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मिलिए सलोनी की 'अपराजिता' से, बदल जाएगा जिंदगी जीने का तरीका
सलोनी यादव
उफ धन्नो फिर से धोखा दे दिया, जब भी मुझे जल्दी होती है तेरी टै बोल जाती है अब न बैठूंगी तुझ पर। झुझलाते हुए अपराजिता स्कूटी से उतरते बड़बड़ा रही थी कि अचानक उसकी निगाह रेल पटरी के बीचोंबीच चलते हुए एक साये पर पड़ी। एक सेकंड के सौवें हिस्से में उसके दिमाग में एक शब्द उभरा आत्महत्या और शब्द पूरा होने से भी पहले वह पूरी ताकत से उस साये की ओर दौड़ पड़ी। सामने से कोई ट्रेन धड़धड़ाती हुयी उसी ट्रैक पर आ रही थी। इससे पहले कि वह ट्रेन उस साये की मुराद पूरी करती उससे कुछ सेकंड पहले ही अपू और वह बहुत सी खरोचों और बदहवास सासों के साथ बगल के ट्रैक पर सुरक्षित थे।
बाप रे आपने तो मरवा दिया था। मैंने तो बिना टिकट कभी दूसरे शहर नहीं गयी, आपने तो सीधे दूसरी दुनिया बेटिकट भेजने की तैयारी करवा दी थी। उस साये को खूद अलग ढकेलते हुए अपू बोली। अपनी रौ में कुछ और भी बोलने जा रही थी कि उसकी नजर साये के चेतना शून्य से चेहरे पर गयी। नहीं अभी बसंती मत बन अपू।
आइए! उसका हाथ थाम कर उठाया तो उसने कोई प्रतिवाद नहीं किया। अपू वहां आयी जहां उसने अपनी स्कूटी फेंकी थी। माफ करना धन्नो तुझे ज्यादा लगी तो नहीं। अगर ऐसा न करते तो इन्होंने तो न जाने कितने लोगों को जिन्दगी भर के लिए रुलाने का प्रोग्राम बना लिया था, वह बोली। कोई नहीं रोता मेरे लिए अबकी जो उस साये ने कहा तो अपू चेहरा पहचान गयी आप तो हमारे शहर के नये डीएम जय पांडे हैं।
मां है आपकी, हां, तो आपने क्यों कहा कोई नहीं रोता। आपके लिए, मां अपने प्रसव पीड़ा तो हंसते हुए बर्दाश्त कर लेती और भूल भी जाती है। उस दर्द को, पर यह दर्द जो आप उसे देने जा रहे थे, वो उसे न जीने देता न मरने। मरने के लिए थोड़ा सा, पर जीने के लिए बहुत सा जहर पीना पड़ता है डीएम साहब। उसके स्वर में रोष था। नौकरी की समस्या है, उसने पूछा? जवाब में जय ने इंकार में सिर हिलाया। हूं आपकी शादी की दावत मेरे साथ-साथ वृद्ध आश्रम के 150 लोगों ने भी खाया था न, इतनी हाई प्रोफाइल शादी में उनको कौन बुलाता वह तो मैं जयपुर के अन्न क्षेत्र फाउंडेशन नाम के एनजीओ से जुड़ी हूं तो ऐसी हाई-प्रोफाइल समारोह के इवेंट मैनेजर से बात करके बचे खाने को भूखे लोगो को खिला देते है।
लीजिए पानी पी लीजिए, अपू ने पानी की बोतल जय की ओर बढ़ा दी। जिसे उसने एक सांस में खाली कर दी। पारिवारिक विवाद है, आप मुझे बतायेंगे तो मैं सलाह तो दे दूंगी पर अमल में तो आपको ही लाना होगा, कृष्ण ने भी सारथी बन कर अर्जुन को गीता का उपदेश ही सुनाया था, पर युद्ध जीतने के लिए लडऩा तो अर्जुन को ही पड़ा था। हर इंसान को अपने हिस्से की लड़ाई खुद लडऩी पड़ती है। हर एक के हिस्से में कर्ण नहीं आता है।
जय जी! आपने तो अपनी तरफ से अपनी जिंदगी खत्म ही कर दी थी तो आपकी ये जिंदगी तो हमारी हो गयी अब आप इसे जय स्टाइल में नहीं अपने घर में वर्ल्ड फेमस अपराजिता स्टाइल में जीएंगे। ये मेरा मोबाइल नम्बर नोट कीजिए और यह लीजिए कहते हुए अपू ने अपने बैग से एक पेज निकाला। जिस पर लिखा था। क्या आपकी व्यक्तिगत या व्यवसायिक समस्या इतनी गम्भीर है कि पृथ्वी पर प्रलय ला सकती है। अगर नहीं, तो उसका हल खोजे। पढ़ लिया है तो बताए क्या पृथ्वी पर प्रलय ला सकती है आपकी समस्या। नहीं पहली बार जय को उसका आत्मविश्वास वापस लौटता हुआ लग रहा है।
मरना कैंसिल तो चलिए मेरा घर पास में ही है मां रे! बड़ी जोर से भूख लग रही है। कहते हुए वह चली तो जय भी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह उसके पीछे चल दिए।
दो मिनट में अपराजिता के घर पहुंचकर जय ने देखा। कमरे का लोवर मिडिल क्लास साफ सुथरा घर जिसमें जरूरत की भी बहुत सी चीजे नहीं थी। लेकिन एक चीज जो हर ओर बिखरी थी वह थी जिन्दगी, आत्मविश्वास और भविष्य में सब अच्छा होने की आशा, जो शायद ही किसी हाई-प्रोफाइल हाई स्टेटस कोठियों में मिलेगी। तख्त पर बैठी महिला से उसने जय का परिचय कराया। मां यह जय है, दो मिनट खाने को लाती हूं। घबराइए मत मैगी नहीं खिलाऊंगी हंसते हुए उसने गैस पर तवा चढ़ा दिया, दो तो नहीं पर 10 मिनट बाद रोटियां, सब्जी और दही उसके सामने आ गयी। जितनी देर वह खाता रहा, अपू की हल्की-फुल्की बातें उसकी अन्दर बेरंग जिंदगी में इन्द्रधनुष भरती रही।
खाना खा के जय उठा तो उसने कहा, घर जाकर अपनी समस्या पर जय बन के सवाल करना और अपू बनके जवाब ढूंढना सब ठीक हो जायेगा, फिर मेरा मोबाइल नम्बर तो है ही आपके पास। उससे विदा ले के जय होटल रूम में पहुंच कर मोबाइल उठा कर देखा तो आत्महत्या की सूचना देने के लिए उसने जो वाट्सएप पर मैसेज किया था वह डाटा आन न होने के कारण डिलीवर ही नहीं हुआ था उसने मैसेज डिलीट किया और बैग से सुसाइड नोट फाड़ के फेंक दिया।
बेड पर लेटते ही उसकी आंखों में दो दिन पहले हुई घटना घूम गयी वह आफिस की कोई जरूरी फाइल देख रहा था कि निकिता ने उसके सामने एक पेपर रखते हुए कहा, इसपर सिग्नेचर करो जल्दी। क्या है ये, उसने पूछा, जवाब में निकी ने बड़ी लापरवाही से कहा, प्रेग्नेंसी टरमिनेट करवाने का आर्थारिटी लेटर। तुम तुम प्रेग्नेंट हो यानि मैं पिता बनने वाला हूं, वह निकी को अपनी बाहों में लेने के लिए आगे बढ़ा, तो उसके शब्दों ने जय को वहीं रोक दिया। डोन्ट ओवर रियेक्ट, 20 सप्ताह हो चुके है इसलिए तुम्हारे सिग्नेचर की जरूरत है वर्ना लोवर क्लास मेन्टेनलेटी का एक और शख्स नहीं चाहिए मुझे अपनी जिंदगी में।
जय, उसने मेरे बच्चे को पैदा होने से पहले मार दिया। जय बन के सवाल कर दिया है अब तुम जवाब दो। अपराजिता, तुम जिन्दा रहोगे तो बहुत से बच्चे हो जाएंगे स्पर्म खत्म थोड़े हो गये हैं अरबों-खरबों की संख्या में प्रकृति ने दिया है। अगर खत्म भी हो गये तो इस देश में बहुत अनाथ बच्चे है जितनो को चाहो अपनी प्यार की पनाह में लेना। पर मरना मत प्लीज। जय, वह मुझे तलाक भी नहीं देना चाहती क्योंकि किसी को क्या कहेगी कि मुझे क्या कमी है बिना तलाक के भी मनमर्जी की जिन्दगी जी रही है और तलाकशुदा का ठप्पा भी नहीं। मैं उस औरत के साथ कैसे रह सकूंगा जो उसने एक बार किया वह फिर करेगी तो। अपराजिता, एक बार ऐसा होने के बाद भी क्या आप उसके पास जाएंगे। क्या जरूरत इतनी ज्यादा है? जय, नहीं शायद कभी नही।
अपराजिता, तो फिर बात ही खत्म, जय पांडे जो निकिता पांडे का पति था। मर चुके है, और जो जिंदा हैं वह बेटा है। भाई है, जिम्मेदार भारतीय डीएम हैं। अब मैं सोने जा रही हूं वो क्या कहते है दिमाग का दही कर दिया। कल धन्नो को भी ठीक कराना है। आपको बचाने के चक्कर में बेचारी की एक आंख फूट गयी है। आखिरी बात सोचते ही जय के होठों पर न जाने कितने महीने बाद मुस्कान आ गयी।
क्या सच में मैं अपराजिता की तरह सोचने लगा हूं। एक अनजान लडक़ी जो आंधी की तरह आयी और तूफान की तरह उसकी जिंदगी सवार के चली गयी। आज तक तो तुफानों ने बर्बादी ही की है यह संवारने का चलन कब शुरू हुआ। जय, अपराजिता का नम्बर सेव करने लगा। यह तो फ्रेम कराना होगा।
क्या आपकी व्यक्तिगत या व्यवसायिक समस्या इतनी गम्भीर है कि पृथ्वी पर प्रलय ला सकती है। अगर नहीं है तो उसका हल खोजें।