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HERITAGE: कर्नाटक का छोटा इलाका 'हम्पी' इतिहास में रखता है बड़ा महत्व

कर्नाटक का एक छोटा सा इलाका है हम्पी, जो वाल्मीकि रामायण में पहले बाली का तथा उसके पश्चात् सुग्रीव का राज्य था। आज के संदर्भ में यह राज्य तुंगभद्रा नदी

tiwarishalini
Published on: 3 Nov 2017 3:44 PM IST
HERITAGE: कर्नाटक का छोटा इलाका हम्पी इतिहास में रखता है बड़ा महत्व
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रवीना जैन

बेंगलुरू: कर्नाटक का एक छोटा सा इलाका है हम्पी, जो वाल्मीकि रामायण में पहले बाली का तथा उसके पश्चात् सुग्रीव का राज्य था। आज के संदर्भ में यह राज्य तुंगभद्रा नदी के किनारे वाले कर्नाटक के हम्पी शहर के आस-पास के इलाके में माना गया है। रामायण काल में विन्ध्याचल पर्वत माला से लेकर पूरे भारतीय प्रायद्वीप में एक घना वन फैला हुआ था जिसका नाम था दण्डक वन।

उसी वन में यह राज्य था। अतः यहाँ के निवासियों को वानर कहा जाता था, जिसका अर्थ होता है वन में रहने वाले लोग। रामायण में किष्किन्धा के पास जिस ऋष्यमूक पर्वत की बात कही गयी है वह आज भी उसी नाम से तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है।

यूनेस्को की विश्व विरासत की लिस्ट में शामिल हम्पी भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। हम्पी बेलगांव से 190 किलोमीटर, बेंगलुरु से 350 किलोमीटर और गोवा से 312 किलोमीटर दूर है। मंदिरों का यह प्राचीन शहर मध्यकाल में हिन्दू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था।

हम्पी में बने दर्शनीय स्थलों में सम्मिलित हैं, विरुपाक्ष मंदिर, रघुनाथ मंदिर, नरसिम्हा मंदिर, सुग्रीव गुफा, विठाला मंदिर, कृष्ण मंदिर, हजारा राम मंदिर, कमल महल और महानवमी डिब्बा।

हम्पी से 6 किलोमीटर दूर तुंगभद्रा बांध है। यह कभी राम के काल में किष्किंधा क्षेत्र में हुआ करता था। यह किष्किंधा का केंद्र था। आजकल होसपेट स्टेशन से ढाई मील दूरी पर और बेल्लारी से 60 मील उत्तर की ओर स्थित एक पहाड़ी स्थान को किष्किंधा कहा जाता है। रामायण के अनुसार यह वानरों की राजधानी थी। यहां ऋष्यमूक पर्वत के आसपास तुंगभद्रा नदी बहती है। ऋष्यमूक पर्वत तथा तुंगभद्रा के घेरे को चक्रतीर्थ कहते हैं। रामायणकाल में किष्किंधा वानर राज बाली का राज्य था। कर्नाटक के दो जिले कोप्पल और बेल्लारी को मिलाकर किष्किंधा राज्य बनता है।

किष्किंधा में घूमने के लिए कई स्थान हैं। ब्रह्माजी का बनाया हुआ पम्पा सरोवर है। हनुमानजी की जन्मस्थली आंजनाद्रि पर्वत है। बाली की गुफा और सुग्रीव का निवास स्थान ऋषम्यूक पर्वत भी यहीं स्थित है। चिंतामणि मंदिर, जहां से राम ने बाली के ऊपर तीर चलाया था, वो भी इसी जगह आता है। ये सब किष्किंधा के कोप्पल जिले वाले भाग में आते हैं। बेल्लारी जिले के तहत आने वाले किष्किंधा के दूसरे भाग में भगवान राम ने जहां चार्तुमास किया था, वो माल्यवंत पर्वत और हनुमान आदि वानरों ने सीता का पता लगाकर लौटते वक्त जिस वन में फल खाए थे, वो मधुवन यहां पड़ता है। इसके अलावा भी कई छोटे-बड़े मंदिर और शिवलिंग यहां स्थित हैं।

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