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रिचा तिवारी की रचना: महावीर

Gagan D Mishra
Published on: 2 Sept 2017 2:11 AM IST
रिचा तिवारी की रचना: महावीर
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रिचा तिवारी

वीर नहीं वो महा वीर थी,

कभी न झुकना, डटकर रहना,

हर नारी को बता गई,

लक्ष्मीबाई नाम था उनका

मरकर भी जीना सिखा गई।

नारी क्या होती है,

ये दुनिया को दिखा गई,

नारी दुर्गा, नारी लक्ष्मी,

नारी हैं महाकाली।

नारी के तीन रूपों का,

सार वो समझा गई।

वीर नहीं वो महावीर थी,

अपना शौर्य दिखा गई।

सहा नहीं अन्याय को,

अन्यायी को मिटा गई,

सहो नहीं तुम भी कुछ,

सब पापियों को मिटा दो,

लक्ष्मीबाई हर नारी में हंै,

दुनिया को दिखा दो।

वीर नहीं वो महावीर थी,

अपना शौर्य दिखा गई।

रुकी नहीं वो, झूकी नहीं वो,

रौद्र रूप दिखा गई।

मरते दम तक मारा कायरों को

नानी याद दिला गई।

अपने खुन का एक-एक कतरा

अपनी मातृभूमि पर चढ़ा गई।

लक्ष्मीबाई नाम था उनका,

मरकर भी जीना सिखा गई।

Gagan D Mishra

Gagan D Mishra

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