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Aurangzeb Love Story: इतिहास के पन्नों में छुपी दिल छू लेने वाली दास्तान, औरंगजेब की एक प्रेम कहानी ऐसी भी
Aurangzeb Heart Touching Love Story: क्या आप जानते हैं कि अपनी क्रूरता और धार्मिक कट्टरता के लिए जाने जाने वाला मुग़ल शासक औरंगज़ेब की प्रेम कहानी क्या है? और आखिर कौन थी ये रानी।
Aurangzeb's Love Story (Image Credit-Social Media)
Aurangzeb's Love Story: इतिहास में औरंगजेब का नाम कठोरता, धार्मिक कट्टरता और सैन्य अनुशासन के लिए दर्ज है। पर क्या ऐसे व्यक्ति के जीवन में प्रेम, भावना और कोमलता की भी कोई जगह थी? क्या एक तानाशाह कहे जाने वाले बादशाह के जीवन में कोई ऐसी महिला थी, जिसने उसकी सख्त छवि को पिघलाया? मुगल बादशाह औरंगजेब की प्रेम कहानी एक राजसी ठाठ के पीछे छिपी इसी इंसानी भावना को उजागर करती है। यह कहानी जुड़ी है उदैपुरी और हीराबाई जैसे किरदारों से, जो आज इतिहास की छाया में कहीं खो गए हैं। आइए जानते हैं औरंगजेब के प्रेम और विवाह से जुड़े किस्सों के बारे में विस्तार से -
ये इतिहास का विवादित पक्ष है औरंगजेब की पत्निया
इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब की तीन प्रमुख पत्नियां थीं नवाब बाई, दिलरास बानो बेगम और औरंगाबादी महल। इनमें दिलरास बानो को उनकी मुख्य पत्नी माना जाता है। इतिहासकारों में इस बात पर मतभेद हैं कि नवाब बाई और उदैपुरी हिंदू थीं या नहीं। कुछ लोग नवाब बाई को हिंदू कन्या मानते हैं तो वहीं उदैपुरी के बारे में मान्यता है कि वह राजपूत परिवार से थीं। जिसे बाद में मुस्लिम रीति से औरंगजेब ने निकाह में लिया था। कुछ अन्य इतिहासकार उन्हें ईसाई या जॉर्जियाई दासी भी बताते हैं, जिसे दारा शिकोह ने खरीदा था और दारा की हत्या के बाद औरंगजेब ने उसे अपने हरम में रखा।
यदुनाथ सरकार जैसे विख्यात इतिहासकारों ने अपनी पुस्तक सीहिस्ट्री ऑफ औरंगजेब" में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि उदैपुरी वास्तव में एक राजपूत महिला थीं, जो बाद में औरंगजेब की पत्नी बनीं।
हीराबाई उर्फ जैनाबादी- वह दासी, जिसने कठोर शासक के दिल को छुआ
इतिहास में एक क्रूर शासक के तौर पर दर्ज औरंगजेब की जिंदगी में एक ऐसा भी मोड़ आया जब वह एक सामान्य दासी को देखकर मोहित हो गया। यह घटना मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में घटी, जहां वह अपनी मौसी सुहेला बानो से मिलने रुका था। वहां उसने मौसी की एक दासी हीराबाई को देखा और देखते ही बेहोश हो गया।
इतिहास में यह घटना कुछ खास जगहों पर दर्ज है, जहां बताया गया है कि हीराबाई को पाने के लिए औरंगजेब ने या तो मिन्नतें कीं या फिर अपने हरम से किसी अन्य स्त्री को देकर उसे हासिल किया। यह वही हीराबाई थीं जिन्हें बाद में 'जैनाबादी' कहा गया और कुछ जगहों पर यह भी जिक्र मिलता है कि नवाब बाई का असली नाम यही था। 1654 में हीराबाई की मृत्यु हो गई थी। माना जाता है कि इस घटना ने औरंगजेब को अंदर से झकझोर दिया था।
औरंगजेब के लिए उदैपुरी साबित हुई प्रेम, समर्पण और मातृत्व की प्रतीक
अगर हीराबाई पहली नजर का प्यार थीं, तो उदैपुरी औरंगजेब के जीवन से गहराई तक जुड़ी थी। यह प्रेम केवल शारीरिक नहीं, बल्कि एक गहरे जुड़ाव और समर्पण की मिसाल थी। 'लेटर्स ऑफ औरंगजेब' नामक दस्तावेज में औरंगजेब द्वारा अपने बेटे को लिखी एक चिट्ठी में यह खुलासा किया गया है कि उदैपुरी उसकी मौत के बाद सती होना चाहती थीं। हालांकि, वह सती तो नहीं हो सकीं पर औरंगजेब की मृत्यु के कुछ ही महीनों बाद उनका भी निधन हो गया।
1667 में उदैपुरी ने एक पुत्र को जन्म दिया था उसका नाम था कामबख्श। औरंगजेब उस समय 50 वर्ष के थे और उदैपुरी एक युवा, आकर्षक महिला। कहा जाता है कि औरंगजेब कामबख्श की गलतियों को माफ कर देता था, केवल इसलिए क्योंकि वह उदैपुरी का बेटा था। कामबख्श शासन के कार्यों में अरुचि रखने वाला, शराबी और लापरवाह था। इसके बावजूद, उदैपुरी के प्रभाव के चलते औरंगजेब उसे सजा देने से बचता रहा। यह औरंगजेब की क्रूर छवि के भीतर एक कोमल मानवीय भावना की झलक थी।
महल के भीतर की सत्ता और बेगमों की भूमिका
जहांगीर की बेगम नूरजहां और शाहजहां की मुमताज़ महल के बारे में यह प्रचलित है कि उन्होंने राजकीय मामलों में हस्तक्षेप किया था। लेकिन औरंगजेब के शासनकाल में उसकी बेगमों के किसी प्रत्यक्ष राजनीतिक हस्तक्षेप का उल्लेख नहीं मिलता। सत्ता में भागीदारी का भी कोई प्रमाण नहीं मिलता, पर यह स्पष्ट है कि महल के भीतर उदैपुरी का प्रभाव था। उनके प्रेम के चलते ही कामबख्श बार-बार माफ होता रहा। यही संकेत देता है कि औरंगजेब जैसा तानाशाह भी अपने निजी जीवन में भावनात्मक रूप से किसी से जुड़ा हुआ था।
क्या थीं विवादों में घिरी इतिहास और किंवदंतियां
उदैपुरी को लेकर सबसे बड़ा विवाद उनकी पहचान को लेकर है। कुछ लोग उन्हें राजपूत, कुछ ईसाई और कुछ दासी मानते हैं। यह भी कहा जाता है कि वे जॉर्जिया से लाई गई थीं और दारा शिकोह के हरम में थीं।
इतिहासकारों के अनुसार, मुगल शासक प्रायः हिन्दू रानियों से विवाह कर राजनैतिक एकता स्थापित करते थे। लेकिन उदैपुरी का मामला कुछ अलग जान पड़ता है। उनके साथ औरंगजेब का रिश्ता सिर्फ एक राजनैतिक गठबंधन नहीं, बल्कि एक निजी, गहरा संबंध था। आमतौर पर औरंगजेब की छवि एक निर्दयी शासक की बनाई गई है। जिसने अपने पिता को क़ैद किया, भाईयों की हत्या की, मंदिर तुड़वाए और शरिया आधारित कठोर शासन चलाया। पर वही औरंगजेब जब उदैपुरी की सती होने की इच्छा पर चिट्ठी लिखता है या हीराबाई को पाने के लिए मिन्नतें करता है तो उसकी छवि एक कोमल हृदय वाले इंसान की बन जाती है, जो प्रेम कर सकता था। औरंगजेब की प्रेम कहानियां चाहे वह हीराबाई की ओर पहली नजर में हुआ आकर्षण हो या उदैपुरी के साथ जीवनभर का लगाव यह दिखाती हैं कि कठोरता के पीछे भी एक कोमल दिल भी धड़कता था।
औरंगजेब को केवल एक धार्मिक तानाशाह मानकर खारिज कर देना इतिहास की अधूरी समझ होगी।
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