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राष्ट्रपति चुनाव: क्रॉस वोटिंग हुई तो गड़बड़ा सकते हैं एनडीए और विपक्ष के समीकरण
राष्ट्रपति चुनाव में कोई भी पार्टी व्हिप जारी नहीं कर सकती। कोई पार्टी अपने सांसदों व विधायकों को इस बात के लिए भी बाध्य नहीं कर सकती कि पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार को वोट सुनि
लखनऊ: राष्ट्रपति चुनाव में कोई भी पार्टी व्हिप जारी नहीं कर सकती। कोई पार्टी अपने सांसदों व विधायकों को इस बात के लिए भी बाध्य नहीं कर सकती कि पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार को वोट सुनिश्चित करने के लिए वोट दिखाकर डाला जाय। मौजूदा समय में भले ही भाजपा ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए अन्नाद्रमुक के दोनों धड़ों के अलावा आंध्र में वाईएसआर कांग्रेस और तेलंगाना में सत्ताधारी टीआरएस को अपने पाले में कर लिया है लेकिन इसके बावजूद सत्ता और विपक्ष के रणनीतिकार उन कमजोर कड़ियों को दुरुस्त करने में लगे हैं जिनसे क्रॉस वोटिंग की आशंकाएं बढ़ सकती हैं।
- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी स्वयं विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों को मॉनिटर कर रहीं हैं।
- इधर मराठा छत्रप शरद पवार ने राष्ट्रपति उम्मीदवार तय करने के लिए विपक्षी दलों का कोऑर्डिनेटर बनने के सोनिया के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
- पवार को यह दायित्व सौपे जाने के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं। सबसे अहम यह है कि शिव सेना व भाजपा के संबंधों में राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकन दरार पड़ने की आशंकाएं बढ़नी तय मानी जा रही हैं।
- महाराष्ट्र में दोनों एक साथ सरकार में हैं लेकिन शिव सेना को अगर प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की पसंद नागवार गुजरी तो शिव सेना विरोध में वोट करने करने से पीछे नहीं हटेगी। शिव सेना के शरद पवार के साथ मधुर रिश्ते हैं।
- माना जा रहा है कि शिव सेना की मर्जी का राष्ट्रपति उम्मीदवार एनडीए की ओर से तय नहीं हुआ तो शिव सेना न केवल एनडीए से अलग हो सकती है बल्कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडनवीस की साझा सरकार से बाहर आ सकती है।