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गीतिका: अब छोड़ो भी तकरार प्रिये, क्यों नोंक झोंक हर बार प्रिये
रमा प्रवीर वर्मा
अब छोड़ो भी तकरार प्रिये
क्यों नोंक झोंक हर बार प्रिये
खुशियों की बारिश में भीगो
गम से हो क्यूँ बेज़ार प्रिये
ये धरती क्या ये अम्बर क्या
अपना सारा संसार प्रिये
औरों की बातें छोडो अब
जी लो अपना किरदार प्रिये
उम्मीदों की परवाज़ भरो
हर स्वप्न करो साकार प्रिये
हो त्याग समर्पण प्यार वफ़ा
इस जीवन का आधार प्रिये
जैसी करनी वैसी भरनी
ये सत्य करो स्वीकार प्रिये
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