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यूपी में गोमूत्र से बनी दवाइयों से इलाज, आयुर्वेदिक व यूनानी अस्पताल लिखेंगे दवा

Manali Rastogi
Published on: 5 July 2018 8:15 AM GMT
यूपी में गोमूत्र से बनी दवाइयों से इलाज, आयुर्वेदिक व यूनानी अस्पताल लिखेंगे दवा
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राजकुमार उपाध्‍याय

लखनऊ: हिंदू धर्म में गाय को माता यूं ही नहीं कहा जाता है। बल्कि गाय में बसने वाले प्राकृतिक गुणों की वजह से उसे यह दर्जा ​दिया गया है। गाय से मिलने वाले उत्पाद मसलन—दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर में चिकित्सकीय गुण पाया जाता है। इन पांचो उत्पादों को मिलाकर पंचगव्य बनता है।

इसे औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। योगी सरकार में अब यही पंचगव्य आधिकारिक रूप से इलाज के लिए व्यवहार में उतारी जा रही है। सभी आयुर्वेदिक व यूनानी अस्पतालों में इसे चिकित्सकीय परामर्श में इस्तेमाल करने का भी निर्देश दिया गया है। देश भर में यूपी ऐसी व्यवस्था करने वाला पहला राज्य है।

हालिया वर्षों में गाय सियासी मुद्दा रही है। मौजूदा समय में छुटटा गौवंश को लेकर भी हो—हल्ला मच रहा है। ऐसे समय में गाय के महत्व को स्थापित करने के लिए योगी सरकार ने यह व्यवस्था जमीन पर उतारने की ठानी है। चूंकि आयुर्वेद में भी पंचगव्य से बनी औषधि का महत्व है।

इसलिए सरकार ने गो मूत्र से बनी दवाइयों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। सभी आयुर्वेदिक व यूनानी डाक्टर गोमूत्र से बनी दवाइयों के इस्तेमाल के लिए चिकित्सीय परामर्श देंगे। इनमें गोमूत्र अर्क और पंचगव्य से बनी औषधियां शामिल होंगी। निदेशक आयुर्वेद सेवायें आर.आर. चौधरी ने राजकीय आयुर्वेदिक महाविदयालयों के प्रिंसिपल और सभी क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारियों को पत्र लिखकर इस बाबत निर्देश दिए हैं।

जैविक खाद के इस्तेमाल को बढ़ावा

उदयान व खादय प्रसंस्करण महकमे के निदेशक ने सभी नर्सरियों में ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद का उपयोग करने को कहा है। नर्सरियां यह जैविक खाद गोशालाओं या गो आश्रय केंद्रों से खरीदेंगी। किसानों को कम्पोस्ट उत्पादन करने की तकनीकी जानकारी भी दी जाएगी।

जिला और मंडल स्तर के अधिकारी इस बाबत किसानों को प्रशिक्षित करेंगे। इसके अलावा पशु आरोग्य मेलों में भी किसानों को गौशालाओं से प्राप्त जैविक खाद के अधिक से अधिक प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

पंचगव्य के फायदे

पंचगव्य खुद में एक औषधि है। योग रत्नाकर में इसका महत्व बताया गया है। गाय के गोबर का रस, दूध, घी, दही का खट्टा पानी और गोमूत्र को बराबर मात्रा में मिलाकर यह औषधि बनाई जाती है। इसके प्रयोग से शरीर की सूजन और पेट के रोगों में लाभ मिलता है।

गाय का दूध

गाय का दूध जीवन शक्ति को बढ़ाने वाला सर्वश्रेष्ठ रसायन माना जाता है।

दही का महत्व

चर​क संहिता में दही के गुणों का जिक्र है। यह शुक्र बढाता है और शरीर को पुष्ट करता है। शरीर की दुर्बलता दूर करता है।

गाय का घी

योग रत्नाकार में गाय के घी का महत्व बताया गया है। यह अमृत के समान होता है। आंखों की रोशनी बढाता है। याद्दाश्त, बल, ताकत भी बढाता है। जहर का नाश करता है।

गोमूत्र का महत्व

चरक संहिता के मुताबिक गोमूत्र खारा, कड़वा, तीता, तीखा, गरम होता है। बुद्धि और स्मरण शक्ति बढाता है। खून की कमी दूर करता है। पीलिया, खांसी, दमा, गुदा का दर्द आदि दूर करता है। इसे कुष्ठ नाशक भी कहा जाता है।

गोबर का औषधिय महत्व

इसे कीटाणु नाशक माना जाता है। गोबर कुष्ठ व अतिसार रोगों में फायदेमंद है।

Manali Rastogi

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