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बहुत अलग सा एहसास है कोरोना टेस्टिंग में

कोरोना वायरस की दो तरह की टेस्टिंग जाती है। एक ब्लड सैंपल द्वारा और दूसरा तरीका है नाक के स्वैब का। अभी विश्व भर में नाक के स्वैब का तरीका ही अपनाया जा रहा  है। इसका फायदा ये है कि ये बहुत सटीक और तेजी से किया जा सकता है। बहुत शुरुआत में ही संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।

राम केवी
Published on: 14 April 2020 5:50 PM IST
बहुत अलग सा एहसास है कोरोना टेस्टिंग में
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लखनऊ। कोरोना वायरस की दो तरह की टेस्टिंग जाती है। एक ब्लड सैंपल द्वारा और दूसरा तरीका है नाक के स्वैब का। अभी विश्व भर में नाक के स्वैब का तरीका ही अपनाया जा रहा है। इसका फायदा ये है कि ये बहुत सटीक और तेजी से किया जा सकता है। बहुत शुरुआत में ही संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। नाक से स्वैब करने में मात्र 15 सेकेंड लगते हैं। लेकिन ये 15 सेकेंड किसी व्यक्ति के लिए मामूली इरिटेशन तो किसी के लिए भयानक यातना जैसे हो सकते हैं। इस टेस्ट से गुजरे हर इनसान का अनुभव अलग अलग होता है।

कैसे होता है ‘नेज़ो फैरंगल; टेस्ट

आपकी नाक की श्वास नली जिस स्थान पर गले में मिलती है उसी जगह से नोज स्वैब सैंपल लिया जाता है। गले के भीतर ये जगह गले के एकदम पिछले हिस्से में होती है। इस जगह को नेज़ोफ़ेरिंक्स कहा जाता है। ये नाक के सात सेंटीमीटर भीतर होता है। सैंपल लेने के लिए एक लंबी प्लास्टिक की तीली में रुई की फुरेरी का इस्तेमाल किया जाता है।

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कान साफ करने वाले ईयरबड का ये एक लंबा स्वरूप होता है। नाक में ये तीली सावधानी से डाली जाती है और भीतर काफी गहरे में उसे 15 सेकेंड तक इधर-उधर घुमा कर बाहर निकाल लिया जाता है। डाक्टरों के अनुसार अगर मरीज एकदम बिना हिले डुले बैठा है तो इस प्रक्रिया में मात्र 15 सेकेंड लगते हैं।

अगर जरा भी सिर हिल गया तो दोबारा सैंपल लेना होता है। कई मरीजों में तो कई-कई बार कोशिश करनी पड़ती है। लेकिन सैंपल लेने वाला व्यक्ति भी अच्छी तरह प्रशिक्षित होना बहुत जरूरी है। अगर स्वैब लेने के दौरान किसी को कोई भी असहजता महसूस नहीं होती तो ये साफ है कि सैंपल ठीक से कलेक्ट नहीं हो पाया है।

लगा जैसे चाकू घोंप दिया है

टेस्ट के अनुभव के बारे में एक व्यक्ति ने बताया की जब तीली नाक में डाली गई तो लगा जैसे मस्तिष्क में चाकू घोंप दिया गया है। अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प का भी यही टेस्ट किया गया था और उन्होने बाद में बताया था कि ये ऐसा अनुभव था जिसे वो बार बार नहीं चाहेंगे।

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एक 17 वर्षीय युवक ने बताया – मेरे टेम्परेचर लिया गया। फिर गले से सैंपल लिया गया। आखिर में मेरी नाक में तीली डाली गई। मुझे लगा कि तीली थोड़ा ही भीतर जाएगी लेकिन उसे बहुत गहरे तक घुसा दिया गया। मेरा गला घुटने लगा, आँखों में आँसू आ गए। आँखों के सामने तारे जैसे चमकने लगे।

एक महिला ने इंस्टाग्राम पर लिखा – मेरी नाक में जब सैंपल लेने की स्टिक डाली गई तो मुझे लगा जैसे मेरे मस्तिष्क में वह पहुँच गई है।



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राम केवी

राम केवी

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