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गज़ल: करें आज रोशन धरा आसमान
संजय कुमार गिरि
करें आज रोशन धरा आसमान
लिये हाथ गीता दिलों में कुरान
नहीं बैर अपना किसी से जनाब
विधाता बनाता सभी के विधान
किया प्यार सब से सदा बेहिसाब
रहे हम सुखों में दुखों में समान
जिन्होंने वतन पर कटाये हैं शीश
बने वे हमेशा यहां पर महान
चले साथ मिलकर कदम से कदम जो
मिले हैं उसी को ये सारा जहान
रखो याद संजय सदा एक बात
करो काम ऐसे बढ़े जिससे शान
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