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2025 Ki Badhati Garmi: मौसम की इस चेतावनी से अब बदलने वाली है आपकी ज़िदगी, क्या आप तैयार हैं?
2025 Ki Badhati Garmi: क्या आपने कभी सोचा है कि जिस गर्मी को हम केवल एक 'सीजनल बदलाव' जानते हैं, वो दरअसल एक बड़ी आपदा की दस्तक है। भारत में मौसम अब वैसा नहीं रहा जैसा दस साल पहले था।
2025 Ki Badhati Garmi (photo: social media)
2025 Ki Badhati Garmi: क्या आपने कभी सोचा है कि जिस गर्मी को हम केवल एक 'सीजनल बदलाव' जानते हैं, वो दरअसल एक बड़ी आपदा की दस्तक है। भारत में मौसम अब वैसा नहीं रहा जैसा दस साल पहले था। बर्फबारी न्यूनतम हो रही है, फसलें सूख रही हैं, नदियां सिमट रही हैं।शहर तंदूर बनते जा रहे हैं। यह कोई दूर की बात नहीं, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। हाल ही की कुछ रिपोर्ट्स और वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि भारत को अब हर साल ज्यादा हीटवेव, कम बारिश, और अधिक अस्थिर मौसम का सामना करना पड़ेगा।
मौसम को लेकर क्या कहना है IMD का ?
भारतीय मौसम विभाग ने देश के अधिकांश भागों में सामान्य से अधिक तापमान और इस महीने (May) में अधिक गर्मी वाले दिनों का पूर्वानुमान लगाया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, सामान्य से अधिक वर्षा गतिविधि और गरज के साथ छींटे पड़ने के पूर्वानुमानों के कारण मई में पिछले साल की तुलना में कम गर्मी रहने की उम्मीद है। IMD ने मई के लिए अपने पूर्वानुमान में साफ़ कर दिया है कि दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत को छोड़कर देश के अधिकांश भागों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है।
IMD के महानिदेशक मौसम को लेकर खुलासा
IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने देश भर के मौसम पर कहा, "मई 2025 में उत्तर-पश्चिम, मध्य भारत और आसपास के पूर्वी भारत के कई भागों में सामान्य से अधिक हीटवेव रहने की संभावना है।" राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदानी इलाकों और गुजरात, ओडिशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और उससे सटे तेलंगाना और उत्तरी कर्नाटक के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है।
2025 की गर्मी हो पड़ सकती है पहले से अधिक
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने पहले ही अलर्ट कर दिया था कि साल 2025 की गर्मी पिछले साल के मुकाबले, यानि साल 2024 से भी ज्यादा गर्म हो सकती है। मार्च से जून के बीच उत्तर भारत, मध्य भारत और पूर्वी राज्यों में सामान्य से ज्यादा गर्मी दर्ज की गई है। इसके साथ ही बिहार, यूपी, झारखंड, राजस्थान और ओडिशा जैसे राज्यों में पारा (Temperature) 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। वहीं दिल्ली और आसपास के कई जगहों में अप्रैल के अंत तक पारा (Temperature) 44 डिग्री से अधिक हो चुका है। ऐसे बदलते मौसम के बरताव को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि यह नई सामान्य स्थिति बन रही है, यानी भविष्य में ऐसी गर्मी हर साल देखने को मिल सकती है।
हीटवेव्स की मार
साल 2024 में भारत में तकरीबन 536 हीटवेव दिन दर्ज किए गए थे। अब यही संख्या आने वाले समय में बढ़ने की आशंका है। इस साल भी (2025) में भी पूरे अप्रैल महीने से जून के बीच हीटवेव दिनों की संख्या 2 से 4 दिन अधिक हो सकती है। इसी के साथदिन में चलने वाली लू बच्चों, बुजुर्गों, मजदूरों और गरीबों के लिए जानलेवा बन सकती हैं। आपको बता दे, पिछले साल ही हीटवेव के कारण 143 लोगों की मौत हुई थी और 41,000 से ज्यादा लोग बीमार हुए थे।
बढ़ती गर्मी का खेती पर बुरा प्रभाव
दिन-ब-दिन बढ़ती गर्मी और अनियमित मौसम का बुरा प्रभाव केवल हम इंसानों पर नहीं, बल्कि सबसे बड़ा असर खेती पर पड़ रहा है। देश भर के किसान परेशान हैं। समय पर बारिश न होने और बढ़ते तापमान से रबी और खरीफ दोनों फसलों को नुकसान हो रहा है। इसके साथ ही गेहूं, चना और सरसों जैसी फसलें तो पहले ही बुरी तरह प्रभावित हो चुकी हैं। एक अध्ययन के अनुसार पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत का कृषि उत्पादन लगभग 16% तक घट सकता है। इससे साल 2030 तक GDP में भी 2.8% की गिरावट आ सकती है। इससे ये साफ़ है कि अनियमित मौसम के कारण देश को और भी कई सेक्टर में खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।
जल संकट की भी आशंका
बढ़ती गर्मी के कारण ये अनुमान लगाया गया है कि 2025 में करीब 1.8 बिलियन लोग जल संकट से ग्रस्त क्षेत्रों में रहेंगे, तथा विश्व की दो-तिहाई जनसंख्या जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों में रहेगी। जानकारी के मुताबिक, हिमालय में बर्फबारी पिछले 23 वर्षों में सबसे कम हुई है और इसका सीधा असर गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी नदियों के पानी पर बुरी तरह से पड़ रहा है। भारत में रहने वाले करोड़ों लोग इन्ही नदियों निर्भर हैं। अगर यही हाल रहा तो वो समय दूर नहीं है जब भारत को गंभीर रूप से जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।
बढ़ते तापमान के कारण बिजली की मांग
देश भर में बढ़ते हुए तापमान के साथ-साथ केवल गर्मी नहीं बढ़ रही बल्कि घर, ऑफिस, मॉल, शॉप हर जगहों पर पंखे, एसी और कूलर की मांग बढ़ रही है। इससे बिजली की खपत भी तेजी से बढ़ रही है। साल 2024 में ही भारत की पीक पावर डिमांड 250 गीगावॉट तक पहुंच गई थी। अब 2025 में ये डिमांड और बढ़ सकती है। अगर बिजली की आपूर्ति समय पर नहीं हुई तो गर्मी के साथ-साथ बिजली कटौती भी लोगों के लिए एक गंभीर परेशानी का कारण बन सकती है।
अधिक तापमान बढ़ा रहा शहरी इलाकों की मुश्किलें
आजकल शायद ही शहर में ऐसा कोई घर, फ्लैट, या काम्प्लेक्स हो जहाँ AC ना लगा हो। इसीलिए देखा जाए तो गांव से ज्यादा शहरों में रह रहे लोग गर्मी के मौसम से अत्यधिक परेशान हैं। शहरों में कंक्रीट के जंगल, कम हरियाली, और ट्रैफिक के कारण शहरों में गर्मी अधिक महसूस होती है। इसीलिए दिल्ली, नागपुर, हैदराबाद जैसे शहरों में यह समस्या ज्यादा गंभीर बनती जा रही हैं। गर्मी के कारण ज्यादा शहरों बढ़ता हुआ तापमान शहरों में "अर्बन हीट आइलैंड" प्रभाव के कारण तापमान और भी ज्यादा हो जाता है। इसीलिए सरकार शहरों में रहने वाले लोगों को पेड़ पौधे लगाने के लिए कई अभियान चलाती रहती है।
बढ़ती गर्मी का पर्यावरण और वन्यजीवों पर असर
बढ़ती गर्मी और जलवायु परिवर्तन की मार हर कोई झेल रहा है लेकिन ये केवल हम इंसानों तक सीमित नहीं है। बल्कि वन्यजीव भी इससे बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। साल 2024 में असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में आयी बाढ़ में लगभग 200 से ज्यादा जानवरों की मौत हो गई थी। लगातार जलवायु परिवर्तन के कारण जानवरों के रहन-सहन, प्रजनन और भोजन की आदतों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
क्या है इसका निवारण ?
1. नवीकरणीय ऊर्जा की ओर कदम
Hexa Climate Solutions जैसे निजी संस्थान भारत में 500 मिलियन डॉलर का निवेश कर नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषित कम होगा और सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों से बिजली पैदा करने में सहायता मिलेगी।
2. स्मार्ट तकनीकों का उपयोग
भारत में कई शहरों में स्मार्ट तकनीकी का उपयोग हो रहा है। जिसमे अहमदाबाद जैसे शहरों में स्मार्टवॉच और “कूल रूफ” तकनीक का उपयोग हो रहा है, जिससे लोगों को गर्मी से तुरंत राहत मिल रही है। बता दे, स्मार्टवॉच लोगों की बॉडी टेम्परेचर और दिल की धड़कन पर नजर बनाये रखती है और समय रहते अलर्ट कर देती है।
3. राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (NAP)
भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर “नेशनल अडैप्टेशन प्लान” (NAP) बनाया है, जिससे देश की जलवायु परिवर्तन से निपटना आसान हो जायेगा। इसके लिए सरकार कुछ नीतियां और योजनाएं बना रही हैं। इसका उद्देश्य जलवायु लचीलेपन को बढ़ाना और समाज को तैयार करना है।
4. तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा ज़रूरी
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ओडिशा जैसे तटीय राज्यों में जलवायु रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार जा रहा है, ताकि बाढ़, तूफान और समुद्री कटाव से लोग को सुरक्षित रहें।
चिंता का विषय और समाधान
भारत में मौसम का अनियमित बदलाव अब गंभीर विषय बन गया है। बढ़ती हुई गर्मी, कम बारिश, लगातार हो रहीं मौसम की घटनाएं और जल संकट – ये सभी इस बात का संकेत हैं कि अब हमें जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेना होगा। सरकार को अब नीति और तकनीक पर ध्यान देना चाहिए, तो वहीं आम लोगों को भी अपने स्तर पर जिम्मेदार बनाना पड़ेगा। इसके लिए सभी को मिलकर आसपास के खाली इलाकों में पेड़ लगाना, पानी की बचत करना, बिजली की कम से कम खपत करना और प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना चाहिए। आपके ये छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव अवश्य ला सकते हैं। भारत एक बड़ा देश है, लेकिन अगर हर सभी नागरिक छोटा सा योगदान दे, तो हम इस संकट से निपट सकते हैं।
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