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देश के इस शहर में कोरोना से बचने की नहीं थी कोई तैयारी, अफवाहों का हुआ शिकार

भाजपा के महासचिव व इंदौर के पूर्व विधायक कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा की इंदौर की पूर्व सांसद और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने स्वीकार किया है कि "इंदौर शुरुआत में पिछड़ गया था", लेकिन अभी चीजें पटरी पर हैं।

राम केवी
Published on: 15 April 2020 1:24 PM IST
देश के इस शहर में कोरोना से बचने की नहीं थी कोई तैयारी, अफवाहों का हुआ शिकार
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हमारे संवाददाता

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी और देश का मिनी मुंबई आज कोरोना वायरस से संघर्ष कर रहा है। मध्य प्रदेश के कुल कोरोना मामलों में 55 फीसदी इंदौर से हैं। 73 फीसदी मौतें भी यहीं हुईं हैं। दिल्ली में परीक्षण के लिए 1,142 नमूने भेजे गए जिनकी रिपोर्ट आणी अभी बाकी है।

पहले से ही नहीं थी तैयारी

कोरोना से बचाव के लिए राज्य पहले से ही पर्याप्त रूप से तैयार नहीं था। राज्य में राजनीतिक उथलपुथल चल रही थी और शुरू में कोरोना के संकट को गंभीरता से नहीं लिया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार इंदौर में "देश का सबसे सख्त लॉकडाउन" लागू किया गया लेकिन "इंदौर को शुरू से ही बहुत सावधान रहने की आवश्यकता थी। मार्च के अंत तक प्रशासन में समस्याएं थीं और इससे हमें नुकसान हुआ।”

हाँ, हम पिछड़ गए

भाजपा के महासचिव व इंदौर के पूर्व विधायक कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा की इंदौर की पूर्व सांसद और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने स्वीकार किया है कि "इंदौर शुरुआत में पिछड़ गया था", लेकिन अभी चीजें पटरी पर हैं।

फर्जी मैसेज

जिला प्रशासन के साथ-साथ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इन क्षेत्रों में बहुत अधिक डर नकली व्हाट्सएप मेसेज के कारण था जिनमें कहा जा रहा था कि "कोरोनावायरस को मुसलमानों में इंजेक्ट किया जा रहा है", और पूरे परिवारों को आइसोलेशन में ले जाया जाएगा और फिर सबको संक्रमित किया जाएगा। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इन व्हाट्सएप समूहों को चलाने वाले कम से कम तीन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है और दो को गिरफ्तार किया गया। इन इलाकों में टाटपट्टी भी है जहां स्वास्थ्य कर्मचारियों और डॉक्टरों का पीछा किया गया था।

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अस्पताल जाने में देरी

अल्प संख्यक समुदाय के बीच इस डर के परिणामस्वरूप कोरोना वायरस लक्षणों वाले लोग अस्पताल जाने से डरे नतीजतन इन क्षेत्रों में मृत्यु दर 10 फीसदी तक बढ़ गई है। ये देश में सबसे अधिक है। लोग अस्पतालों में तभी आए जब हालात बहुत खराब हो गए। इसे सरकार की तैयारी की कमी नहीं कहा जा सकता।

इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ ज्योति बिंदल, ने पिछले हफ्ते तक शहर की 23 मौतो का विश्लेषण किया। उन्होने बताया कि पहले की बीमारी और देर से रिपोर्टिंग मौतों का मुख्य कारण थे। कोरोना के जो मरीज आए वे टीबी, एचआईवी और गंभीर मधुमेह के रोगी थे। उनमें से अधिकांश इतनी देर से आए कि उन्हें सीधे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा।

राजनीति भी

भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि उन्होंने इस गलतफहमी को ठीक करने की कोशिश की है। उनका कहना है कि हालात खराब होने का कारण बीमारी के बारे में जागरूकता की कमी और आंशिक रूप से एक गलत अभियान है। उन्होंने कहा, “हमने एक गहन अभियान चलाया है और मुस्लिम समुदाय सहित लोग सहयोग कर रहे हैं।”

कांग्रेस नेता शिभा ओझा ने शिवराज सिंह चौहान सरकार पर “आपराधिक लापरवाही” का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा और उसके नेताओं ने प्रारंभिक दौर में कोरोना वायरस चेतावनी का मजाक उड़ाया था।"

बहरहाल, इंदौर सख्त लॉकडाउन में है। नगर निगम के आयुक्त आशीष सिंह का कहना है कि हमारे पास बहुत सारे नमूने लंबित थे और वे दिल्ली भेजे गए हैं। हमें विश्वास है कि जो कदम उठाए गए हैं उससे बहुत जल्द कोरोना के मामलों की संख्या कम हो जाएगी।

शमशान में बिक रही सब्जी

इंदौर में अब सख्ती का आलम ये है कि लोगों को सब्जी खरीदने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। सख्ती का आलम ये है कि मालवा मिल स्थित सब्जी मंडी में सब्जी का बड़ा स्टॉक खराब हो गया। अब तो यहाँ एक श्मशान में भी सब्जी बेची जा रही है। स्थानीय अखबारों के अनुसार बिचौली मर्दाना श्मशान में कार से सब्जी बेची जाती है। कार में सब्जी के पैकेट आते हैं और लोग एक एक कर श्मशान के भीतर जा कर सब्जी खरीदते हैं। इसी तरह खाती पिपलिया, सामलिया, बेगमखेड़ी और चौहान खेड़ी इलाकों में भी कार से सब्जी बेची जा रही है।

राम केवी

राम केवी

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