Duniya Ka Sabse Chota Robot: आपदा में नई उम्मीद बना चीन में बना दुनिया का सबसे छोटा और हल्का वायरलेस रोबोट, इसकी खूबियां जानकर रह जाएंगे हैरान

World's Lightest Wireless Robot : चीन के वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे छोटा और वायरलेस माइक्रो रोबोट बनाया है जिसका उद्देश्य आपदा में राहत और बचाव कार्य करना है।

Jyotsna Singh
Published on: 8 May 2025 11:40 AM IST
World Smallest and Lightest Wireless Robot
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World' Smallest and Lightest Wireless Robot (Image Credit-Social Media)

World's Lightest Wireless Robot : कल्पना कीजिए कि एक भीषण भूकंप के बाद मलबे में फंसे लोगों की तलाश कर रहे बचावकर्मी, लेकिन रास्ता अवरुद्ध है। तभी एक छोटा-सा रोबोट हवा में उड़ते हुए घटनास्थल पर पहुंचता है, दीवारों की दरारों से रेंगते हुए अंदर दाखिल होता है और एक जीवन रक्षक संदेश बाहर पहुंचाता है। यह कोई फिल्मी कल्पना नहीं, बल्कि चीन के वैज्ञानिकों की नई खोज के कारण अब हकीकत में बदलने जा रहा है।

चीन के शोधकर्ताओं ने हाल ही में दुनिया का सबसे छोटा और हल्का वायरलेस रोबोट विकसित किया है जो न केवल हवा में उड़ सकता है, बल्कि ज़मीन पर दौड़ सकता है और यहां तक कि पानी में तैर भी सकता है। यह माइक्रोरोबोट वैज्ञानिक प्रगति और मानवीय संवेदना का ऐसा अद्भुत संगम है, जो आने वाले समय में आपदाओं में राहत और बचाव कार्यों का चेहरा बदल सकता है।

इस वायरलेस माइक्रोरोबोट ने साबित कर दिया है कि तकनीक सिर्फ विकास का नहीं, बल्कि जीवन रक्षा का माध्यम भी हो सकती है। यह रोबोट किसी सुपरहीरो की तरह काम कर सकता है। भले ही ये आकार में छोटा जरूर है, लेकिन इसकी क्षमताएं विशाल हैं। आपदा, चिकित्सा, रक्षा या भविष्य के स्मार्ट डिवाइस हर क्षेत्र में इसकी उपयोगिता संभावनाओं के नए द्वार खोलती है। एक ऐसा युग आ रहा है जहां रोबोट सिर्फ मशीन नहीं, मानवता के सहयोगी होंगे। आइए जानते हैं वायरलेस माइक्रोरोबोट के बारे में विस्तार से -

क्या है यह वायरलेस माइक्रोरोबोट


यह रोबोट महज 9 सेंटीमीटर लंबा और सिर्फ 25 ग्राम भारी है, यानि एक पेन या चॉकलेट बार जितना। इसे वायरलेस तकनीक से चलाया जा सकता है, यानी किसी तार या रिमोट की आवश्यकता नहीं होती। इसका डिजाइन LEGO खिलौनों से प्रेरित है, जो मॉड्यूलर और बहुरूपीय होता है। इसका सबसे रोचक पहलू यह है कि यह मोर्फेबल एक्ट्यूएटर तकनीक पर आधारित है, जिसकी मदद से यह रोबोट अपना रूप और कार्य बदल सकता है। एक पल यह हवा में उड़ता है, और दूसरे पल ज़मीन पर दौड़ने लगता है।

रोबोट की मांसपेशियों की तरह कार्य करती है'मोर्फेबल एक्ट्यूएटर' तकनीक

इस रोबोट का दिल है इसका विशेष तकनीकी हिस्सा Morphable Actuator (आकार बदल सकने वाला प्रेरक)। यह तकनीक किसी इलेक्ट्रिकल ऊर्जा को यांत्रिक गति में बदल देती है। मानो यह रोबोट की मांसपेशियों की तरह कार्य करता हो। इसकी मुख्य विशेषताओं में इसका अत्यधिक लचीलापन है। यह एक्ट्यूएटर अपने आकार को आवश्यकतानुसार बदल सकता है। लॉकिंग मैकेनिज्म की मदद से एक बार कोई रूप लेने के बाद यह उसे लॉक कर सकता है। इसमें शामिल ऊर्जा दक्षता तकनीक के चलते यह एक ही बैटरी से लंबी अवधि तक काम करता है।

  • अनुकूलता के पैमाने पर यह रोबोट अलग-अलग सतहों और वातावरणों में भी आसानी से कार्य कर सकता है।
  • इसका मतलब है कि यह रोबोट सघन जंगलों, पथरीली जमीन, कीचड़, बर्फ और यहां तक कि पानी में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • कई तरह से आपदाओं में वरदान साबित होता है ये अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस रोबोट।

भूकंप के बाद मलबे में खोज और राहत कार्य


भूकंप के दौरान इमारतें गिर जाती हैं, और मलबे में फंसे लोगों तक पहुंचना मुश्किल होता है। यह रोबोट छोटी दरारों से होकर भी गुजर सकता है, लोगों की स्थिति का पता लगा सकता है और मेडिकल सहायता पहुंचा सकता है।

-बाढ़ में बचाव कार्य

यह रोबोट पानी में तैरने की क्षमता रखता है, जिससे यह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जरूरतमंदों तक दवा, खाना या अन्य संसाधन पहुंचा सकता है।

जंगल की आग और खनिज दुर्घटनाएं

जहां इंसानों के लिए पहुंचना खतरे से खाली नहीं, वहां यह रोबोट गर्मी और धुएं के बीच भी कार्य कर सकता है। इसकी टिकाऊ बनावट इसे अत्यधिक तापमान में भी काम करने लायक बनाती है।

बेहद खास है डिजाइन की जादूगरी

यह रोबोट लेगो की तरह मॉड्यूलर है, यानि इसे आवश्यकतानुसार जोड़ा या बदला जा सकता है। इसकी संरचना बहुत ही हल्की, मजबूत और पर्यावरणीय अनुकूल सामग्री से बनी है। इसके चलने और उड़ने की क्षमता इसे बहुपरत उपयोगों के लिए आदर्श बनाती है।

ये होंगी तकनीकी क्षमताएं


भविष्य के उपकरणों में इस तकनीक के उपयोग को लेकर शोधकर्ता मानते हैं कि इस रोबोट की आधारभूत तकनीक आने वाले वर्षों में मेडिकल और डिजिटल क्षेत्रों में भी क्रांति ला सकती है।

1. मेडिकल उपकरणों में उपयोग

शरीर में डाले जाने वाले उपकरण, जैसे स्टेंट या मिनी रोबोटिक सर्जिकल टूल्स, जो शरीर के अंदर जाकर इलाज कर सकें। इंटेलिजेंट ड्रग डिलीवरी सिस्टम जो तय समय और स्थान पर दवा छोड़ सके।

2. वर्चुअल इंटरफेस और 3D तकनीक

थ्री-डी टच स्क्रीन और वर्चुअल इंटरफेस में यह तकनीक स्पर्श और गति के वास्तविक अनुभव को सजीव बना सकती है। रियल टाइम इंटरैक्शन और फीडबैक के लिए इस तकनीक का उपयोग आर्टिफिशियल मसल्स की तरह किया जा सकता है। इस क्षेत्र में कई प्रमुख चीनी शोधकर्ता सक्रिय हैं, जैसे:

डॉ. तियानतियान शू (Tiantian Xu): शेन्ज़ेन इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, चीनी विज्ञान अकादमी में प्रोफेसर हैं, जिनका शोध मैग्नेटिकली एक्ट्यूएटेड माइक्रोरोबोट्स के डिजाइन और नियंत्रण पर केंद्रित है।

डॉ. यान चेन (Yan Chen): तिआंजिन विश्वविद्यालय में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की प्रोफेसर हैं, जो री-कॉन्फिगरेबल मेकेनिज़्म्स, ऑरिगामी और मेटामटेरियल्स में विशेषज्ञता रखती हैं।

डॉ. झुआंगझुआंग तियान (Zhuangzhuang Tian): जिलिन विश्वविद्यालय में शोधकर्ता हैं, जिनका कार्य मल्टीफंक्शनल बायोमिमेटिक सॉफ्ट एक्ट्यूएटर्स के विकास पर केंद्रित है।

चीन की वैज्ञानिक सोच के जरिए तकनीक से मानवता की सेवा


यह खोज केवल तकनीकी चमत्कार नहीं, बल्कि एक मानवीय दृष्टिकोण की मिसाल भी है। शोधकर्ता मानते हैं कि भविष्य की आपदाओं में मानव जीवन की रक्षा के लिए तकनीक का यही स्वरूप आवश्यक है।चीन के प्रमुख शोधकर्ता का कथन है कि, "हम चाहते हैं कि हमारी तकनीक संकट में लोगों के लिए एक आशा बनकर सामने आए, न कि केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित रह जाए"।

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