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क्या सच में दिल की बीमारी ठीक करता है ये मंदिर? जानिए इसकी रहस्यमयी कहानी
Hridayaleeswarar Temple Mysterious story: हृदयालीश्वरर मंदिर उन गिने-चुने धार्मिक स्थलों में से एक है, जो लोगों को आध्यात्मिक रूप से तो जोड़ता ही है, साथ ही उन्हें मानसिक और शारीरिक राहत भी देता है।
Hridayaleeswarar Temple Mysterious story (Social media)
Hridayaleeswarar Temple Mysterious story: भारत में आस्था और स्वास्थ्य का गहरा संबंध रहा है। हमारे देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां दर्शन मात्र से ही लोगों की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का हल मिलने की बात कही जाती है। इसी बीच एक और मंदिर काफी फेमस हो रहा है, जहां लोगों को दर्शन करते ही सारी बीमारियां दूर हो जाती है... जी हां, आपने सही सुना हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह बेहद खास है।
इस मंदिर का नाम हृदयालीश्वरर मंदिर है, जो तमिलनाडु में स्थित है। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आस्था के बल पर लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलने की मान्यता इसे और भी विशेष बनाती है।
क्या है हृदयालीश्वरर मंदिर की खासियत?
इस मंदिर का नाम ही इसकी विशेषता बताता है। 'हृदय' यानी दिल और 'ईश्वरर' यानी भगवान ये कहना गलत नहीं होगा कि यह मंदिर 'दिल के भगवान' का है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि यहां आने वाले दिल की बीमारी से परेशान लोग ठीक हो जाते हैं। खासकर यहां सोमवार के दिन बड़ी संख्या में मरीज मंदिर में भगवान शिव से प्रार्थना करने पहुंचते हैं। यहां शिवलिंग पश्चिम दिशा की ओर स्थित है और माता पार्वती दक्षिण दिशा की ओर विराजमान हैं। मंदिर की वास्तुकला भी अद्भुत है। इसका मुख्य शिखर 'गजपृष्ठ' शैली में है, जो हाथी की पीठ जैसा दिखाई देता है। मंदिर परिसर में भगवान गणेश, कार्तिकेय, नटराज, चंडिकेश्वर और नंदी देव के मंदिर भी मौजूद हैं।
दिल से जुड़ी बीमारियों से राहत की आस्था
यह मंदिर खास उन लोगों के लिए जाना जाता है जिन्हें हाई बीपी, हार्ट ब्लॉकेज, हार्ट अटैक से जुड़ी समस्याएं या सर्जरी के बाद कमजोरी महसूस होती है। यहां श्रद्धालु शिव जी के चरणों में दूध, फूल और बेलपत्र अर्पित करते हैं और उनसे स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करते हैं। यह भी कहा जाता है कि चेन्नई, कांचीपुरम और तिरुवल्लूर जैसे शहरों के कई जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ भी यहां अपने मरीजों के स्वास्थ्य के लिए भगवान से प्रार्थना करने आते हैं।
जानिए हृदयालीश्वरर मंदिर की रहस्यमयी कहानी
हृदयालीश्वरर मंदिर की कथा उतनी ही प्रेरणादायक है जितनी यह खुद है। कहा जाता है कि एक महान भक्त पूसालार नयनार भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उनके मन में भगवान के लिए एक भव्य मंदिर बनवाने की इच्छा थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह यह कर नहीं पा रहे थे। तब उन्होंने अपने दिल में ही एक कल्पनात्मक मंदिर का निर्माण करना शुरू किया। उन्होंने मन में मंदिर के हर हिस्से को सोचा। इसमें गर्भगृह, स्तंभ, शिखर, सजावट और भक्तों के लिए सुविधाएं जैसी चीजें शामिल होती थी। रोज वह अपने मन में मंदिर का एक-एक हिस्सा बनाते गए। उनकी इस सच्ची भक्ति से भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने वास्तविक रूप से यह मंदिर बनवाने का आदेश दिया और पूसालार को भी मंदिर के गर्भगृह में स्थान मिला।
कहां स्थित है यह मंदिर और कैसे पहुंचे?
हृदयालीश्वरर मंदिर तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले के थिरुनीन्रवूर नामक स्थान पर स्थित है, जो चेन्नई से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए चेन्नई से लोकल ट्रेन या बस ली जा सकती है। तिरुवल्लूर रेलवे स्टेशन मंदिर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है, जहां से ऑटो या टैक्सी से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर सुबह 6:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम 4:30 बजे से रात 8:30 बजे तक खुला रहता है। सोमवार को विशेष भीड़ होती है क्योंकि इस दिन दिल की बीमारी से परेशान लोग बड़ी संख्या में भगवान शिव की पूजा करने आते हैं।
हृदयालीश्वरर मंदिर उन गिने-चुने धार्मिक स्थलों में से एक है, जो लोगों को आध्यात्मिक रूप से तो जोड़ता ही है, साथ ही उन्हें मानसिक और शारीरिक राहत भी देता है। विज्ञान और आस्था का यह मेल दिखाता है कि जब विश्वास मजबूत हो, तो शरीर भी बेहतर हो सकता है। अगर आप या आपके किसी अपने को दिल से जुड़ी समस्या है, तो एक बार इस मंदिर में दर्शन जरूर करें।
इसमें दी गई जानकारी धार्मिक आस्था पर आधारित है। Newstrack इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या में डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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