगह से सुधार की जगह बनाना है"
It’s Always Possible: Transforming One of the Largest Prisons in the World
विपश्यना ध्यान से आप क्या समझते हैं ?
विपश्यना एक प्राचीन बौद्ध ध्यान विधि है जो मन की गहराई में जाकर, विचारों, भावनाओं और शारीरिक संवेदनाओं को बिना किसी निर्णय के, जैसा वे हैं, वैसा ही समझने के लिए पर केंद्रित है। इसका लक्ष्य चीजों को सही तरीके से और सही रूप में देखना है, न कि जैसा हम चाहते हैं। यह बौद्ध परंपरा की एक वास्तविक ध्यान करने की पद्धति है, जिसे स्वयं भगवान बुद्ध ने आत्मज्ञान प्राप्त करने के बाद अपनाया और दूसरों को सिखाया।
क्या है विपश्यना का इतिहास ?
प्राचीन भारत: विपश्यना की उत्पत्ति तकरीबन 2500 साल पहले भारत में हुई। यह भगवान बुद्ध द्वारा आत्मबोध (निर्वाण) प्राप्त करने की मूल ध्यान विधि थी।
बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार: बुद्ध के बाद उनके अनुयायियों ने विपश्यना को भारत समेत और कई देशों जैसे की श्रीलंका, बर्मा (म्यांमार), थाईलैंड, तिब्बत आदि देशों में फैलाया।
भारत में विपश्यना की समाप्ति: बदलते समय के साथ भारत में यह विधि समाप्त हो गई, लेकिन बर्मा में कुछ परंपरागत गुरु समुदायों ने इसे आज भी संरक्षित रखा है।
पुनरावृत्ति: 20वीं शताब्दी में सत्य नारायण गोयनका जी ने बर्मा से यह पद्धति भारत में फिर से स्थापित की।
कैसे किया जाता है यह ध्यान:
- इस ध्यान को करने लिए मौन धारण करना होता है कम से कम 10 दिन तक ।
- इस ध्यान को करने के लिए किसी मंत्र या मूर्ति का प्रयोग नहीं किया जाता।
- ध्यान करते समय अपनी श्वास और शरीर की अनुभूतियों पर पूरा ध्यान केंद्रित किया जाता है।
विपश्यना के प्रमुख गुरु:
1. आचार्य सत्य नारायण गोयनका (S. N. Goenka)
- S. N. Goenka मूल रूप से भारतीय थे लेकिन उनका जन्म बर्मा (म्यांमार) में हुआ।
- S. N. Goenka ने बर्मा में उ साया जी उ ब खिन के मार्गदर्शन में विपश्यना सीखी।
- साल 1969 में भारत वापस आकर S. N. Goenka ने विपश्यना का प्रचार-प्रसार शुरू किया।
- उन्होंने सैकड़ों ध्यान केंद्रों की स्थापना की और लाखों लोगों को निःशुल्क विपश्यना का ज्ञान दिया।
2. उ ब खिन (U Ba Khin)
- बर्मा के एक सरकारी अधिकारी और ध्यान शिक्षक थे।
- विपश्यना को लोगों के लिए आसान बनाने का श्रेय इन्हें भी जाता है।
3. साया जी (Sayagyi U Ba Khin)
- साया जी गोयनका जी के गुरु थे। इन्होंने ही गोयनका जी को भारत में विपश्यना का प्रचार करने के लिए प्रेरित किया।
विपश्यना की विशेषताएँ:
- 10-दिवसीय निःशुल्क शिविर (10-day free camp): सभी कोर्स पूर्ण तरीक से निशुल्क होता है।
- शुद्ध अंतर्दृष्टि (pure insight): बिना किसी मंत्र या मूर्ति पूजा के सिर्फ स्वयं के शरीर और मन को गहराई से समझने की प्रक्रिया।
- तीन स्तंभ: शील (नैतिकता), समाधि (एकाग्रता), प्रज्ञा (अंतर्दृष्टि)
भारत में प्रमुख विपश्यना केंद्र:
1. धम्मगिरी, इगतपुरी (महाराष्ट्र)
- यह दुनिया का सबसे बड़ा और मुख्य विपश्यना केंद्र है।
- ये केंद्र गोयनका जी ने स्थापित किया था।
- यहां देश-विदेश से सैकड़ों लोग ज्ञान प्राप्ति के लिए आते हैं।
2. धम्म स्थली, जयपुर (राजस्थान)
- यहां राजस्थान का बड़ा केंद्र है जो की सुंदर प्राकृतिक वातावरण में स्थित है।
3. धम्म पुष्कर, पुष्कर (राजस्थान)
- यहां एक शांत और छोटा विपश्यना केंद्र है जो की बहुत लेकिन प्रभावी है।
4. धम्म चेतना, दिल्ली
- दिल्ली और NCR क्षेत्र के लिए विपश्यना का मुख्य केंद्र स्थित है।
5. धम्म भूतगया, बोधगया (बिहार)
- जहां बुद्ध को बोधि प्राप्त हुआ, वहीँ पास में स्थित ध्यान केंद्र है।
विश्व भर में अन्य प्रमुख केंद्र:
धम्म दीपा – UK
धम्म मणि – NEPAL
धम्म सोटा – HARIYANA (BHARAT)
धम्म पासना – BURMA
धम्म धारा – AMERICA
ध्यान देने योग्य: विपश्यना सिर्फ एक ध्यान पद्धति नहीं, बल्कि एक आत्मिक और मानसिक रूप से खुद को पूर्ण रूप से शुद्ध करने का तरीका है जो आज भी लाखों लोगों को मानसिक शांति, संतुलन और आत्मबोध के मार्ग पर ले जा रहा है।
चौंकाने वाले परिणाम आये थे सामने:
- अपराधियों में आक्रोश और चिड़चिड़ापन काफी कम हुआ।
- आत्मग्लानि को समझा और स्वीकार किया।
- पारिवारिक संबंधों में भी काफी हद तक सुधार हुआ।
- पुनः अपराध करने की प्रवृत्ति में भारी कमी देखी गई।.
Journal of Offender Rehabilitation (Vol. 44, Issue 2, 2006) में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, ध्यान करने वाले अपराधियों में:
- कोर्ट के आदेशों का पालन बढ़ा।
- मानसिक तनाव, गुस्सा, चिड़चिड़ापन करीब 40% तक कम हुआ।
- जेल के अंदर भी अपराध बहुत कम हो गए ।
साल 2010 में एक रिसर्च Journal of Trauma Studies में यह नतीजा सामने आया कि नियमित तरीक से ध्यान करने वाले कैदियों की रीसिडिविज्म (पुनः अपराध करने की प्रवृत्ति) में लगभग 20% तक की कमी आई।
अन्य देशों में भी ये तरीका हुआ सफल
भारत के बाद कई बड़े देशों में जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील, इज़राइल और थाईलैंड में भी 'ध्यान' को जेल सुधार कार्यक्रमों में शामिल किया गया है।
अमेरिका:
San Francisco County Jail में Prison Mindfulness Institute द्वारा Mindfulness-Based Stress Reduction (MBSR) कार्यक्रम चलाया गया। वहाँ के कैदियों ने कहा कि इससे उन्हें मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन, गुस्सा और हिंसा पर काबू पाने में काफी हद तक मदद मिली।
थाईलैंड:
साल 2014 की International Journal of Offender Therapy and Comparative Criminology की रिपोर्ट के मुताबिक, 'डोंग फाया येन' जेल में कैदियों को रोजाना सही तरीके से ध्यान कराया जाना शुरू किया गया। नतीजा ये सामने आया कि वहाँ के जेल में अनुशासन में सुधार आने लगा।
ध्यान और समाज
साल 2012 में The Art of Living – Vipassana Meditation को लेकर एस.एन. गोयनका ने TEDx Talk के माध्यम से कहा था कि "एक कैदी का बदलना, पूरी पीढ़ियों का बदलना है।"
'ध्यान' जेल के भीतर सुधार का माध्यम हो सकता है लेकिन असली परीक्षा तब होती है जब कैदी जेल से बाहर निकलता है। अगर समाज उसे एक 'अपराधी' की नजर से देखता है तो वह दुबारा उसी पुराने रास्ते पर जा सकता है।
इसलिए ज़रूरी है कि:
- समाज पुनःस्थापन की भावना को अपनाए।
- सरकार और न्याय प्रणाली ध्यान सम्बंधित सुधार कार्यक्रमों को औपचारिक रूप से सहारा दे।
- स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों में भी ध्यान को सामान्य रूप से जीवनशैली में शामिल करें ।
ध्यान... कोई सजा नहीं समाधान है
ध्यान केवल एक अध्यात्मिक प्रक्रिया नहीं है बल्कि यह एक गहरी मानवीय चिकित्सा (deep human therapy) है। यह इंसान को अपने अंदर झांकने और खुद को गहनता से समझने का मौका देता है। तिहाड़ जेल से लेकर थाईलैंड तक, ध्यान ने यह साबित कर दिया है कि हर अपराधी में एक बेहतर इंसान छिपा होता है बस उसे खुद में तराशने की आवश्यकता है। इसीलिए ध्यान अवश्य करें, खुद और गहराई से जानें।
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